अलीगढ़ मुसिलम विश्वविद्यालय के भाषा-विज्ञान विभाग में प्रोफेसर राजेन्द मेस्त्री, केप टाउन यनिवर्सिटी के द्वारा वेब टाक का आयोजन विश्वविद्यालय के सौ साल पूरे होने के उत्सव के अवसर पर वेब टाक का आयोजन किया गया । भाषाविज्ञान विभाग के प्रभारी, प्रोफेसर मोहम्मद जहाँगीर वारसी के स्वागत संबोधन में वक्ता का संक्षिप्त परिचय देते हुए बताया कि प्रोफेसर राजेन्द मेस्त्री अन्य शैक्षणिक और प्रशासनिक भार को संभालने के अतिरिक्त दक्षिणी अफरीका भाषावैज्ञानिक सोसाइटी और भाषाविज्ञान की अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभारी भी रह चुके हैं और उनकी भाषाविज्ञान के महत्वपूर्ण विषयों से संबंधित कई पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं।
भारत से लोगों का प्रवास, प्रवास के प्रकार और कारण और उनसे संबंधित सामाजिक भाषाविज्ञान पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर राजेन्द मेस्त्री ने अपने व्याख्यान का आरंभ किया । उन्होंने भारत से होने वाले प्रवास के चार प्रकारों की चर्चा की जिसमें औपनिवेशिक युग दक्षिणी भारत और उत्तर-पूर्व भारत से अनुबंधित मजदूरों और गुलामों का प्रवास चर्चा का मुख्य विषय था।
प्रोफेसर मेस्त्री ने दक्षिणी अफ्रीका में होने वाले भाषा के स्थानांतरण और बदलाव के अतिरिक्त सूरीनाम, मारिशस, गुयाना, त्रिनिदाद, जैसे देशों में बोली जाने वाली हिन्दुस्तानी भाषाओं में होने वाले बदलाव को भी सामने रखा । प्रोफेसर ने भोजपुरी, अवधि, हिंदी और उर्दू भाषाओं के मेल से जन्मी कोइनी बोलियों की भी चर्चा की । कोइनी बोलियां वह बोलियां हैं जिनका जन्म सामान भाषा परिवार की बोलियों के मेल से होता है । प्रोफेसर मेस्त्री ने अपनी चर्चा के अंत में बिहार में भोजपुरी के हालात पर भी रौशनी डाली। उन्होंने ने इससे संबंधित विभिन्न शोध का हवाला देते हुए बताया की किस प्रकार भोजपुरी बोलने वाले बिहार के युवकों का रुझान हिंदी व उर्दू भाषाओं की ओर बढ़ रहा है। भाषाविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर एस. इम्तियाज हसनैन ने प्रोफेसर मेस्त्री को उनके शानदार व्याख्यान के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया और साथ ही साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के श्रोतागणों को अपने प्रश्न पूछने का भी मौका प्रदान किया।
भाषाविज्ञान विभाग के रीडर और कार्यक्रम के आयोजक मसूद अली बेग ने कार्यक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया
AMU – विश्वविद्यालय के सौ साल पूरे होने के उत्सव के अवसर पर वेब टाक का आयोजन
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