एडटेक के 100 विज्ञापनों की अलग-अलग वर्गों के हितधारकों के समूह ने जांच की, जिसमें आठ भारतीय शहरों के 490 अभिभावक और छात्र शामिल थे
एडटेक का पैटर्न पारंपरिक शिक्षा जैसा ही है। इसमें क्लास में टॉप करने, पारंपरिक प्रतिनिधित्व और परीक्षा के नतीजों पर बहुत ज्यादा ध्यान देना, कुछ ऐसे पैटर्न हैं, जिसकी पहचान कर ली गई है
“रेज़” मॉडल का प्रस्ताव किया, जिसका कंपनियां इस्तेमाल कर सार्थक समाधान प्रदान कर सकती हैं
नई दिल्ली। द एडवरटाइजिंग स्टैण्डर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) ने एजुकेशन टेक्नोलॉजी सेक्टर (एडटेक) में विज्ञापनों और इसके अभिभावकों तथा छात्रों पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट का मकसद इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का हल करना और एडटेक सेक्टर के विज्ञापनों के लिए अवसरों को उभारना है। यह रिपोर्ट उन तरीकों की भी पहचान करती है, जिससे यह सेक्टर एडवरटाइजिंग के क्षेत्र में ज्यादा जिम्मेदार नजरिये को आकार दे सकता है और अवसरवादी विज्ञापनों के प्रचार और प्रसार से खुद को अलग कर सकता है, जिसे कई लोग समस्या प्रधान मानते हैं।
एडटेक में एक क्षेत्र के रूप में आधारभूत और शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से निपटने की पर्याप्त क्षमता है, इसलिए यह जरूरी है कि इस क्षेत्र में विज्ञापन इसकी क्षमता को कम न करें। इस इंडस्ट्री और इंडस्ट्री के बाहर हितधारकों के सक्रिय सहयोग से किए गए अध्ययन ने अवसरों और चुनौतियों की पहचान की और ऐसे प्रस्तावित ढांचे का सुझाव दिया, जो ज्यादा संतुलित ढंग से विज्ञापनों का प्रकाशन और प्रसार करने के लिए विज्ञापनदाताओं का मार्गदर्शन कर सकता है।
एडनेक्स्ट की स्टडी एएससीआई द्वारा की गई, जिसमें Sprint Studio.ai ने रिसर्च पार्टनर और यूनिसेफ ने नॉलेज पार्टनर के रूप में काम किया। प्रिंट, डिजिटल वीडियो, स्थिर माध्यम से दिए गए 100 एडटेक विज्ञापनों का अलग-अलग वर्गों से जुड़े हितधारकों ने विश्लेषण किया, जिसमें अभिभावक, छात्र, नीति निर्माता, शिक्षाविद, बाल विकास विशेषज्ञ के अलावा इंडस्ट्री में मार्केटिंग और क्रिएटिव फील्ड के प्रतिनिधि शामिल थे। यह अध्ययन दिल्ली, बेंगलुरु, इंदौर, कानपुर, पटना, कोल्हापुर, वांरगल और बर्धमान जैसे शहरों में किया गया।
विश्लेषण से यह सामने आया :
किसी एडटेक प्लेटफॉर्म का चयन करने में अभिभावकों की पसंद पर विज्ञापन काफी गहरा असर डालते हैं। 49 फीसदी अभिभावक विज्ञापनों के आधार पर ही अपने बच्चों के लिए किसी एडटेक प्लेटफॉर्म का चयन करते हैं।
पारंपरिक शिक्षा के विज्ञापनों की तरह एडटेक के विज्ञापन में भी नंबर और रैंक का खास ध्यान रखा जाता है। यहां भी सभी विषयों में गणित और विज्ञान का बोलबाला है।
81 फीसदी अभिभावक एडटेक के विज्ञापनों पर भरोसा करते हैं, जबकि 73 फीसदी अभिभावकों का मानना है कि इस तरह के विज्ञापन पढ़ाई का ज्यादा दबाव दिखाते हैं।
शिक्षा के क्षेत्र से इस मॉडल का समर्थन करने वाला कोई नहीं था और न ही कोई रोलमॉडल था।
लिंग, शारीरिक बनावट और मां की भूमिका से संबंधित पारंपरिक धारणाएं इन विज्ञापनों में उभरी।
इसमें कुछ सकारात्मक नतीजे भी हासिल हुए। इसमें से कुछ महत्वपूर्ण सकारात्मक नतीजों की पहचान की गई, वह ये थे:
पैरंट्स को लेकर बनाए गए विज्ञापनों का प्रतिनिधित्व स्टूडेंट्स को सपोर्ट करने वाले पार्टनर के रूप में किया गया। इन विज्ञापनों ने बच्चों की प्रगतिशील परवरिश के लिए सकारात्मक रोल मॉडल प्रदान किए (23 में से 21 विज्ञापन इस तरह के थे)
पैरंट्स और विशेषज्ञों का यह भी मानना था कि जो विज्ञापन किसी विषय के कॉन्सेप्ट को अच्छी तरह समझाने के इर्द-गिर्द घूमते थे, वह ज्यादा प्रगतिशील और मनोरंजक थे।
एडनेक्स्ट का अध्ययन इस क्षेत्र के इर्द-गिर्द संवाद और संपर्क को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तावित आधारभूत ढांचे का सुझाव देता है। इस अध्ययन को “रेज़” शीर्षक के तहत पेश किया गया। इस फ्रेमवर्क ने हितधारकों को कई ऐसे पैमाने प्रदान किए, जिसके आधार पर वह रचनात्मकता का मूल्यांकन करते थे। इस क्रम में वे ऐसे संदेशों का विकास कर सकते हैं, जिन्हें प्रगतिशील माना जा सकता है। फ्रेमवर्क में प्रदान की गई चेक लिस्ट गाइड को फॉलो करने से मार्केट में दुकानदारों और रचनात्मक विशेषज्ञों को अपने आप विज्ञापनों के शुरुआती चरण में अवधारणा की समीक्षा करने में मदद मिलेगी।
यह आधारभूत ढांचा छह सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें शामिल हैं
आर-पढ़ाई के साथ छात्रों का संबंध
ए-स्थितियों, वादों और दावों की प्रामाणिकता
आई- इसमें चरित्रों का समावेशी प्रतिनिधित्व होता है, जिससे लिंग, आयु, शारीरिक बनावट, विशेषताओं, व्यक्तित्व के प्रकार, पठन-पाठन के तरीके और क्षेत्रीयता को शामिल करते हुए विविधता को दिखाया जाता है।
एस-शिक्षा शास्त्र का दायरा, जहां पढ़ने-पढ़ाने के तरीकों की जानकारी दी जाती है और यह भी बताया गया है कि किस तरह वह संपूर्ण रूप से शिक्षा के नतीजों को सुधारने के लिए योगदान दे सकते हैं।
ई-इसमें रैंक और नंबरों से कहीं ज्यादा छात्रों को सर्वांगीण और संपूर्ण विकास के लिए एक्सिलेंस मार्कर्स पर फोकस किया जाता है।
एएससीआई की सीईओ और महासचिव मनीषा कपूर ने बताया, “हाल ही में एडटेक एक बहुत ही महत्वपूर्ण सेक्टर के रूप में उभरा है। खासतौर से महामारी के युग में इस सेक्टर का महत्व उभरकर सामने आया, जब पैरंट्स ने बच्चों को शिक्षा दिलाने में इन एडटेक कंपनियों की मदद ली। एडटेक में आधारभूत ढांचे और कंटेंट सबंधी चुनौतियों को सुलझाकर शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है। हालांकि एक तरफ संवेदनशील अभिभावकों और छात्रों की खास विषमता और दूसरी ओर विशाल संगठनों को देखते हुए यह जरूरी है कि विज्ञापनों का जिम्मेदारीपूर्ण तरीके से प्रकाशन और प्रसार किया जाए और वह अभिभावकों और छात्रों की संवेदनाओं का शोषण न कर सके। एडटेक विज्ञापनों के पास शिक्षा का सकारात्मक और भविष्यवादी नजरिया उभारने के बेमिसाल अवसर है, जिससे सभी को आकर्षित करने वाली ब्रैंड स्टोरीज भी बनेंगी। इससे आत्मविश्वास से लैस शिक्षा के तरह-तरह के आयामों में निपुण छात्रों की प्रतिभा का विकास होता है।”
इंडियन एड-टेक कंसोर्टियम के चेयर और अपग्रेड के सह-संस्थापक मयंक कुमार ने कहा, “एडनेक्स्ट की रिपोर्ट एडटेक सेक्टर के विशाल पैमाने पर प्रकाश डालती है। इसी तरह यह रिपोर्ट इंडस्ट्री में विज्ञापनों का मानदंड बढ़ाने की आवश्यकता को भी उभारती है। इसके साथ ही रोडमैप भी प्रदान करती है कि यह लक्ष्य किस तरह हासिल किया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया है कि छात्रों, अभिभावकों और अध्यापकों ने एडटेक प्रॉडक्ट्स के लाभ को स्वीकार कर लिया है। एएससीआई के साथ की गई हमारे इस गहन शोध से इंडस्ट्री को स्पष्ट तस्वीर हासिल करने में मदद मिलेगी कि किस तरह यह क्षेत्र विज्ञापनों के जिम्मेदारी से प्रकाशन और प्रसार से लाभान्वित हो सकता है, जिसके लिए वह पहले से ही काम कर रहा है।”
इंडियन एडटेक कंसोर्टियम के को-चेयर और बायजूस के सह-संस्थापक दिव्य गोकुलनाथ ने कहा, “एडनेक्स्ट की रिपोर्ट में यह खासतौर पर उभारा गया है कि आमतौर पर सभी पैरंट्स उन विज्ञापनों की सराहना करते हैं और उसे पसंद करते है, जिसमें बच्चों को पढ़ाई में दिलचस्पी लेते हुए दिखाया जाता है। यही वह चीज है, जिसके लिए हम जीते हैं, काम करते हैं और विज्ञापनों में देखना चाहते हैं। हम मूलभूत सिद्धांतों के आधार पर मजबूत और ठोस संबंध बनाने को प्राथमिकता देते हैं। विज्ञापनदाता स्वाभाविक रूप से यूजर्स को अपने प्रॉडक्ट से हासिल हुए अच्छे नतीजे को उभारते हैं। एडटेक इंडस्ट्री सभी समय पर एक संतुलित तस्वीर पेश करती है। एडटेक इंडस्ट्री अपनी शैशवास्वथा में है, जिसका लगातार विकास हो रहा है, हमें लगातार यह प्रयास करना चाहिए, जिससे हम पढ़ाई को सभी लोगों के लिए बेहद प्रभावशाली बना सकें। जब-जब हम लगातार विकास कर रहे हैं और अपने में सुधार कर रहे हैं तो एएससीआई की यह पहल हमें ज्यादा जिम्मेदारी से और ज्यादा प्रभावी ऐड कैंपेन बनाने में मदद करेगी।”
पूरी स्टडी यहां पढ़ें : https://ascionline.in/ednext-study.pdf
एडवर्टाइजिंग स्टैण्डर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया ( (एएससीआई) के विषय में
एडवर्टाइजिंग स्टैण्डर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया ( (एएससीआई) की स्थापना 1985 में की गई। यह विज्ञापन के क्षेत्र में स्वनियमन के लिए प्रतिबद्ध है। यह उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। एएसआईसी यह सुनिश्चित करने की कोशिश करता है कि विज्ञापन स्वनियमन के मानक की कसौटी पर खरे उतरें, जिसके लिए विज्ञापनों का कानूनी दायरे में होना, सौम्यता, खूबसूरती और ईमानदारी से अपना संदेश पहुंचाना, विज्ञापन में किए गए दावों के प्रति ईमानदारी बरतना और हानिकारक न होना मुख्य जरूरत है। यह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा में यकीन रखता है। एएससीआई मीडिया के सभी क्षेत्रों के खिलाफ मिली शिकायतों की समीक्षा करता है. जिसमें प्रिंट, टीवी, रेडियो, होर्डिंग, एमएमएस, ई-मेल, इंटटरनेट, वेबसाइट, प्रॉडक्ट की पैकेजिंग, ब्रोशर, प्रमोशनल मटीरियल और पॉइंट ऑफ सेल मटीरियल शामिल है। जनवरी 2017 में भारत की सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में भारत में टीवी और रेडियो के लिए विज्ञापन के कंटेंट का नियमन करने वाली स्वनियमन प्रणाली की पहचान और पुष्टि की। इसे वैधानिक दायरे में विज्ञापन का निर्माण करने और इसमे मानकों का उल्लंघन न होने देने के लिए प्रभावी कदम माना गया। एएससीआई की भूमिका की सभी लोगों ने सराहना की है, जिसमें विभिन्न सरकारी निकाय, उपभोक्ता मामलों के विभाग (डीओसीए), खाद्य सुरक्षा और भारतीय मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई), आयुष मंत्रालय तथा सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) शामिल हैं। एमआईबी ने स्क्रॉलर के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें एएससीआई का वॉट्सअप के लिए बिजनेस नंबर 77100 12345 प्रदान किया गया है। इसे सभी टीवी ब्रॉडकास्टर्स अपने-अपने चैनल पर दिखाएंगे, ताकि उपभोक्ता आपत्तिजनक विज्ञापनों के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। 2021 में अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर एएससीआई की सीईओ और महासचिव मिस मनीषा कपूर को विज्ञापन के स्वनियमन के लिए गठित इंटरनेशनल काउंसिल की कार्यकारी समिति का अध्यक्ष बनाया गया। यूरोपियन एडवजरटाइजिंग स्टैण्डर्ड्स अलायंस (ईएएसए) की ओर से एएससीआई को कई पुरस्कारों से नवाजा गया। एएससीआई को इसके मोबाइल ऐप “एएससीआईऑनलाइन” (2016) के लिए गोल्ड ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिस अवॉर्ड मिला। 2019 में एएससीआई की मेजबानी में हुए विज्ञापन के प्रभावी स्वनियमन के लिए पहले ग्लोबल अवॉर्ड में ऐड वर्ल्ड में शामिल सेलिब्रिटीज के लिए जारी दिशा-निर्देशों को विशेष पहचान मिली। 2021 में एएससीआई ने दो आईसीएएस पुरस्कार भी जीते। इनमें से पहला पुरस्कार संस्था को उपभोक्ताओं को जागरूक करने की सर्वश्रेष्ठ पहल के रूप में दिया गया। इसके अलावा विशेष श्रेणी में एनएएमएस की पहल से डिजिटल माध्यम पर विस्तृत रूप से स्वत: निगरानी रखने के लिए भी एएससीआई को पुरस्कार दिया गया। एएससीआई को अपने प्रयासों और गेमिंग के दिशा-निर्देशों की नियामक पहचान के लिए “बेस्ट सेक्टोरल इनीशिएटिव” की श्रेणी में विशेष रूप से जिक्र किया गया।