मां विंध्यवासिनी के क्षेत्र में मझवां विधानसभा सीट पर होने जा रहा उपचुनाव भी कम दिलचस्प नहीं है। यह सीट निषाद पार्टी के विधायक विनोद बिंद के भदोही से सासंद बन जाने के कारण खाली हुई है। अब इसको भाजपा ने अपने खाते में डाल लिया है। भाजपा ने जहां सुचिस्मिता मौर्य को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने डा. ज्योति बिंद को खड़ाकर दांव आजमा रही है। ऐसे में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच माना जा रहा है, लेकिन बसपा ने ब्राह्मण चेहरा देकर इसे त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है।
यहां सपा बसपा से तीन बार विधायक रह चुके रमेश बिंद की पुत्री डा. ज्योति बिंद के सहारे खाता खोलने की जुगत लगा रही है तो वहीं भाजपा अपने पुराने इतिहास को दोहराने के लिए जी-जान से लगी हुई है। इसी बीच बसपा ने ब्राह्मण चेहरा (दीपक तिवारी) देकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश के साथ ही अपनी खोयी जमीन को वापस लाने के लिये जुटी हुई है। अब कौन बाजी मारेगा, यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चल सकता है, लेकिन अभी कमल खिलने की उम्मीद ज्यादा दिखती है।
पिछली बार दूसरे नंबर पर थी सपा
पिछले विधानसभा चुनाव पर नजर दौड़ाएं तो वहां निषाद पार्टी से डा. विनोद कुमार बिंद ने 103235 मत पाकर जीत हासिल की थी। 42.07 प्रतिशत वोट शेयर के साथ उन्होंने समाजवादी पार्टी के रोहित शुक्ला को 33587 मतों से हराया था। रोहित शुक्ला को 69,648 मत मिले थे, जो कुल पड़े मत का 28.38 प्रतिशत था। वहीं बसपा की पुष्पलता बिंद को 52990 मत मिले थे। यह कुल पड़े मत का 21.59 प्रतिशत था। कांग्रेस के उम्मीदवार शिवशंकर चौबे को 3399 मत मिले थे, जो नोटा को 2746 मिले मत से कुछ ज्यादा रहे। आम आदमी पार्टी से खड़े शेषधर दुबे भी 2361 मत पाये थे।
वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में सुचिस्मिता मौर्या ने भाजपा से चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। उन्हें 107839 मत मिले थे। 44.90 प्रतिशत वोट शेयर के साथ इन्होंने बसपा के रमेश बिंद को 41,159 मतों से हराया था। बसपा उम्मीदवार को 66680 मत मिले थे। वहीं सपा उम्मीदवार रोहित शुक्ला को 44212 मत मिले थे, जो कुल पड़े मत का 18.41 प्रतिशत था। वहीं 2012 में बसपा के रमेश बिंद ने जीत हासिल की थी। रमेश बिंद को 83870 मत मिले थे। कुल पड़े मत का 40 प्रतिशत मत के साथ इन्होंने समाजवादी पार्टी के राजेन्द्र प्रसाद को 9729 मतों से हराया था। राजेन्द्र प्रसाद को 74141 मत मिले थे, जो कुल पड़े मत का 35 प्रतिशत था। वहीं प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से खड़े अखिलेश कुमार सिंह तीसरे नम्बर पर थे। उन्हें कुल मत 21589 मत मिले थे, जबकि भाजपा से खड़े चेत नारायण सिंह कुल 7464 मत क साथ चौथे नम्बर पर थे। उन्हें सिर्फ कुल पड़े मत का चार प्रतिशत मिला था।
कांग्रेस ने पहली बार दर्ज की थी जीत
पहली बार मझवां विधानसभा सीट पर 1952 में चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस के बेचनराम ने जीत दर्ज की थी। यहां बसपा भी पांच बार जीत हासिल कर चुकी है। सपा के पास यह सीट कभी नहीं रही है। रमेश बिंद डॉ. ज्योति बिंद के पिता हैं। रमेश बिंद को 2017 में सुचिस्मिता मौर्य ने चुनाव हरा दिया था।