नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्रित्वकाल में वनबंधु कल्याण योजना के जरिये शुरू किया गया राज्य के आदिवासी क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास

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आदिवासी व मुख्य धारा के समुदायों के बीच की दूरी खत्म करने के लिए मोदी ने वर्ष 2007 में लागू की थी वनबंधु कल्याण योजना

वनबंधु कल्याण योजना द्वारा आदिवासी समुदायों के लिए आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाओं की पहुँच जैसे क्षेत्रों पर फोकस

गुजरात में अंबाजी से लेकर उमरगाम तक के 14 आदिवासी जिलों में लगभग 89 लाख से अधिक आदिवासी बंधु बसते हैं। ये सभी आदिवासी लोग सुखी, स्वस्थ एवं आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनें, ऐसा सपना गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देखा था।

7 अक्टूबर, 2001 को जब नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तब उन्होंने आदिवासी बांधवों के सर्वांगीण विकास का संकल्प किया। उनके नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने राज्य के सर्वसमावेशी विकास एवं प्रभावशाली क्रियान्वयन के प्रति अपनी नीतियों के जरिये आदिवासी विकास पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया। आदिवासी समुदाय तथा मुख्य धारा के समुदाय के बीच की दूरी खत्म करने के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2007 में वनबंधु कल्याण योजना लागू की। यह योजना आदिवासी समुदायों के विकास के लिए महत्वपूर्ण टर्निंग पॉइंट सिद्ध हुई।

उल्लेखनीय है कि नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के 23 वर्ष पूरे हुए हैं, जिसके सम्मान में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार 7 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक ‘विकास सप्ताह’ मना रही है। इन 23 वर्षों में गुजरात के आदिवासी समुदाय के एकीकृत सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए गुजरात सरकार द्वारा विभिन्न प्रयास किए गए हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण योगदान वनबंधु कल्याण योजना ने दिया है, जो नरेन्द्र मोदी का विचार बीज है। आदिवासी समुदायों के समन्वित, सर्वग्राही तथा समावेशी विकास के लिए वनबंधु कल्याण योजना द्वारा राज्य सरकार ने आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, पेयजल, सिंचाई एवं मूलभूत सुविधाओं की पहुँच जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया है।

वनबंधु कल्याण योजना के क्रियान्वयन के लिए गुजरात सरकार ने राज्य के बजट का उल्लेखनीय हिस्सा आवंटित किया है। वर्ष 2007-08 से 2020-21 यानी वनबंधु कल्याण योजना-1 के दौरान गुजरात के आदिवासी समुदाय तथा आदिवासी क्षेत्रों की आजीविका, आर्थिक स्थिति, शिक्षा, ढाँचागत सुविधाओं, स्वास्थ्य तथा सुख-सुविधा के लिए 1.02 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। योजनांतर्गत की गई व्यापक विकासपरक गतिविधियों ने गुजरात की आदिवासी जनसंख्या की आर्थिक-सामाजिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार किया है और इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त हुई है।

वनबंधु कल्याण योजना-1 अंतर्गत महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ :

वनबंधु कल्याण योजना से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में बड़ा परिवर्तन आया। यहां के लोगों को बुनियादी सुविधाओं के साथ रहन-सहन के स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयत्न महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसके तहत कुछ उल्लेखनीय कार्य हुए, जिसके अंतर्गत आदिवासी क्षेत्रों में 8035 प्राथमिक विद्यालय, 1064 माध्यमिक विद्यालय, 509 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, 47 एकलव्य आदर्श निवासी शालाएं, 43 कन्या साक्षरता निवासी शालाएं (जीएलआरएस), 75 आदर्श निवासी शालाएं (एएनएस), 661 आश्रमशालाएं, 71 कस्तूबरा गांधी बालिका विद्यालय, 12 आदर्श विद्यालय, 11 साइंस कॉलेज, 11 कॉमर्स कॉलेज, 23 आर्ट्स कॉलेज, 175 सरकारी छात्रावास, 910 ग्रांट-इन-एड छात्रावास कार्यरत किए गए। इसके अलावा नर्मदा जिले में बिरसा मुंडा ट्राइबल यूनिवर्सिटी तथा गोधरा में श्री गोविंद गुरु यूनिवर्सिटी की स्थापना, उच्च शहरी शिक्षा केन्द्रों में आदिवासी विद्यार्थियों की सुविधा के लिए अहमदाबाद, आणंद, भावनगर, भुज, राजकोट, वडोदरा, हिम्मतनगर, जामनगर, पाटण तथा सूरत में 20 अत्याधुनिक समरस छात्रावासों की स्थापना। समरस हॉस्टल में 30 प्रतिशत सीटें आदिवासी विद्यार्थियों के लिए आरक्षित, आदिवासी क्षेत्रों के सभी राजस्व गाँवों को ऑल वेदर रोड कनेक्टिविटी से जोड़ा गया, आदिवासी क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त तथा निरंतर विद्युत आपूर्ति प्रदान करने के लिए 243 नए विद्युत सब-स्टेशनों की स्थापना, राज्य के सभी 5884 आदिवासी गाँवों को 24X7 विद्युत आपूर्ति, वलसाड, दाहोद, बनासकाँठा एवं गोधरा में मेडिकल कॉलेजों के साथ आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य-सुश्रुषा सुविधाएँ अधिक मजबूत बनाई गईं।

इसके बाद वनबंधु कल्याण योजना-2 अंतर्गत महत्वपूर्ण कार्य हुए। इसके तहत 250 करोड़ रुपये की लागत से गुजरात स्टेट ट्राइबल एजुकेशन सोसाइटी (जीएसटीईएस) द्वारा 35 नई आदर्श निवास शालाओं तथा 30 शालाओं, कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों के लिए 100 छात्रावासों, आश्रमशालाओं का नवीनीकरण तथा आधुनिकीकरण करने का आयोजन किया गया। 25 बिरसा मुंडा ज्ञानशक्ति रेजीडेंशियल स्कूल ऑफ एक्सीलेंस द्वारा कक्षा 6 से 12 तक के 50000 आदिवासी विद्यार्थियों को नि:शुल्क गुणवत्तायुक्त शिक्षा, खेल-कूद क्षेत्र में प्रतिभाशाली आदिवासी विद्यार्थियों की प्रतिभा को निखारने के लिए एकलव्य आदर्श निवासी शालाओं को डिस्ट्रिक्ट लेवल स्पोर्ट्स स्कूल स्कीम तथा इन-स्कूल स्कीम ऑफ स्पोर्ट्स के साथ एकीकृत करने का आयोजन समेत स्वास्थ्य के लिए कई योजनाओं का संचालन शुरू किया गया।

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