पाकिस्तान क्रिप्टो करेंसी के मामले में अमेरिका की नकल कर रहा है। पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के सीईओ बिलाल बिन साकिब ने बिटक्वाइन कांफ्रेंस में पाकिस्तान द्वारा स्ट्रैटेजिक बिटक्वाइन रिजर्व बनाने का ऐलान किया। इस फैसले के लिए उन्होंने अमेरिका को धन्यवाद दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान डिजिटल अर्थव्यवस्था के नाम पर आतंकवादियों को फंडिंग कर सकता है जो भारत के लिए चिंताजनक है।
क्रिप्टो करेंसी के मामले में पाकिस्तान बिल्कुल अमेरिका के नक्शे कदम पर भी चल रहा और उसी की तरह तेजी दिखाते हुए उसकी नकल भी कर रहा है। पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (पीसीसी) के सीईओ बिलाल बिन साकिब ने लॉस वेगास में 27 से 29 मई तक आयोजित बिटकाइन कांफ्रेंस में एलान किया कि पाकिस्तान भी स्ट्रैटेजिक बिटक्वाइन रिजर्व बनाएगा।
बिटक्वाइन सबसे प्रचलित और चर्चित क्रिप्टो करेंसी है। इस करेंसी का रिजर्व बनाना कुछ वैसा ही है, जैसे आपातकालीन स्थिति के लिए कई देश पेट्रोलियम का रिजर्व (भंडार) बनाते हैं। बिलाल ने अपने इस फैसले के लिए अमेरिका से प्रेरित होने के लिए उसे धन्यवाद भी दिया।
क्रिप्टो एंड ब्लॉकचेन मंत्रालय का दिया गया प्रभार
ब्रिटिश मूल के पाकिस्तानी नागरिक बिलाल को इसी मार्च में आननफानन गठित पीसीसी का सीईओ बनाया गया था। तीन दिन पहले उसे मंत्री का दर्जा देने के साथ प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का विशेष सहायक भी बनाया गया। उसे क्रिप्टो एंड ब्लाकचेन मंत्रालय का प्रभार दिया गया है। उसे पाकिस्तान वित्त मंत्रालय का विशेष सलाहकार भी बनाया जा चुका है। इसके पहले पहलगाम हमले के पांच दिन बाद 27 अप्रैल को पीसीसी ने ट्रंप परिवार की क्रिप्टो करेंसी कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (डब्लूएलएफ) से समझौता किया था।
इस कंपनी में ट्रंप के बेटों की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी
इस कंपनी में ट्रंप के तीन बेटों की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इस समझौते के लिए डब्लूएलएफ के सह संस्थापक जैक विटकाफ, चेस हेरो और जैक फोकमैन विशेष विमान से पाकिस्तान गए थे। इन तीनों का किसी शासनाध्यक्ष जैसा सत्कार हुआ था, जबकि चेस और हेरो दागदार अतीत वाले हैं। जैक विटकाफ ट्रंप के सबसे भरोसेमंद सलाहकार और पश्चिम एशिया में उनके विशेष दूत स्टीव विटकाफ के बेटे हैं।
माना जाता है कि इसी समझौते के चलते भारत और पाकिस्तान को लेकर ट्रंप के सुर अचानक बदल गए और वह पाकिस्तान को ग्रेट कंट्री बताने लगे।
इसे महज संयोग नहीं माना जा रहा कि जैसे ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद इसी साल मार्च में अमेरिका में बिटक्वाइन स्ट्रैटेजिक रिजर्व बनाने का ऐलान किया था, उसी तरह पीसीसी के सीईओ और शहबाज शरीफ सरकार में मंत्री बन गए बिलाल ने भी लास वेगास में कहा कि पाकिस्तान भी ऐसा ही करेगा। इसी तरह जैसे ट्रंप की पहल पर डब्लूएलएफ 2024 में राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के बीच अचानक स्थापित की गई थी, उसी तरह पीसीसी को भी पाकिस्तान में डिजिटल इकोनामी को बढ़ावा देने के लिए इसी 20 मार्च को यकायक गठित किया गया, जबकि पहले ट्रंप की तरह पाकिस्तान भी क्रिप्टो करेंसी को लेकर उत्साहित नहीं था और वहां उस पर कई तरह की पाबंदियां भी थीं।
क्रिप्टो करेंसी को लेकर पाकिस्तान ने अचानक किए कई बदलाव
क्रिप्टो करेंसी को लेकर पाकिस्तान के रवैये में अचानक आए बदलाव और जल्दबाजी में डब्लूएलएफ- पीसीसी के बीच हुए रहस्यमय समझौते को भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। अंदेशा है कि डिजिटल इकोनामी को बढ़ावा देने की आड़ में पाकिस्तान आतंकियों को आसानी से फंडिंग कर सकता है।
इस घटनाक्रम पर काउंसिल आन स्ट्रेटजिक एंड डिफेंस रिसर्च सेंटर के फेलो सी राजामोहन का कहना है कि क्रिप्टो करेंसी को लेकर पाकिस्तान के रूख में आए बड़े बदलाव और ट्रंप परिवार की कंपनी से पीसीसी के समझौते को देखते हुए भारत को पाकिस्तान पर नजर रखनी चाहिए और अपनी क्रिप्टो रणनीति भी नए सिरे से बनानी चाहिए। ट्रंप के क्रिप्टो करेंसी के पक्ष में खुलकर उतर आने पर अमेरिका में तो उनका विरोध भी हो रहा है, लेकिन पाकिस्तान में इसे एक बड़ी उपलब्धि की तरह देखा जा रहा है।