बाल विधा मंदिर मे शिक्षा संगोष्ठी का आयोजन किया गया

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बाल विद्या मंदिर में शिक्षा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कुलपति पुनरुत्थान विद्यापीठ इन्दुमति काटदरे रहीं जबकि विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी डॉ राजेन्द्र पैंसिया रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की तस्वीर पर पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्ज्वलित कर की गयी। कार्यक्रम के अन्तर्गत मुख्य अतिथि कुलपति इन्दुमति काटदरे ने संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार की देश या राष्ट्र की शिक्षा व्यवस्था होती है, उसी प्रकार का देश या राष्ट्र होता है। व्यक्ति वैसा ही होता है जिस प्रकार की उसको विद्या प्राप्त होती है। भारत प्राचीन काल में विश्वगुरु था तो केवल यहाँ के आचार्यों के कारण।

उन्होंने बताया कि हमारे प्राचीन उपनिषद तैत्तरीय उपनिषद में शिक्षक एवं विधार्थी का संबंध कैसा हो तथा अध्ययन के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि भारत का ज्ञान हमेशा विश्वव्यापी रहा है। सर्वप्रथम हमें भारत को जानना चाहिए ( भारत को जानो) कि भारत देश प्राचीन काल से ही विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में आगे रहा है। भारत प्राचीन काल से ही अच्छा इस्पात बनाना जानता था। कपड़ा बनाने की विद्या ,प्राकृतिक रंग बनाने ,कागज बनाने की कला ,प्राकृतिक स्याही आदि में दक्ष रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को मानों भारत एक प्राचीन संस्कृति है। भारत श्रेष्ठ है। छात्रों को भारत को मानना सिखाना चाहिए। भारतीय बनों ।

विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी ने पुनरुत्थान विद्यापीठ के विषय में जानकारी दी ।उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान परम्परा पर पुनरुत्थान विद्यापीठ द्वारा ग्रंथों का लेखन का कार्य किया। 1051 ग्रंथों का प्रतिपादन किया गया। जिलाधिकारी ने नैमिषारण्य का उल्लेख किया और उन्होंने कहा कि ऋषि शौनक द्वारा यहाँ तप किया गया तथा तप के बाद जो ज्ञान प्राप्त हुआ उस ज्ञान को आगे बढाया। जिलाधिकारी ने कहा कि जैविक खेती की ओर हमको लौटना चाहिए। उन्होंने तीन सिद्वान्तों के विषय में बताया कि शिक्षा भारतीय होनी चाहिए तथा शिक्षा स्वायत्त होनी चाहिए तथा शिक्षकों पर आधारित होनी चाहिए तथा समाज द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।

शिक्षा अर्थ कारी एवं अर्थ निरपेक्ष होनी चाहिए। शिक्षा निशुल्क होनी चाहिए तथा कोई भेद नहीं होना चाहिए। उन्होंने शिक्षा के दो नियमों शिक्षा सार्वभौमिक तथा आजीवन होनी चाहिए उन्होंने शिक्षा के दर्शन के अंतर्गत कहा कि शिक्षा एकात्मकता वाली हो। उन्होंने कहा कि शिक्षा को मॉल नहीं बनना चाहिए तथा शिक्षक भी स्वाध्याय करें। शिक्षा के अंतर्गत आने वाली बाधाओं जैसे अज्ञान, अल्प ज्ञान, विपरीत ज्ञान ,हीनता बोध ,बुद्धि विभ्रम, अनुत्तरदायी भाव के विषय में भी बताया। विद्यालय के प्रबंधक अमिताभ गर्ग एवं प्रधानाचार्य मनीष पवांर द्वारा भी संबोधित किया गया। कार्यक्रम के अन्तर्गत भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2024 में जनपद से चयनित हुए देव डुडेजा एवं प्रत्यक्ष वार्ष्णेय के माता पिता को कुलपति इन्दुमति काटदरे एवं जिलाधिकारी द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। विद्यालय की ओर से मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि को भी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

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