सबूतों के आधार पर हो रही मणिपुर में गिरफ्तारियां

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इंफाल। इस साल मई से मणिपुर में जातीय झड़पें हो रही हैं। इसको लेकर एनआईए और सीबीआई (NIA, CBI) लगातार गिरफ्तारी भी कर रही है। आदिवासी समूहों ने एनआईए और सीबीआई पर मनमानी का आरोप लगाया है, लेकिन केंद्रीय एजेंसियों ने सोमवार को कहा कि अशांत राज्य में की गई हर गिरफ्तारी जांच टीमों द्वारा एकत्र किए गए सबूतों पर आधारित हैं।

जांच एजेंसियों ने कहा कि यहां काम कर रहे एनआईए और सीबीआई अधिकारियों को 2015 में सेना के जवानों पर हुए हमलों सहित विभिन्न मामलों में जांच पूरी करने के कठिन काम का सामना करना पड़ रहा है।

कुकी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फ्रंट (आईटीएलएफ) द्वारा लगाए गए आरोपों का दोनों जांच एजेंसियों ने खंडन किया है। अधिकारियों ने कहा कि किसी भी समुदाय, धर्म या संप्रदाय के खिलाफ कोई पक्षपात नहीं दिखाया गया है और केवल भारतीय दंड संहिता की नियम पुस्तिका का पालन किया जा रहा है।

अधिकारियों ने हाल ही में एक आदिवासी सेमिनलुन गंगटे की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए कहा कि वह 21 जून को बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा इलाके में हुए एसयूवी विस्फोट मामले में मुख्य आरोपियों में से एक है। आरोपी को अभी एनआईए की हिरासत में भेज दिया गया है। अधिकारियों ने कहा कि आधारहीन आरोप केवल जांच भटकाने और आम जनता के बीच भ्रम पैदा करने के लिए लगाए जा रहे हैं।

22 सितंबर को एनआईए ने मोइरांगथेम आनंद सिंह को एक अलग मामले में इंफाल से गिरफ्तार किया था। सिंह को चार अन्य लोगों के साथ मणिपुर पुलिस ने पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हालांकि, सभी पांचों को जमानत मिल गई, लेकिन सिंह को एनआईए ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। अधिकारियों ने कहा कि उसे दिल्ली लाया गया और उचित कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है।

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