सरहद के साथ दिलों पर भी खिंची लकीरें

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अवधनामा संवाददाता 

प्रयागराज(Prayagraj)। बुनियाद नाट्य समारोह के दूसरे दिन कमलेश्वर की कहानी कितने पाकिस्तान पर आधारित नाटक ‘सफर’ की प्रस्तुति बुनियाद फाउंडेशन द्वारा की गई।

इसका नाट्य रूपांतरण निर्देशन तथा अभिनय शहर के युवा निर्देशक व अभिनेता असगर अली ने किया। नाटक की कहानी भारत-पाकिस्तान बंटवारे के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है, जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह से जो पाकिस्तान का बंटवारा हुआ वह सिर्फ एक भौगोलिक बंटवारा नहीं बल्कि दिलों का बंटवारा था। लोगों के दिलों के बीच जो दरारें आई उसे आज तक कोई पाट नहीं पाया। पाकिस्तान बनना एक काला अध्याय था जो हमेशा रहेगा। पूरी कहानी नाटक के पात्र मंगल को केंद्रित करके एक प्रेम कहानी के माध्यम से दिखाई गई है, कि कैसे उस व्यक्ति का प्रेम, बंटवारे के बीच दम तोड़ता नजर आता है और उसे उन सब पड़ाव से गुजरना पड़ता है जिसे उसने सपने में भी नहीं सोचा था। इन बातांे का नाटक के इस संवाद से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिसमे मंगल कहता है कि ‘पाकिस्तान कोई मुल्क नहीं बल्कि एक दुःखद सच्चाई का नाम है, जो हमारे एहसासों को कम कर देती है’ नाटक में प्रस्तुति नियंत्रक अंकित सिंह यादव, वस्त्र विन्यास आसिफ अली, बैक स्टेज अफजल अली, यश केसरवानी, प्रांशु पाण्डेय का रहा।

 

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