उर्दू मीडिया सेंटर में अवधनामा का 22वां यौम-ए-तासीस और एवार्ड तक़सीम प्रोग्राम

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वक़ार रिज़वी लखनवी तहज़ीब की जीती जागती तस्वीर थे- डाक्टर दिनेश शर्मा
अवध नामा ने जर्नलिज़्म के तसव्वुर को तबदील किया- प्रोफ़ैसर शारिब रूदौलवी
वक़ार रिज़वी की कमी हमेशा महसूस होती रहेगी- डाक्टर अम्मार रिज़वी
लखनऊ। वक़ार रिज़वी लखनवी तहज़ीब की जीती-जागती तस्वीर थे। उनका एक अलग किस्म का मिज़ाज और स्वभाव था। वो कम वक़्त में हमसे बिछड़ गए लेकिन इतने कम वक़्त में भी वो इतने अहम कारनामे अंजामे दे गए जिन्हें इन्सानियत तादेर याद रखेगी। इन ख़्यालात का इज़हार साबिक़ नायब वज़ीर-ए-आला उतर प्रदेश डाक्टर दिनेश शर्मा ने अवधनामा हाउस उर्दू मीडिया सेंटर वाके़ साकेत पल्ली नरही में रोज़नामा अवधनामा के के 22वीं यौम-ए-तासीस के मौक़ा पर बहैसियत मेहमान-ए-ख़ुसूसी खि़ताब करते हुए किया। इन्होंने अवधनामा उर्दू हिन्दी के बानी वक़ार मेह्दी रिज़वी को याद करते हुए उनसे अपने देरीना ताल्लुक़ का इज़हार किया और कहा कि वक़ार रिज़वी ने अपने अख़बार को एक मोतबरीयत दी और कभी अपने क़ारईन के जज़्बात को मनफ़ी तौर पर उभारने की कोशिश नहीं की। उन्होंने समाज में और लोगों के दिलों पर जो नक़ूश सब्त किए हैं वो जल्दी मिटने वाले नहीं हैं। डाक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि अवधनामा उर्दू की तहज़ीबी तारीख़ है, उन्होंने अपनी नेक ख़्व़ाहिशात का इज़हार करते हुए कहा, मेरी दुआ है कि अवधनामा अपने मिशन के साथ हमेशा आगे बढ़ता रहे और सहाफ़त की नई बुलंदियों तक पहुंचे। उन्होंने वक़ार रिज़वी की एहिलया और अख़बार की मालकिन के हौसलों और लगन की पज़ीराई करते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि आपकी सरपरस्ती और निगरानी में अवधनामा समाज में मुसबत तबदीलियों के लिए अपना किरदार अदा करता रहेगा।
प्रोफे़सर शारिब रूदौलवी ने अपने मुख़्तसर सदारती खि़ताब में अवधनामा के फ़ाउंडेशन-डे पर सभी को मुबारकबाद देते हुए कहा कि 22 बरस की ज़िंदगी में अवधनामा ने एक तारीख़ बनाई है और फ़िक्री तौर पर जर्नलिज़्म के तसव्वुर को तब्दील किया है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां जर्नलिज़्म का तसव्वुर ये रहा है कि लोगों को लड़ाओ और अख़बार को फ़रोख़त करो। लेकिन अवधनामा ने उसे बदला और ये पालिसी अपनाई कि लोगों को मिलाओ और अख़बार के ज़रिया इन्सानी क़दरों को फ़रोग़ दो। उन्होंने कहा कि जब समाज में कोई मनफ़ी वाक़िया रोनुमा होता तो अगले ही दिन वो अपने मख़सूस कालम में इसका तजिज़या भी करते और इन्सानी समाज के तामीरी रुख को भी पूरी शिद्दत से उभारते। ये उनका एक बड़ा कारनामा है। प्रोफ़ेसर शारिब रूदौलवी ने इस मौक़ा पर खासतौर से मुहतरमा तक़दीस फ़ातिमा रिज़वी का ज़िक्र करते हुए कहा कि मुझे बहुत ख़ुशी है कि उन्होंने अपने शौहर के अख़बार ही को नहीं उनके मिशन और उनकी तहरीक को भी सँभाला और इस हौसले के साथ सँभाला कि वसाइल की कमी की परवाह नहीं की बल्कि अपनी टीम को लेकर एक यक़ीन के साथ आगे बढ़ीं और अख़बार को या वक़ार रिज़वी के मिशन को कहीं से कमज़ोर नहीं होने दिया। उम्मीद है कि वो इसी तरह कारवां की रहबरी करती रहेंगी।
साबिक़ उबूरी वज़ीर-ए-आला उतर प्रदेश डाक्टर अम्मार रिज़वी ने अपने ख़्यालात का इज़हार करते हुए कहा कि वक़ार रिज़वी का जब भी ज़िक्र आता है तो मैं जज़्बाती हो जाता हूँ, उनकी कमी हमेशा महसूस होती रहेगी। उन्होंने कहा कि वक़ार रिज़वी ख़ुशनसीब थे कि उन्हें तक़दीस फ़ातिमा जैसी हमसफर मिलीं जिन्होंने वक़ार के बाद उनके मिशन को पूरी तुन्दही से जारी रखा है और मुसलसल उसे बुलंदियों की तरफ़ ले जाने में सरगर्म अमल हैं। उन्होंने मेहमान-ए-ख़ुसूसी की तारीफ़ करते हुए कहा कि डाक्टर दिनेश शर्मा ख़ुद भी लखनवी तहज़ीब का मुरक़्क़ा हैं। उन्होंने अवधनामा फ़ाउंडेशन की मुबारकबाद देते हुए कहा कि हमारी नेक ख्व़ाहिशात आप सब के साथ हैं और हमेशा रहेंगी, नीज़ ये कि आप इस तामीरी मिशन को आगे बढ़ाने में ख़ुद को कभी अकेला न समझें।
इससे पहले प्रोग्राम की निज़ामत की बाग-डोर कई ज़बानों बिलख़ुसूस रूसी ज़बान-ओ-अदब पर उबूर रखने वाली प्रोफे़सर साबिरा हबीब ने संभाली। उनकी निज़ामत की ख़ास बात ये है कि प्रोग्राम ख़्वाह किसी नौइयत का हो, कितना ही तवील हो लेकिन उनकी गुफ़्तगू सामईन और नाज़रीन को पूरी तरह बाँधे रखने में कामयाब रहती है। प्रोफे़सर साबिरा हबीब ने वक़ार रिज़वी को याद करते हुए कहा वो इस शेर के मिस्दाक़ थे कि
‘‘मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर।
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया’’।।
और फिर एक अकेला शख़्स ख़ुद एक कारवां बन गया। उन्होंने कहा कि वक़ार रिज़वी गीता के इस श्लोक की अमली तफ़सीर थे कि तुम करम करो और फल की अक्शा मत करो। वक़ार रिज़वी एक बेलौस, बेग़र्ज़ और फ़रिश्ता सिफ़त इन्सान थे।
प्रोग्राम के आग़ाज़ में अवधनामा के रुक्न मूसी रज़ा ने अवधनामा का सफ़रनामा अवधनामा एक मिशन एक तहरीक के उनवान से पेश किया जिसमें उन्होंने अवधनामा की इर्तिक़ाई तारीख़ और उसकी हुसूलयाबियों को इजमाली तौर पर पेश करते हुए कहा कि अवधनामा ने शुरू ही से रिवायतों से अलग अपना रास्ता बनाया और सहाफ़त की बहुत सी रिवायतों को तोड़ा भी। उन्होंने कहा कि अवधनामा उर्दू का पहला अख़बार है जिसने उर्दू में लाईव रिपोर्टिंग की शुरूआत की। नीज़ क़ारईन की सहूलत के लिए उसका वाइस एडिशन भी वक़ार रिज़वी की नई और आगे की सोच का मज़हर है। उन्होंने बताया कि अवधनामा वाहिद अख़बार है जिसने नए क़लमकारों की पूरी खेप तैयार की। मूसी रज़ा ने बताया कि अवधनामा की ऑनलाइन रीडर-शिप की न सिर्फ मुल्क बल्कि बैरून-ए-मुल्क में बड़ी तादाद है यही वजह है कि बैरूनी ममालिक के क़लमकारों की बड़ी तादाद है जिनकी तख़्लीक़ात अवधनामा में शाया होती रहती हैं। उन्होंने कहा कि वक़ार रिज़वी के बाद उनकी एहिलया (भाभी) ने वक़ार साहब के मिशन को न सिर्फ ज़िंदा रखा बल्कि उसे पूरी मुस्तइद्दी से जारी रखा है।
प्रोग्राम के इख़्ततामी मरहला में मुहतरमा तक़दीस फ़ातिमा रिज़वी ने गुलूगीर आवाज़ में जुमला मेहमानों, जुमला सामईन, अवधनामा के अराकीन और अज़ला के मुआवनीन के तईं कलिमात-ए-तशक्कुर अदा करते हुए बिलखु़सूस नज़र मेह्दी का भी ज़िक्र किया और उनका भी शुक्रिया
अदा किया।
इस अहम मौक़ा पर जिन शख़्सियात को एवार्ड से नवाज़ा गया उनमें एम.एम. मुहसिन, मुसर्रत जमील, डाक्टर हारून रशीद, एम. आलम रिज़वी और मूसी रज़ा को प्राइड आफ़ अवधनामा एवार्ड, अनिल कनोजिया और इरशाद सिद्दीक़ी को अवधनामा एक्सीलेंस एवार्ड, मनोज तिवारी और ए.के. जाफ़री (बाग) को दी अल्टीमेट कंटरीब्यूशन एवार्ड, अतहर मेह्दी, दानिश मेह्दी, मुहम्मद इमरान और राजेश कुमार मिश्रा को ‘‘दी ग्रोथ बूस्टर एवार्ड जबकि अहमद मेह्दी, सुधीर पांडे, मुनव्वर रिज़वी, मुहम्मद आदिल तन्हा, जे पी गुप्ता, वहाज अली ख़ान, राजेश पांडे, रिज़वान अंसारी, आसिफ़ ख़ान, हिफ़्ज़ुर्रहमान, मुहम्मद यूसुफ़, अजय कुमार श्रीवास्तव, मुहम्मद हसनैन, अमर कश्यप, राकेश कुमार सरोज, विनोद अवस्थी को स्टार ऑफ़ अवध एवार्ड इनके इलावा अली संजर, फरहीन फ़ातिमा, रजनीश शुक्ला, अनवार अशरफी़, प्रेम चंद यादव, प्रभात सिन्हा, बृजेन्द्र मौर्या, राजीव शुक्ला, आज़म शहीद, वसी अख़तर, शजर अब्बास, नितिन विकास, हसनैन अब्बास और मती राम को मैडल से नवाज़ा गया।
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