पचास से कम है जिले में प्रशिक्षित पैरावेटों की संख्या, पशु चिकित्सा अधिकारी और पशु धन प्रसार अधिकारी के सौ से अधिक पद खाली
स्टाफ की कमी के कारण पशु पालन की ओर से शुरू किया गया। गलाघोंटू टीकाकरण अभियान स्टाफ की कमी के कारण पूरा नहीं हो पाया है। खुरपका और मुंहपका रोग से बचाव को टीकाकरण के लिए शासन की ओर से विभाग को वैक्सीन उपलब्ध करा दी गई है।पैरावेट की संख्या बहुत कम होने के कारण गांवों में टीकाकरण अभियान शुरू नहीं हो पा रहा है।
गलाघोंटू के टीकाकरण के लिए शासन की ओर से 396000निर्धारित था। स्टाफ की कमी के कारण अभी लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। अभी तक लगभग 80फीसदी टीकाकरण हुआ है।
इस टीकाकरण के साथ ही बारिश के मौसम में पशुओं को खुरपका और मुंहपका से बचाव को टीके लगाए जाने हैं।यह टीकाकरण अभी प्रारम्भ नहीं हो पाया है।
स्टाफ के अभाव में जिले में पशु चिकित्सा और गोवंशों के संरक्षण का काम प्रभावित है।175कार्मिकों की जगह 56लोग ही काम कर रहे हैं। दो विकास खंडों में पशु चिकित्सा अधिकारी भी नहीं है। क्रियाशील पैरावेट की संख्या काफी कम होने के कारण पशुओं के टीकाकरण का काम प्रभावित है।
शासन की ओर से पशुओं में होने वाली गलाघोंटू और खुरपका बीमारी पर नियंत्रण को 31मई से 15जुलाई तक टीकाकरण अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। स्टाफ की कमी से ब्लाकों में टीकाकरण कैम्प नहीं आयोजित हो पाए हैं।
जो किसान अपने बीमार पशु को लेकर अस्पताल और कृषि सेवा केन्द्रों तक पहुंच रहे हैं, उन्ही का टीकाकरण हो पा रहा है। टीकाकरण के लिए पैरावेट को प्रति पशु तीन से पांच रुपए दिए जाते हैं। क्रिया शील पैरावेट कम संख्या में होने के कारण गांवों में टीकाकरण नहीं हो पा रहा है।
विभागीय आंकड़ों पर भरोसा किया जाए तो वैक्सीनेशन लक्ष्य के सापेक्ष लगभग पैंसठ फीसदी हो चुका है।