राजधानी काबुल से सटे हेरात शहर में युवतियां कार के पुराने स्पेयर पार्ट्स की मदद से वेंटिलेटर बनाने में जुटी हुई हैं. युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान में स्वास्थ्य प्रणाली बेहद कमजोर है.
सोमाया फारुकी और चार अन्य युवतियां कार में सवार हो कर अक्सर सुबह के समय वर्कशॉप में छिपते-छिपते पहुंचती हैं. पुलिस की नाकेबंदी से बचने के लिए वे पीछे के रास्तों का इस्तेमाल करती हैं. तालाबंदी को लागू कराने के लिए पुलिस ने जगह जगह पर नाकेबंदी की है. अफगानिस्तान का हेरात प्रांत कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना हुआ है. अफगानिस्तान की पुरस्कार विजेता रोबोटिक्स टीम की सदस्य कहती हैं कि वे जीवन रक्षक मिशन पर हैं- वे कार के स्पेयर पार्ट्स से वेंटिलेटर बनाना चाहती हैं. सोमाया कहती हैं, “अगर हम अपने यंत्र से एक जिंदगी बचा लेते हैं तो हमें गर्व होगा.”
कम लागत से बनने वाली सांस की मशीन की उनकी खोज विशेष रूप से रूढ़िवादी अफगानिस्तान में उल्लेखनीय है. एक पीढ़ी पहले, 1990 के दशक में लड़कियों को तालिबान के शासन के दौरान स्कूल नहीं जाने दिया जाता था. सोमाया की मां जब तीसरी कक्षा में थी तब उन्हें स्कूल जाने से रोक दिया गया. 2001 के बाद अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के आने के बाद लड़कियां स्कूल जाने लगी. लेकिन समान अधिकार हासिल करना अब भी एक संघर्ष है. फोन पर सोमाया कहती है, “हम नई पीढ़ी के हैं, हम लड़ते हैं और लोगों के लिए काम करते हैं. लड़का या लड़की अब कोई मायने नहीं है.”
अफगानिस्तान कोरोना वायरस महामारी से करीब करीब खाली हाथ लड़ाई लड़ रहा है. उसके पास सिर्फ 400 वेंटिलेटर हैं और आबादी 3.6 करोड़. अभी तक देश में 900 के करीब कोरोना वायरस मामले सामने आ चुके हैं और 30 लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन आशंका है कि असली आंकड़े कहीं अधिक हो सकते हैं क्योंकि टेस्ट किट की कमी है. ईरान के करीब होने के कारण हेरात प्रांत कोरोना का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट है.
अफगानिस्तान की यह समस्या देख सोमाया और उनकी टीम परेशान हो गई. टीम की सदस्य 14 से लेकर 17 वर्ष की हैं. समस्या से निपटने के लिए उन्हें कार पार्ट्स का इस्तेमाल कर वेंटिलेटर बनाने का आइडिया आया. वर्कशॉप में टीम वेंटिलेटर के दो अलग अलग डिजाइन के साथ काम कर रही है. जिसमें एक मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के ओपन सोर्स से लिया गया आइडिया शामिल है. जिन पार्ट्स का इस्तेमाल यह लड़कियां कर रही हैं वे विंडशील्ड वाइपर की मोटर, बैट्री बैग वॉल्व का एक सेट या मैन्युअल ऑक्सीजन पंप. कुछ मैकैनिक वेंटिलेटर की फ्रेम बनाने में मदद कर रहे हैं.
एमआईटी की प्रोफेसर डानिएला रुस ने टीम की पहल का स्वागत किया है. उन्होंने टीम द्वारा प्रोटोटाइप विकसित करने की कोशिशों पर कहा, “यह देखना शानदार होगा कि कैसे इसका परीक्षण किया जाता है और कैसे इसे स्थानीय स्तर पर निर्मित किया जाता है.” टेक उद्यमी रोया महबूब ने इस टीम की स्थापना की है और वह लड़कियों को सशक्त करने के लिए धन इकठ्ठा करती हैं. वह कहती हैं कि उन्हें उम्मीद है कि सोमाया का समूह प्रोटोटाइप बनाने में मई या जून तक सफल हो जाएगा. सोमाया जब 14 साल की थी तब वह 2017 में अमेरिका में आयोजित रोबोट ओलंपियाड में शामिल हुई थी.
सोमाया कहती हैं, “अफगान नागरिकों को महामारी के समय में अफगानिस्तान की मदद करनी चाहिए. हमें किसी और का इंतजार नहीं करना चाहिए.”