अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनानी चिकित्सा संकाय केे तत्वाधान में ”इम्यूनोमाड्यूलेशनः यूनानी चिकित्सा में एक एकीकृत दृष्टिकोण”पर प्रथम आनलाइन अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। “इम्यूनोलाजी गोज़ वायरल“ पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए प्रोफेसर नदीम फजल (सीनियर इम्मुनोलाजिस्ट, बायो-मेडिकल साइंसेज, शिकागो स्टेट यूनिवर्सिटी, अमरिका) ने कहा कि अभी तक कोविड-19 से संबंधित किसी दवा को एफडीए द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया है। उन्होंने व्याखयान में बताया कि कैसे प्रतिरक्षा शाक्ति मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और इसे कैसे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने इम्यूनोलाजी के क्षेत्र में शोध करने वालों से आग्रह किया कि वह अपने शोध में सहयोग के लिये उनसे संपर्क करें।
यह कुलपति प्रोफेसर जहीरुद्दीन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि इस संगोष्ठी से प्रतिरक्षा विज्ञान के क्षेत्र में उच्च स्तरीय शोध का रास्ता प्रशस्त होगा। इस अवसर पर उन्होंने प्रोफेसर अब्दुल मन्नान, डीन, यूनानी मेडिसिन संकाय द्वारा लिखित दो पुस्तकों (मुआलिजात-ए-अमराज-ए-तनफ्फुस और मतब व नुस्खा नवीसी) का विमोचन भी किया।
प्रोफेसर सऊद अली खान (प्रिंसिपल, अजमल खान तिब्बिया कालिज) ने कहा कि यूनानी चिकित्सा पद्धति में मुफरद और मुरक्कब पद्धति की बहुत सारी दवाएं हैं जो कोविड-19 में सहायक साबित हो सकती हैं।
प्रोफेसर अब्दुल मन्नान (डीन, फैकल्टी आफ यूनानी मेडिसिन तथा चेयरमैन, आयोजन समिति) ने यूनानी मेडिसिन की बुनियादी बातों पर चर्चा की और संगोष्ठी के विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रोफेसर मोहम्मद अनवार (आयोजन सचिव) ने यूनानी चिकित्सा में मौजूद प्रतिरक्षा बूस्टर की अवधारणा पर एक परिचयात्मक नोट प्रस्तुत किया, जो कोविड -19 जैसी महामारी से प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि यूनानी चिकित्सा में इम्युनोमोडायलेटरी दवाओं की एक लंबी सूची है, हालांकि इनके उचित सत्यापन की आवश्यकता है ताकि इन दवाओं से जन स्वास्थ्य को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि ई-संगोष्ठी में भाग लेने के लिए 1300 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है।
प्रोफेसर कुंवर एम यूसुफ अमीन ने “उमूर-ए-तबियत तथा ह्यूमन इम्युनोलाजिकल काम्प्लेक्स के संबंध पर बात की जबकि प्रोफेसर गुलामउद्दीन सोफी (एनआईयूएम, बंेगलुरु) ने इम्यूनोमाड्यूलेशन तथा यूनानी चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले इम्युनोमाडूलेटरी ड्रग के बारे में अपनी समझ के बारे में बताया। डा० इफ्तिखार सैफी (यूनानी चिकित्सक, दुबई) ने “दवा के रूप में पोषण” पर बात की।
संगोष्ठी के बाद एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई।
डा० अब्दुल अजीज खान ने कार्यक्रम का संचालन किया जबकि डा० फारूक ए-डार (अध्यक्ष, तशरीह वा मुनाफेउल आज़ा) ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।