एक नन्हे असगर ने करबला हिला डाला

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अवधनामा संवाददाता

 

शहीदाने कर्बला की याद में हुआ जलसे का आयोजन
इमाम हुसैन की शहादत का वाकया सुनकर छलकी पड़ी आंखे

 

बांदा। बीती रात शहर के अलीगंज मुहल्ले में दारूल उलूम रब्बानिया के सामने शहीदाने कर्बला की याद में एक शाम खानदाने हुसैन के नाम से जलसे का आयोजन किया गया। जलसे में बाहर आए उलमाए इकराम ने हजरत इमाम हुसैन और उनके जानिसार साथियों की शहादत पर बयान फर्माया। इस मौके पर वहां मौजूद लोगों की आंखें इमाम हुसैन की याद में आशुओं से छलक उठीं।
जलसे की शुरूआत तिलावते कुरआन से हुई। इसके बाद नातख्वानों ने बेहतरीन अंदाज मंे एहले बैत की शान में नातें सुनाईं जिसको लोगों ने खूब सराहा। वहीं देर रात जबलपुर से आये मौलाना अहमद रब्बानी ने हजरत इमाम हुसैन और हजरते अब्बास की शहादत का जिक्र किया। इसके अलावा ऐरच झांसी आये से मौलाना अख्तर रजा सुल्तानी ने फरमाया कि इस्लाम न कोई मिटा पाया है और न कोई मिटा पाएगा। करबला का जिक्र करते हुए शेर पढ़ा कि जब उतरा अचानक यजीदी नशा, हुर ने शब्बीर से सर झुका कर कहा मेरे हिस्से में कौशर का जाम आयेगा, मौने सोचा ना था। इसके अलावा मौलाना वाजिद रब्बानी ने इमाम हुसैन की जिंदगी पर रोशन डाली। वहीं जलसे के आयोजक मौलाना आबिद रब्बानी ने शेर पढ़ा कि जोर बाजुए हैदर इस तरह हिला डाला, एक नन्हे असगर ने करबला हिला डाला, आया था मिटाने कुफ्र गुलशने इस्लाम, फात्मा के बेटों ने कुफ्र ही मिटा डाला। उनके शर पर जमकर या हुसैन की सदाएं गूंजी। जलसे में मुख्य रूप से शहर काजी अकील मियां, हस्सान मसूदी, सैय्यद नशतर रब्बानी, गुफरान रब्बानी, सफदर रब्बानी, महबर रब्बानी, अम्बर रब्बानी, फैजान रब्बानी आदि मौजूद रहे।

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