अमेरिका और चीन एक दूसरे से चिन्तित

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एस.एन.वर्मा

कूटनीति सैन्य नीति को लेकर अमेरिका और चीन एक दूसरे से चिन्चित है। कभी रूस की गणना होती थी पर अब चीन ही अमेरिका से टक्कर ले सकता है हर क्षेत्र में भारत तो चीन से 1962 से ही चिन्तित है जब चीन ने हिन्दी चीनी भाई भाई का नारा लगा कर भारत के पीठ में छूरा भोका था तब से चीन नियन्त्रण रेखा के पास भारतीय सीमा का पास कुछ न कुछ खुराफात करता आ रहा है। दोनो अपनी अपनी सेनायें एक दूसरे के आमने सामने लगाते रहते है। चीन कुछ निर्माण कार्य भी करता है विरोध पर कुछ गिरा भी देता है। दोनो में वार्ता भी होती है कुछ दोनो पीछे हट जाते पर फिर चीनी सेना आगे बढ़ने लगती है तो मजबूरन भारत को भी बढ़ना पड़ता है।
इस समय उत्तराखण्ड के औली में चीनी सीमा के पास भारत और अमेरिका का साझा सैन्य अभ्यास चल रहा है। चीन इसका विरोध कर रहा है। कह रहा है 1993 और 1996 के समझौते का उल्लंघन है। इस समझौते के सन्दर्भ में 2020 में भारत ने चीन तब चेताया था जब पूर्वी लद्दाख में एलएसी में विवादित क्षेत्रों में चीन ने बड़ी संख्या लगाने में अपने सैनिक का प्रयास किया था तब भारत ने कहा था यह आपसी समझौते का उल्लंघन है। अब साझा युद्धअभ्यास का चीन आपसी समझौते का उल्लंघन बता रहे है। चीन अमेरिका को भी धमकाया कि वह हमारे और भारत के सम्बन्धों में दखल न दें।
चीन अमेरिका और भारत दोनो के चेता रहा है की वे एक दूसरे करीब न जाये। चीन भारत को अमेरिका के करीब जाने से रोकना चाहाता है। जबकि अमेरिका भारत के सम्बन्ध पहले से चल रहे है। यह सोचता है अगर स्थिति बिगड़ती तो भारत अमेरिका के और करीब चला जायेगा इस लिये भारतीय सीमा पर तनाव कम करना चाहता है। मोदी से कुछ सम्बन्ध भी सुधारना चाहता है। पर चीन हर तरफ विस्तारवादी नीति अपना रहा है और साझा युद्ध अभ्यास भी चला रहा है। अपना सैन्य भन्डार अमेरिका को टक्कर देने के लिये बढ़ा रहा है। अमेरिका के पेन्टगन के रिपोर्ट के अनुसार चीन परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाता चला जा रहा है। अगर इसी तरह बढ़ाता रहा तो 2035 तक करीब 1500 परमाणु आयुघ भन्डार तैयार कर लेगा। अभी उसके पास 400 आयुघ भन्डार होने की सम्भावना है। चीन ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा है कि अमेरिका चीन से खतरे को बढ़ चाढ़ा कर पेश कर रहा है ताकि वह अपने परमाणु हथियार बढ़ाता रहे और अपना प्रभुत्व बढ़ाता रहे। सैन्य प्रभुता बनाये रखना अमेरिका का मकसद है। चीन ने अपने परमाणु नीति के बारे में कहा कि चीन की परमाणु नीति सुसंगत और स्पष्ट है।
पेन्टागन ने कहा चीनी गणराज्य तनाव कम करना चाहता है ताकि भारत अमेरिका के करीब न जाये। पर भारत जी-20 देशों के समूह का सदस्य है और इस साल उसका अध्यक्ष भी बनाया गया है। अन्य देशों के साथ अमेरिका रूस भी इसके सदस्य है, चीन इसका सदस्य नहीं है। जी-20 देशों का आपसी नज़दीकी बढ़ना स्वभाविक है।
अमेरिका के पेन्टागन ने अपनी रिपोर्ट बताया है कि 2021 के दौरान भारत से लगी सीमा पर चीन ने अपने सैन्य बलों की तैनाती बनाये रक्खा। एलसी पर बुनियादी ढ़ाचे का निर्माण भी जारी रक्खा। दरसल चीन भारतीय सीमा के आस-पास सैन्य प्रदर्शन भी करता रहता है। भारतीय सीमा के पास अपने ही इलाके में कुछ गांव भी बसाता जा रहा है। भारत से समझौते की बात भी करता है कुछ खास सहमति नही बन पाती है। सहमति तब बने जब चीन अपनी विस्तारवादी नीति छोडे। कुछ कदम पीछे चीन हट जाता है फिर वहीं आ जाता है।
अमेरिका और भारत का औली में जो युद्ध अभ्यास चल रहा है उसमें युद्ध का अभ्यास नही हो रहा है। बल्कि आपदा प्रबन्धन का अभ्यास हो रहा है। उत्तराखन्ड में दैवी आपदा बार बार होती रहती है। कभी हिमस्खलन, कभी हिमपात, कभी बादल फटना। यह ऐसा स्थान है ज्यादा आपदा के समय पहुचना बहुत मुश्किल होता है। वहां सेना ही पहुच सकती है। सबसे जरूरी घायलों के लिये अस्पताल की होती है। वहां समतल भूमि तो मिलती नही है। आनन फानन में तम्बू वगैरह गाड़कर अस्पताल स्थापित कर देते है। हर जगह भारतीय सेना ने राहत और बचाव अभियान के द्वारा लोगो की जान बचाई है। तुरन्त फुरत पील्ड अस्पताल तैयार कर घायलों को राहत दी है। मित्र देश भी आपदा में भारतीय सेना का लाभ उठाते है। इन्हीं सबके मद्देनजर भारतीय और अमेरिकी सैनिक साझा अभ्यास के जरिये देखा कि कैसे आपदा पर तुरन्त राहत और बचाव कार्य किया जा सकता है। पहले दो हफ्ते दोनो और के सैनिकों ने मिल कर एक्सटसाइज की फिर एक्सरसाइज में सीखी गई बातों का प्रौक्टिकल किया। अभ्यास में दो हालात रक्खे गये। पहला अगर अचानक बाढ़ जाये, दूसरा कोई पुल टूट जाये। ऐसे हालात में घायलों को निकलना तुरन्त इलाज दिलाना उनके लिये सारी मेडिकल सुविधाओं से लैस 24 घन्टे में फील्ड अस्पताल तैयार कर लेना बाढ़ में फसे को बाहर निकलना पहाड़ियों में फंसे लोगों को निकालने के लिये स्टैªचर को रस्सी बांधना फिर रस्सी के सहारे घायलों को सुरक्षित लेकर आना और इलाज के लिये पहुंचाना इसका अभ्यास हुआ। ब्रिज और सड़के टूट जाने की दशा में जिप लाइन और यूरोप ब्रिज बनाने का अभ्यास किया गया।
इस राहत के लिये हो रहे अभ्यास को लेकर चीन चिन्तित है और इसे समझौते का उल्लंघन बता रहा है। वह अपनी विस्तारवादी नीति बढ़ाता चला जा रहा है। जल, वायु और स्थल पर हर जगह सैनिक अभ्यास कर रहा है, खतरनाक हथियार उतार रहा है इसको सही नीति मानता है। पेन्टागन ने कहा है पीपल्स लिबरेशन आर्मी के 100 साल पूरा होने पर 2022 में चीन ताइवान पर कब्जा कर सकता है। इस समय चीन हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण की तैयारी में लगा है जो अति विनाशकारी मिसाइल होगी। चीन के इरादे इसी से स्पष्ट हो जाते है। वह नम्बर एक बनकर रहना चाहता है और अपने फायदे के लिये दूसरो को नुकसान पहुचाते रहना चाहता है। उसके इरादो में अमेरिका रोड़ा साबित होता है इसलिये अमेरिका खफा है वह उससे आगे बढ़ना चाहता है।

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