अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। जिला बार एसोसिएशन के सभागार में जनपद ललितपुर की 50 वीं गोल्डन जुबली केक काटकर धूम धाम से मनाई गई। जिला बार एसोसिएशन के महामंत्री महेंद्र जैन ने बताया कि ललितपुर को जिला बनाने की मांग उठ रही थी इसी बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने एक मार्च 1974 को सभा के दौरान ललितपुर को जनपद घोषित किया था। आज 50वीं वर्षगांठ पर हम संकल्प ले कि क्षेत्र को हर क्षेत्र में बुलंदी पर ले जाएंगे। अंकित जैन एड. ने कहा कि महाराजा सुम्मेर सिंह की धर्म पत्नी ललिता देवी के नाम पर जनपद का नाम ललितपुर पड़ा। ऐसा मानते हैं कि महाराज सुम्मेर सिंह को तालाब में स्नान करने पर चर्मरोग से मुक्ति मिली और फिर उन्हीं के नाम पर तालाब का नाम सुम्मेरा तालाब पड़ा। ललितपुर को 1974 में जिले का दर्जा प्राप्त हुआ। हम सब को मिलकर इसके उत्थान के लिए कार्य करना चाहिए। अधिवक्ता शेर सिंह यादव ने बताया कि पहले ललितपुर चंदेरी का एक भाग था, जिसे 17 वीं सदी में एक बुंदेला राजपूत ने खोजा था। 18 वीं सदी में बुंदेलखंड के साथ चंदेरी राज्य मराठा योद्धा के नेतृत्व में आ गया, लेकिन जल्द ही 1811 में इस पर ग्वालियर के राजा दौलत राव सिंधिया ने कब्जा कर लिया। 1844 में, चंदेरी के राज्य को अंग्रेजों को सौंप दिया गया जो ब्रिटिश भारत का चंदेरी जिला बन गया, जिसका जिला मुख्यालय ललितपुर था। इस दौरान गौरव चौबे, राजेश पाठक, रामनरेश दुबे, अभिषेक जैन, पुष्पेंद्र सिंह चौहान, रविंद्र घोष, नकुल ठाकुर, आकाश झा, छोटेलाल कुशवाहा, नंदकिशोर कुशवाहा, दिनेश कुशवाहा, शशिकांत राजपूत, अभिषेक उपाध्याय, कृष्ण कुमार शर्मा, हेमंत चौबे, राघव शर्मा, अक्षय गौतम, चक्रेश कुशवाहा, विशाल चौहान आदि उपस्थित रहे।