अवधनामा ब्यूरो
नई दिल्ली. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कोरोना की दूसरी लहर को लेकर कहा है कि इसके लिए कई कारण ज़िम्मेदार हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण यह है कि जनवरी में जब टीकाकरण शुरू हुआ तो उस समय संक्रमण के मामले कम होने लगे थे. ऐसे समय में जब ज्यादा सावधान रहने की ज़रुरत थी तब लोगों ने कोरोना गाइडलाइंस का पालन बंद कर दिया. लोग इस तरह से बेफिक्र हो गए जैसे कि महामारी पूरी तरह से चली गई हो. ठीक इसी दौरान वायरस में म्यूटेशन हुआ और यह पहले से ज्यादा आक्रामक हो गया.
एम्स निदेशक ने कहा कि अचानक से संक्रमण के मामले बढ़ जाने की वजह से स्वास्थ्य विभाग पर अचानक से बहुत ज्यादा दबाव बढ़ गया. उन्होंने कहा है कि अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाने और महामारी से निबटने के लिए संसाधन बढ़ाकर संक्रमण के मामलों पर काबू पाना होगा.
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कुम्भ का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि धार्मिक गतिविधियों और विधानसभा चुनाव की गतिविधियों के दौर में हमें यह समझना चाहिए कि जिंदगियां कीमती हैं. उन्हें बचाना ज़रूरी है. धार्मिक भावनाएं आहत नहीं करना है लेकिन कोरोना गाइडलाइंस का पालन तो करना ही होगा.
रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोई भी वैक्सीन शतप्रतिशत सुरक्षा नहीं दे सकती. वैक्सीन लगवाने के बाद भी लापरवाही बरतने पर संक्रमण फैल सकता है. हालांकि वैक्सीन लगवाने से शरीर में मौजूद एंटीबाडी हालत को गंभीर नहीं होने देगी.