अवधनामा संवाददाता
सुल्तानपुर। तिब्बत एवं नेपाल सीमा से लगे हुए उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चारों तरफ से गगन चुम्बी पहाड़ियों से घिरा लिपुलेख दर्रे के करीब आदि कैलाश ओम पर्वत शिखर कैलाश मानसरोवर मार्ग में पड़ने वाला एक पवित्र तीर्थ स्थल है, जिसकी यात्रा बड़े ही दुर्गम मार्ग से होती है।स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव माँ पार्वती से विवाह करने के लिए रास्ते में आदि कैलाश में रुके थे। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव, उनकी पत्नी पार्वती और उनके दोनो पुत्र गणेश और कार्तिकेय यहीं पहाड़ों में निवास करते हैं, जिन्हें भौतिक रूप में नहीं देखा जा सकता परन्तु वे यहाँ अपने सूक्ष्म दिव्य रूप में निवास करते हैं।इसीलिए आदि कैलाश पर्वत शिखर को उनका पार्थिव धाम कहा जाता है। सुल्तानपुर से यह यात्रा शंकरलाल कैलाशी के नेतृत्व में १९ जून को शुरू हुई और तमाम दिक्कतों का सामना करते हुये सकुशल २९ जून को वापसी हुई जिसका नगरवासियों द्वारा रेलवे स्टेशन पर भव्य स्वागत किया गया।यात्रा में शामिल रहे शंकरलाल कैलाशी, सेनजीत कसौधन दाऊ,रवि कसौधन,रजनीश बरनवाल,अंकित अग्रहरि,शैलेंद्र अग्रहरि,दुर्गेश मोदनवाल, पवन अग्रहरि आदि शामिल रहे।