राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहने पर क्या सपा से नाराज हैं राजपूत? सांसद वीरेंद्र सिंह ने दिया ये जवाब

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सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने 16वीं शताब्दी के राजपूत राजा राणा सांगा पर विवादित बयान दिया। उन्होंने राणा सांगा को गद्दार कहा। अब उनके इसी बयान पर सियासी हंगामा मचा है। उत्तर प्रदेश की चंदौली लोकसभा सीट से सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने पूरे मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पिछले 10 साल में क्या किया है… इस पर बात होनी चाहिए।

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने राजपूत राजा राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहा। अब सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने बाबर और राणा सांगा विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकना चाहती है। इसलिए ही इतिहास के पन्नों को पलटने में जुटी है।

आईएएनएस के साथ एक इंटरव्यू में सपा सांसद वीरेंद्र सिंह ने खुलकर पूरे मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी नेता की टिप्पणी के बाद क्या राजपूत समाज नाराज है?

सवाल: आपकी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने राणा सांगा को गद्दार और बाबर का सहयोगी बताया है। इस पर आप क्या कहेंगे?

भाजपा के पास कहने को कुछ नहीं बचा है। अब वह इतिहास के पन्ने पलटने में जुटी है। वह (भाजपा) उन क्रूर शासकों की बात कर रही है, जिन्होंने अपने शासन में लोगों पर अत्याचार किए। ऐसे में हमने सरकार से कहा है कि वह इतिहास के पन्ने पलटने की बजाय बताए कि पिछले 10 सालों में उसने क्या किया है?

उन्होंने वादा किया था कि 15 लाख रुपये खातों में आएंगे और कालाधन वापस लाया जाएगा। उन्हें इस पर बात करना चाहिए। यह भी कहा था कि हर साल दो करोड़ लोगों को नौकरी मिलेंगी। देश की अर्थव्यवस्था रसातल में जा रही है। लोग कैसे खुश हो, लोगों के चेहरों पर मुस्कान कैसे लाई जाए, इस पर चर्चा की जानी चाहिए। मगर वे इतिहास के पन्नों को पलटने में जुटे हैं। इसे बदलने की ताकत न तो उनके पास है और न ही किसी सियासी दल के पास है।

सवाल: राणा सांगा के बारे में आप क्या सोचते हैं?

जवाब: जहां तक ​​मैंने राणा सांगा के बारे में सुना है, वे एक वीर योद्धा थे। उन्होंने जितने भी युद्ध लड़े, उनमें जीत हासिल की। ​​राजपूत समाज को राणा सांगा पर गर्व है। मगर जयचंद पर नहीं और जहां तक ​​मैंने सुना है। हमारे सांसद ने सदन के अंदर भी जयचंद का नाम लिया था। मगर मीडिया ने जयचंद को हाईलाइट नहीं किया। सिर्फ राणा सांगा के बारे में बात करके माहौल को गर्म करने की कोशिश की। यह ठीक नहीं है।

सवाल: राणा सांगा मामले में भाजपा ने सपा पर हमला बोला है। आप क्या कहना चाहेंगे?

जवाब: जब इतिहास के पन्ने पलटे जाएंगे तो वे दिन भी याद करने होंगे… जब छत्रपति शिवाजी महाराज का अभिषेक होना था। तब किस समाज के लोग बाएं पैर के अंगूठे से तिलक लगाते थे। उन्हें हाथ से छूना पसंद नहीं था। यह भी इतिहास में लिखा है, क्या इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए? मैं यह कह रहा हूं कि हम कुछ नहीं बदल सकते।

इतिहास के वे पन्ने सिर्फ अध्ययन के लिए हैं कि कौन राजा कैसा था? हम उनका महिमामंडन करें या उनके खिलाफ आपत्तिजनक माहौल बनाएं, इससे देश का भला नहीं होने वाला है। भाजपा इन मुद्दों को उठाकर सिर्फ माहौल खराब करने का प्रयास करती है ताकि लोगों का ध्यान असली मुद्दों से भटका सके।

सवाल: रामजी लाल सुमन का अखिलेश यादव ने भी समर्थन किया। क्या राजपूत आपकी पार्टी से नाराज नहीं हैं?

जवाब: मैंने इतना सुना था कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने रामजी लाल सुमन से कहा था कि इतिहास के पन्ने खोदने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने न तो उनका समर्थन किया और न ही विरोध। उन्होंने (अखिलेश यादव) उन्हें सलाह दी कि हमें इतिहास के पन्नों को पलटने से बचना चाहिए। यह देखना चाहिए कि क्या घटनाएं हुईं थी?

सवाल: क्या महाराणा प्रताप अकबर से हारे थे?

जवाब: कई सौ साल तक लड़ाइयां लड़ी गईं। हल्दीघाटी का युद्ध सबसे प्रसिद्ध युद्ध में से एक है। महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाना पसंद किया था। मगर किसी मुस्लिम शासक के सामने झुकना पसंद नहीं किया। राजपूत समाज को इस पर गर्व है। महाराणा प्रताप के बारे में गर्व के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता।

सवाल: क्या बाबर दयावान शासक था?

जवाब: बाबर का इतिहास लिखने वालों ने कुछ पन्नों पर उसके बारे में अच्छी बातों का उल्लेख किया है। मगर इतिहास में कई ऐसे पन्ने भी हैं जिनमें उसे आक्रमणकारी बताया गया है। यह इतिहासकारों पर छोड़ देना चाहिए कि वे इतिहास लिखते समय कितनी ईमानदारी दिखाते हैं। यह बहस का विषय हो सकता है।

यह शोध का विषय हो सकता है लेकिन चर्चा का विषय नहीं हो सकता।

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