विकास खण्ड मड़ावरा की ग्राम पंचायत पिसनारी में भारी भ्रष्टाचार किये जाने के आरोप

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अवधनामा संवाददाता

जिलाधिकारी सहित आला अधिकारियों को शिकायती पत्र भेज पारदर्शितापूर्ण जांच की मांग
मनरेगा मे नाबालिगों के खातों में मेजी गई बड़ी धनराशि
पंचायत सचिव व स्वयम्भू प्रधान प्रतिनिधि बने दबंग पर भ्रष्टाचार किये जाने के आरोप

ललितपुर। जहां एक ओर योगी सरकार अति पिछड़े ग्रामों के विकास के लिए वचनबद्ध है और प्रधानों के खातों में धनराशि भेजकर गांव में विकास कार्य कराने के निर्दंश दे रही है। तो वहीं जनता द्वारा चुने गए ग्राम प्रधान और उनके प्रतिनिधि व पंचायत सचिव लगातार सरकारी धन का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार कर रहे हैं, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इसके साथ ही विकास कार्यों में लगातार भ्रष्टाचार कर धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। ऐसे ही एक मामले में विकासखंड मडावरा के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिसनारी के ग्रामीण ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर गांव के विकास कार्यों में फैले भ्रष्टाचार पर अंकूश लगाने की मांग उठाई है ग्राम के प्रति जागरूक ग्रामीण का आरोप है कि वर्ष 2021 व 2022 में पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान सीतारानी अहिरवार के साथ जबरन ग्राम प्रधान बन बैठे स्वयंभू प्रधान प्रतिनिधि लक्षमण सिंह परिहार और पंचायत सचिव आनन्द सोनी द्वारा गांव में जो विकास कार्य कराए जा रहे हैं उनमें काफी भ्रष्टाचार किया जा रहा है साथ ही उक्त की मिलीभगत से आवास योजना व मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टचार किया जा रहा है। यहां तक कि मनरेगा योजना में नाबालिगों के नाम जॉबकार्ड बनाकर भी शासन की धनराशि को ठिकाने लगाने का कार्य बेधड़क किया जा रहा है बतादें की विकास खण्ड मड़ावरा की ग्राम पंचायत पिसनारी में अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित सीट पर जनता द्वारा ग्राम प्रधान के रूप में सीतारानी अहिरवार को चुना गया था। लेकिन अपनी दबंगई के बल पर लक्ष्मण सिंह परिहार नियम विरुद्ध प्रधान प्रतिनिधि बन बैठा और पंचायत सचिव आनन्द सोनी के साथ मिलकर अब लगातार विकास कार्यों में लगातार भ्रष्टाचार मचाये हुए है तथा योगी सरकार की साफ स्वच्छछवि को धूमिल करने का काम कर रहा है। वर्ष 2021 व 2022 में गांव में जितने भी लाभार्थियों के आवास बनाए गए हैं उनमें लाभार्थी से प्रति आवास 15 से 20 हजार रुपये रिस्वत के रूप में लिया गया है और जिन्होंने पैसा देने से इनकार किया उनके आवास आज भी अधूरे पड़े हुए हैं। इसके साथ ही गांव की सफाई के लिए जो पैसा निकाला गया है उसका दुरुपयोग किया गया है व गांव में साफसफाई के नाम पर कोई कार्य धरातल पर नहीं कराया गया। इतना ही नहीं ग्राम प्रधान और तथाकथित दबंग ग्राम प्रधान प्रतिनिधि द्वारा जॉब कार्डबनाने के नाम पर 500 से 1000 रुपये वसूला जाता रहा है और जिनहें वास्तव में काम की जरूरत है उनके जॉब कार्ड नहीं बनाए गए ।नाबालिगों के कार्ड बनाकर उनके खातों में पैसा भेजा जा रहा है। पुराने समय में डाली गई बंदी को अजुद्दी पुत्र चेपा एवं उदल पुत्र नन्ना के नाम पर बंधियों को दिखाकर भुगतान करा लिया गया है इसके साथ ही ऐसे कई लोग गांव में मौजूद हैं जिनके नाम पर बंदी निर्माण के लिए भुगतान कराया गया है। साथ ही हैंडपम्प रिबोर के नाम पर भी बड़ा घोटाला किया गया है। जिलाधिकारी ललितपुर को दिए गए शिकायती पत्र अनुसार विकास खण्ड मड़ावरा की ग्राम पंचायत पिसनारी निवासी मजबूतसिंह पुत्र हम्मीर सिंह ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर अवगत कराया कि मड़ावरा की पिसनारी ग्राम पंचायत में फर्जी तरीके से विकास कार्य किए जा रहे हैं। जिनकी जांच करा कर कार्यवाही किया जाना अति आवश्यक है, ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके। दिए गए ज्ञापन में अवगत कराया गया है कई दस्तावेजों पर ग्राम प्रधान की जगह प्रतिनिधि द्वारा उनके हस्ताक्षर किए गए हैं, व बेधड़क विभागीय कार्यालयों में ग्राम प्रधान की हैसियत से रौब गालिब किया जाता है साथ ही अपने नाम के साथ ग्राम प्रधान प्रतिनिधि लिखा जाता है जबकि सरकारी आदेशानुसार ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कोई पद नहीं है यदि इनकी जांच हो जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। गांव में रोजगार देने के उद्देश्य से सरकार द्वारा मनरेगा के अंतर्गत 100 दिन का काम जॉबकार्ड के माध्यम से दिए जाने का प्रावधान है किंतु प्रधान प्रतिनिधि बने व्यक्ति द्वारा अपने चहेतों संबंधियों के जॉब कार्ड बनवाक उनके खाते में 100 दिन का भुगतान किया जा रहा है जबकि इन जॉब काडों में 10 से 12 ऐसे च्चे शामिल हैं जो कि अभी नाबालिग हैं फिर भी पंचायत सचिव ने बिना जांचे परखे इन नावालिग बच्चों के जॉबकार्ड बनाये और 100 कार्यदिवस का भुकतान भी किया गया शिकायतकर्ता मजबूत सिंह ने संलग्न किये साक्ष्यों में बताया कि पिसनारी गांव में जिन नाबालिग बच्चों के जॉब कार्डबनाए गए हैं, उनकी जॉब कार्ड संख्या 127, 88, 139, 242, 336, 350, 351, 360 व 643 है जब इन जॉब कार्ड की सत्यता की जांच की गई तब विद्यालय से प्राप्त मार्कशीट के मुताबिक चंद्रपाल पुत्र मोहन के नाम पर जॉब कार्ड है जिसकी जन्म तिथि 15 जुलाई 2004 है। इसके साथ ही अभय उर्फअमित पुत्र ब्रजराज सिंह की जन्म तिथि 20 मार्च 2005 एवं प्रवीण उर्फनवीन पुत्र लक्ष्मण सिंह की जन्म तिथि 23 अगस्त 2006 है जिनके नाम पर जॉब कार्डों का भुगतान किया गया है जो कि जांच का विषय है गांव में कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें काम की जरूरत है और ग्राम प्रधान द्वारा जब उन्हें काम नहीं दिया गया तो मजबूरी में उन्हें काम की तलाश में गांव से पलायन करना पड़ा। इसके साथ ही ग्राम प्रधान प्रतिनिधि और सचिव के इशारे पर विद्यालय में पकने वाला भोजन भी गुणवत्ता विहीन बनवाया जाता है यदि कोई अध्यापक इसकी शिकायत करता है तो उस पर तरह-तरह से आरोप-प्रत्यारोप कर वहां से तबादला करवा दिया जाता है। उक्त भ्राष्टाचार के मामले में शिकायतकर्ता मजबूत सिंह द्वारा जिलाधिकारी के साथ- साथ मनरेगा आयुक्त उत्तर प्रदेश, मंडलायुक्त झांसी, मुख्य विकास अधिकारी एवं जिला पंचायत राज अधिकारी को शिकायती पत्र की प्रतिलिपि भेजकर शीघ्र ही ग्राम पंचायत पिसनारी में हुए भ्रष्टाचार की पारदर्शिता पूर्ण जांच किये जाने के साथ ही दोषियों पर कार्यवाही किये जाने की मांग की गयी है।

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