अवैध अल्ट्रासाउंड और पैथोलॉजी सेंटरों का जाल, मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

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बस्ती। जनपद बस्ती में मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटरों, नर्सिंग होम और पैथोलॉजी सेंटरों का जाल फैला हुआ है। स्थानीय निवासी राजेश कुमार पाण्डेय ने आयुक्त महोदय, बस्ती को पत्र लिखकर इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उनके अनुसार, जिले में कई अवैध सेंटर बिना वैध लाइसेंस और नियमानुसार संचालित हो रहे हैं, जो मरीजों से मोटी रकम वसूल कर गलत रिपोर्ट दे रहे हैं। इससे न केवल मरीजों का आर्थिक शोषण हो रहा है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और जीवन को भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है।

राजेश कुमार पाण्डेय ने अपने पत्र में कई अवैध रूप से संचालित सेंटरों के नाम उजागर किए हैं, जिनमें फातिमा क्लीनिक, जीवन दायनी क्लीनिक, मंसूरी फातिमा क्लीनिक, पलक क्लीनिक, एस.आर.एस. पैथोलॉजी, कृष्णा पैथोलॉजी, हेल्थ सिटी पैथोलॉजी, एच.आर. पैथोलॉजी और पी.एम.राव. क्लीनिक शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि ये सेंटर न तो स्वास्थ्य विभाग के नियमों का पालन करते हैं और न ही उनके पास आवश्यक मानकों के अनुरूप उपकरण और प्रशिक्षित कर्मचारी हैं। इसके बावजूद, ये सेंटर मरीजों को भ्रामक रिपोर्ट देकर उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।

पाण्डेय ने पत्र में बताया कि कई बार मरीजों को गलत निदान के आधार पर अनावश्यक और खतरनाक उपचार दिए जा रहे हैं, जिससे उनकी स्थिति और बिगड़ रही है। उन्होंने आयुक्त महोदय से मांग की है कि इन अवैध सेंटरों की गहन जांच कराई जाए और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह जनपद के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बन सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के अवैध सेंटरों की मौजूदगी से आम जनता में भय और अविश्वास का माहौल है।

कई मरीजों ने शिकायत की है कि इन सेंटरों में जांच के नाम पर उनसे हजारों रुपये वसूले जाते हैं, लेकिन नतीजे या तो गलत होते हैं या अस्पष्ट। एक स्थानीय निवासी राम प्रसाद ने बताया, “हमारे पास कोई विकल्प नहीं होता, क्योंकि सरकारी अस्पतालों में भीड़ और सुविधाओं की कमी है। मजबूरी में हमें इन सेंटरों पर जाना पड़ता है, लेकिन वहां भी ठगी का शिकार होना पड़ता है।” स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, अवैध अल्ट्रासाउंड और पैथोलॉजी सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर मिलीभगत और लापरवाही के कारण ये सेंटर फिर से संचालित होने लगते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन सेंटरों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए नियमित निगरानी, कड़े नियम और जन जागरूकता की आवश्यकता है। राजेश कुमार पाण्डेय ने अपने पत्र के अंत में जोर देकर कहा, “मरीजों का जीवन अनमोल है। इन अवैध सेंटरों को बंद करना और दोषियों को सजा देना न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि यह समाज के प्रति हमारा नैतिक कर्तव्य भी है।” उनकी इस शिकायत ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर दबाव बढ़ा दिया है। अब देखना यह है कि इस गंभीर मुद्दे पर प्रशासन कितनी तत्परता से कार्रवाई करता है।

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