हमीरपुर । बृहस्पतिवार को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में वर्ष 2024 हेतु जायद/खरीफ में फसलों का आच्छादन बढाने के लिये बैठक आहूत की गयी। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी हमीरपुर, परियोजना निदेशक, उप कृषि निदेशक हमीरपुर, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी हमीरपुर के०वी० के अध्यक्ष कुरारा, जिला प्रबन्धक नाबार्ड, अधिशासी अभियंता मौदहा बाँध, जिला उद्यान अधिकारी, जिला कृषि रक्षा अधिकारी आदि अधिकारीगण व एफ०पी०ओ० एवं कृषकगण उपस्थित रहे।
जिलाधिकारी द्वारा बैठक में जायद एवं खरीफ में फसलों के आच्छादन को बढ़ाने के विषय में चर्चा की गयी। जिसमें जिला कृषि अधिकारी हमीरपुर द्वारा जनपद हमीरपुर में अन्ना प्रथा की समस्या के विषय में जिलाधिकारी को अवगत कराया गया तथा उसके प्रबन्धन हेतु बैठक में निम्न बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुये सुझाव दिये गयेः-
कृषकों को ऐसी फसलों के उत्पादन हेतु प्रोत्साहित किया जाये जो कि अन्ना पशुओं से प्रभावित न हो। जैसे कि तिल, मेंथा आदि।
इसके साथ ही खेत की मेड़ों पर करौदें, जेट्रोफा, एलोवेरा, तिल आदि को रोपित करते हुये बाढ़बन्दी (फेंसिंग) के रूप में तैयार किया जाये तथा खेत में मुख्यः फसलें जैसे उर्द, मूँग, मूँगफली आदि का उत्पादन किया जाये जिससे कि अन्ना पशु मुख्य फसलों को नुकसान न पहुँचा पाये।
इसके साथ ही समस्त एफ०पी०ओ० को क्लस्टर के रूप में खेती करने के लिये निर्देशित किया गया तथा प्रत्येक एफ०पी०ओ० को न्यूनतम 1 क्लस्टर बनाने का सुझाव दिया गया।
विपणन निरीक्षक द्वारा बताया गया है कि जायद तिल की गुणवत्ता खरीफ तिल की तुलना में ज्यादा अच्छी होती है। अतः जनपद में कई किसानों ने जायद में तिल की खेती कर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया है।
-जो किसान भाई रबी मौसम में मटर, सरसों, मसूर की खेती करते हैं, उनके खेत जल्दी खाली हो जाते हैं। अतः वह किसान जायद में तिल की खेती करके लाभ कमा सकते हैं तथा जो किसान गेहूँ व चना की खेती करते है, वह उर्द एवं मूँग की खेती करके लाभ कमा सकते हैं।
-किसानों द्वारा एफ०पी०ओ० के माध्यम से क्लस्टर बनाते हुये मेड़ों पर बन्धी तैयार कर उस पर करौदा, सहजल,
लेमन ग्रास की खेती फेसिंग के रूप में की जाये। जिससे मुख्य फसल को अन्ना पशुओ से बचाया जा सके। इसके लिये जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय हमीरपुर से 30000 करौदे के पौधे किसान भाई अनुदानित दर पर प्राप्त कर सकते हैं। बैठक के अन्त में जिलाधिकारी महोदय द्वारा निर्देशित किया गया कि इस वर्ष खेत की मेड़ों पर करौदें के पौधे रोपित किया जाये जिससे अगले वर्ष वह फेंसिंग के रूप में उपयोग हो सके और मुख्य फसलों को अन्ना पशुओ से कम क्षति हो।