एस.एन.वर्मा
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लोग कांग्रेस का वह जमाना याद करते है जब कांग्रेस उत्कर्ष पर थी। लोग कांग्रेस से प्रेरणा लेते थे राजनीति और सेवा के क्षेत्र में अग्रसर होते थे। जब कांग्रेस में उत्कृष्ट लोगो का डेरा था। लोग कांग्रेस को बहुत सहानभूति के साथ देखते है और अफसोस ज़ाहिर करते है। इसलिये की कांग्रेस का शानदार रेकार्ड रहा है उसमें शानदार लोग थे जिन्हें आज भी याद किया जाता है। जिन पर बड़ी-बड़ी किताब भी है। एक इमारजेन्सी का जमाना छोड़ दिया जाये तो कांग्रेस शानदार ही रही है।
कांग्रेस की कमजोरी एक वजह यह है कि एक वंश का राज कई पीढ़ियों तक चला पीढ़ियों को भी लोग ने पसन्द किया। पर हर अच्छी चीज का कभी न कभी अन्त होता है। बच्चन जी की एक कविता कुछ लाइने इस सन्दर्भ में बहुत सटीक टिप्पणी करती है।
रहे गुन्जित सब दिन काल, नहीं ऐसा कोई भी राग
रहें जगती सब दिन काल, नहीं ऐसी कोई भी आग,
गगन का तेजोपंुज विशाल जगत के जीवन का आधार,
असीमित नममन्डल के बीच सूर्य बुझता सा एक निराग
कांग्रेस नेतृत्व को इसे ध्यान से पढ़ना चाहिये और अमल करना चाहिये।
यह स्वाभाविक है कि जब इतनी लम्बी वंश परम्परा रही है तो परिवार को अपने औलाद को स्थापित करने की ललक तो होगी ही। पर सिर्फ ललक और अन्धी ललक से कुछ नहीं होता। शानदार परिवार के शानदार परम्परा के इतिहास में उनके उन गुणों पर अमल करना चाहिये उनसे प्रेरणा लेनी चाहिये और वक्त की मांग के हिसाब ढलना चाहिये न की उनके इतिहास में डूबा रहना चाहिये। बार-बार अपने पूर्वजों को कांग्रेस नेतृत्व दुहराता रहता है अपने को उनके समक्ष बताने को उद्यत रहता है। पर जनता तो काम से परख करती है न कि अभिनय की।
मां का मोह कब से राहुल को अन्तराधिकार के रूप में तैयार कर रही है। याद होगा एक समय राहुल के लिये टयूटोरियल क्लास का एक टाइमटेबुल बनाया गया था। जिसमें कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता शामिल थे वे बारीबारी से राहुल की राजनीति पर क्लास लेते थे। पर राहुल कुर्सी तो चाहते है पर उसके अनुरूप मेहनत करने से बचते है। समाचारों में पढ़ने को मिलता रहता है जब पार्टी को किसी बैठक या किसी अन्दोलन के लिये राहुल की जरूरत होती है तो वे विदेश निकल जाते है। कुछ उनके पार्टी के सदस्य बताया करते थे जब कोई उनसे मिलने जाता था तो वे उसकी बात सुनते हुये अपने कुत्ते से खेलते रहते थे। यह उनमें किसी से सामना करने में आत्मविश्वास की कमी को दिखाता है। नेता वह जो अदना से अदना कार्यकर्ता को भी अहसास कराये की वह पार्टी के लिये बहुमूल्य है पार्टी को उसकी ज़रूरत है, पार्टी उससे लाभान्वित हो रही है।
किसी की कोरी नकल आदमी को जोकर बना देती है। राहुल का बार-बार मन्दिर जाना, माथे पर टीका लगाना, जनेऊ पहनना अभिनय लगता है। पहले तो नहीं करते थे। किसकी नकल करके कर रहे है सभी समझ रहे है। राहुल ने नयों को तरजीह देने के नाम पर सीनियर और टेलेन्टेड लोगों को दर किनार कर दिया है, वे अपनानित महसूस करते है। अपने इर्द गिर्द चापलसों की टीम खड़ी कितने है, जिनकी न तो कोई पकड़ है न इमेज है। अभी उनकी पार्टी के एक नेता ने कार्यकताओं को आदेश दिया है कि रामायण पाठ सुन्दर कान्ड पाठ, हनुमान चालिसा पाठ कराये। यह कोई राजनैतिक पार्टी है या धार्मिक मठ। कुछ राज्यों में जहां कांग्रेस का शासन है पर जहां इक्के दुक्के लोग जीत रहे है वे क्या पार्टी नेतृत्व के नाम पर जीत रहे हैं नहीं। उनकी खुदकी पकड़ है, उनका क्षेत्रीय प्रभाव है।
तात्पर्य यह है कि कांग्रेंस को उत्कृष्ट लोगो को आगे बढ़ाना चाहिये। नेतृत्व में परिवर्तन की जरूरत हो तो बदलना चाहिये। भाजपा में किराने नये लोग उत्कृष्ट पदों पर बैठाये गये है और बडी जिम्मेदारियां संभाल रहे है। मोदी अपने आप में एक मिसाल है निहायत साधारण आदमी सफलतापूर्वक देश की बागडोर संभाले हुये है और देश विदेश में लोकप्रिय भी है।
सोनिया जी को इस पर गंम्भीरता से सोचना होगा और अमल करना होगा अगर उन्हें कांग्रेस से सचमुच प्यार है। सही लोगो को आगे करना होगा। मोह पर टेलेन्ट को तरजीह देना होगा। कांग्रेस की शानदार लीगैसी है। नकल से बचे अकल से चले।