अवधनामा संवाददाता
हमीरपुर सुमेरपुर, जंगे-आजादी मे देशभक्तों के अभीष्ट योगदान को देखते हुये वर्णिता संस्था के तत्वावधान मे विमर्श विविधा के अन्तर्गत जरा याद करो कुर्बानी के तहत देश की आजादी के संघर्ष के बेमिसाल बलिदानी भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु की पुण्यतिथि 23 मार्च पर संस्था के अध्यक्ष डा भवानीदीन ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि ये तीनों शहीद सही मायने मे मा भारती के जमीनी जाबांज थे,इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है,भगतसिंह का 28सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले बंगा नामक गाव मे सरदार किशन सिंह और मा विद्यावती के घर हुआ था,ये बचपन से ही क्रातिधर्मी विचारों के थे, शिक्षा काल मे ही भगतसिंह ने भारत नौजवान सभा का गठन कर लिया था,सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना मे रामलाल थापर और रल्ला देवी के घर हुआ था, ये कुशल संगठन कर्ता थे,शिवराम हरि राजगुरु का जन्म 24अगस्त 1908 को पुणे के खेडा गाव मे हरिनारायण और पार्वती के घर हुआ था ये बचपन से ही वीर और साहसी थे। ये तिलक से बहुत प्रभावित थे, ये अच्छे निशानेबाज थे। इन तीनों का अंग्रेज अधिकारी सान्डर्स की हत्या, असेम्बली मे बम फेकने सहित कई महत्वपूर्ण क्रातिकारी घटनाओं मे प्रभावी योगदान था, ये हमेशा देश की आजादी के बारे मे सोचते थे।ये तीनों युवावीर गोरों की नजरों मे चढे थे, सान्डर्स की हत्या लाहौर केस के रूप मे जानी गयी, पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लेने के बाद न्याय का नाटक हुआ, ये तीनों लगभग 23-24 वर्ष की युवा उम्र मे लाहौर की सेन्ट्रल जेल मे फासी के फन्दे पर झूल कर अमर हो गये।कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, अशोक अवस्थी, बाबू लाल,प्रेम ,महावीर प्रजापति, आशीष,कल्लू, दस्सी ,भोलू ,रिचा और धीरज आदि शामिल रहे।