सेना प्रमुख ने भूमि युद्ध अध्ययन केंद्र (सीएलएडब्ल्यूएस) की स्थापना के उत्कृष्ट 15 वर्ष पूरे होने पर बधाई दी
भूमि युद्ध अध्ययन केंद्र (सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज – सीएलएडब्ल्यूएस) ने 18 नवंबर 2020 को अपनी स्थापना के उत्कृष्ट 15 वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारतीय सेना से जुड़े इस थिंक टैंक की शुरुआत वर्ष 2005 में हुई थी, जिसने अब यह उपलब्धि हासिल कर एक मील का पत्थर स्थापित किया है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर सीएलएडब्ल्यूएस ने एक सेमिनार सह वेबिनार का आयोजन किया, जिसका विषय था “चीन के बढ़ते जोखिम पर विशेष ध्यान के साथ – साथ युद्ध के परिवर्तित कार्यक्षेत्र”।
थल सेना के प्रमुख और सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज के संरक्षक जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने इस आयोजन को संबोधित किया। अपने उद्बोधन के दौरान उन्होंने विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में क्षमता निर्माण बढ़ाने, कोर क्षमताओं को मजबूत करने और रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला। इस मौक़े पर सेना प्रमुख ने “स्कॉलर वारियर अवार्ड” प्रदान किए और साथ ही भूमि युद्ध अध्ययन केंद्र – सीएलएडब्ल्यूएस की शीत कालीन पत्रिका – 2020 का संस्करण भी जारी किया।
सेना प्रमुख ने सीएलएडब्ल्यूएस-फ्रेटर्निटी द्वारा उठाई गई पथ प्रदर्शक पहलों की सराहना की, जिसमें संस्थान में फील्ड मार्शल मानेकशॉ निबंध प्रतियोगिता का आयोजन भी शामिल है, जो युवाओं के बीच रणनीतिक संस्कृति को बढ़ावा देती है। इसके अलावा उन्होंने क्षेत्रीय यात्राओं पर आधारित शोध, इन्द्रास्त्रा ओपन में सीएलएडब्ल्यूएस पत्रिका का सार और सूची आधारित जर्नल सिस्टम तथा कई अन्य जनों के बीच रणनीतिक दृष्टि पहल का भी ज़िक्र किया। सेना प्रमुख ने सीएलएडब्ल्यूएस फ्रेटर्निटी की प्रतिबद्धता और बदलते सुरक्षा प्रतिमान में भारत की रणनीतिक तथा सैन्य सोच को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने एवं राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की दिशा में उनके प्रयासों की सराहना की।