एस एन वर्मा
शिव सेना के नाम और निशान तय करने का मामला चुनाव आयोग के पास था। चुनाव आयोग ने मामले पर विचार कर फैसला दिया कि जिसके पास बहुमत होगा उसे ही शिवसेना का पुराना निशान मिलेगा। अब शिवसेना का निशान शिन्दे गुट को मिल गया है तो शिन्दे गुट ही असली शिवसेना पार्टी होगी। फैसले ने शिन्दे गुट में असीम उत्साह भर दिया है। स्वाभाविक ठाकरे गुट को उतनी ही निराशा मिली है। बाल ठाकरे का पुत्र होने के नाते उद्वव ठाकरे पार्टी पर अपना अधिकार मान रहे थे। पार्टी के अधिकार को लेकर दो गुटों में पहले भी विवाद हुये है पर कोर्ट ने बहुमत को ही आधार माना। इस समय शिन्दे गुट के पास 60 में से 47 एमएलए है, और 22 में से 13 एमएलसी है। अब शिन्दे गुट शिवसेना पर कानूनी मान्यता पाने बाद शिवसेना के शाखाओं और सम्पित्तियों को भी अपने नेतृत्व में लाने के लिये जी तोड़ कोशिश करेगी। उद्वव ठाकरे मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रहे है। पर सुप्रीम कोर्ट से इतर कोर्ट में ये मामले बहुमत के आधार पर ही तय हुये है इसलिये उम्मीद नहीं लगती है उद्वव ठाकरे के सुप्रीम कोर्ट में अपील से उन्हें कोई फायदा मिलेगा। वैसे वे अपने गुट को शिन्दे गुट से लड़ने के लिये ललकार रहे है।
शिन्दे गुट ने कहा है कि शिवसेना मुख्यालय भवन जो दादर में है उस पर अधिकार के लिये दावा नहीं किया जायेगा। वैसे भी यह भवन ट्रस्ट का है इससे कब्जा नही कर पायेगा। पर जहां तक शाखाओं की बात है उनके भवनों की बात है वे स्थानीय नेताओं के है इससे शिन्दे गुट इन शाखाओं और भवनों पर कब्जा जमाने के लिये जोर लगा देगा। उद्वव ठाकरे इसे रोकने की कोशिश में जोर लगायेगे। उद्वव ठाकरे की पकड़ पार्टी पर कमजोर है क्योकि चुने हुये प्रतिनिधि का बहुमत शिन्दे गुट के पास है। उनके नेतृत्व में कोई आकर्षण भी नहीं दिखता है। वही रटी रटायी बातें करते रहते है। उनके गुट के लोग अब भी उनका दामन छोड़ शिन्दे गुट की ओर बढ़ रहे है। पिता की विरासत को उद्वव ठीक से सभाल नहीं पा रहे है। वरना पार्टी के ज्यादातर विधायक शिन्दे के साथ चले गये उन्हीं इसकी खबर नहीं थी। अब शिन्दे गुट के लिये शिवसेना के लोगो की वफादारी पाना आसान हो जायेगा। शिन्दे गुट इस अपना विशेष जोर लगायेगा। क्योकि चुनाव कमीशन के फैसले ने इनमें आत्मविश्वास भर दिया है जो हिलौरे मार रहा है।
शिन्दे गुट और फायदे न ले पाये इसके लिये उद्वव ठाकरे वृहद और आक्रमक तैयारी में जुट गये है। अपने लोगो का शिन्दे गुट से निपटने के लिये ललकार रहे है। अब समय ही बतायेगा उनकी ललकार कितनी कामयाब होगी। उद्वव ठाकरे कह रहे है चुनाव आयोग केवल पार्टी चिन्ह पर फैसला दे सकता है बाकी पार्टी से सम्बद्ध चीजों के बारे में नहीं। उद्वव ठाकरे कह रहे है सभी शाखाये पार्टी की है और वहां शिवसैनिक तैनात रहेगे। किसी को घुसपैठ नहीं करने देगें। शाखाओ और उनसे सम्बन्ध सम्पत्तियों को लेकर टकराव बढ़ने की आशंका है। उद्वव पिता की पूजी को इस तरह अपने हाथ खिसकने नहीं देगे। पर शिव सेनिकों और शिवसेना समर्थको के रूख से ही पता चलेगा और उनके निरार्णयो में ही स्पष्ट होगा कि वे असली शिवसेना शिन्दे गुट को मानती है या उद्वव गुट को।
मुम्बई महानगर पालिका का चुनाव होने जा रहा है यह चुनाव निकट के कुछ महीनो में ही होने जा रहा है। मुम्बई महानगर पालिका शिवसेना का सबसे मजबूत किला अब तक रहा है। यह चुनाव जिस गुट के पक्ष में जायेगा उस गुट के लिये यह बहुत बड़ा टानिक होगा। शिवसेना के हाथ से अगर यह महानगर पालिका निकलती है तो इसका बहुत लम्बा असर होगा और दोनो गुटो के बीच यह बहुत निर्णायक साबित होगे। दोनो गुट इस तथ्य से पूरी तरह वाकिफ है। इसीलिये दोनो गुट अपनी ताकत इस चुनाव में झोेकने को तैयार है। दोनो गुटो ने प्रयासो में तेजी ला दिया है। उद्वव ठाकरे अपने पक्ष मजबूत करने के लिये प्रकाश आडबेडकर के नेतृत्व वाले रिपब्लिकन पार्टी का दामन थाम उससे गठबन्धन कर चुके है। उद्वव ठाकरे गुट एमवीए के दूसरे घटक दलों पर ध्यान नहीं दे रहा है। उसे रिपब्लिकन पार्टी के साथ का गठबन्धन लगता है ज्यादा अश्वस्त कर रहा है। इधर शिन्दे गुट उद्वव ठाकरे के विश्वाघात की बात कर शिन्दे गुट शिवसैनिको और शिवसेना समर्थको के बीच अपने प्रति सहानुभूति जगाने में लगे हुये है।
शरद पवार उद्वव ठाकरे का मनोबल बढ़ाने में लगे हुये है। वे उन्हें पूरे जोर शोर से पूरी तैयारी के साथ चुनाव में उतरने के लिये प्रोत्साहित करने में लगे हुये है। नतीजा तो चुनाव के बाद ही आयेगा। दोनो गुटो की लड़ाई क्या क्या रूप लेती है देखने को मिलेगा। यह तो यह है जिस गुट को इस लड़ाई में विजय मिलेगी उस गुट का मनोबल इतना बढ़ जायेगा कि वह शिवसेना का सही उत्तराधिकारी अपने को मानने लगेगा। परिस्थितियों चाहे जो भी हो पर शिन्दे गुट का उत्साह देखने लायक है। उम्मीद है भाजपा को यह फैसला पसन्द आया होगा।