Wednesday, May 21, 2025
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इंटैक उरई द्वारा भव्य नृत्य एवं संगीत वीथिका का हुआ शुभारम्भ

उरई(जालौन)। इन्टैक उरई अध्याय तथा बुन्देलखण्ड कानपुर प्रान्त धरोहर समिति संस्कार भारती के संयुक्त तत्वावधान में अन्तरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के उपलक्ष्य में चूडी वाली गली स्थित श्रीमती सन्ध्या पुरवार के निज निवास पर नृत्य एवं संगीत वीथिका का शुभारम्भ हुआ।

शंख ध्वनि के मध्य वीथिका का उद्घाटन भारतीय जनता पार्टी की जिला उपाध्यक्षा सुश्री रेखा वर्मा ने प्रथम पूज्य श्रीगणेश जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। वीथिका अवलोकन के समय उन्होंने कहा कि पाश्चात्य देश अब जो अपना रहे हैं, वह तो हमारी संस्कृति में प्रचीन काल से चला आ रहा है। इस वीथिका से नृत्य एवं संगीत का अपनी प्राचीन संस्कृति के साथ जो जुडाव प्रस्तुत किया गया है, वह अनुकरणीय है।

इस अवसर पर डा0 हरी मोहन पुरवार ने बतलाया कि फ्रान्स के बैले डी एक्शन के निर्माता नर्तक जार्जेस नोवरे के जन्म को समर्पित है यह नृत्य दिवस। जार्जेस नोवरे का जन्म ×9 अप्रैल 1727 को फ्रान्स में हुआ था। वर्ष +982 में आई टी आई की नृत्य समिति ने जार्जेस नोवरे को श्रृद्धान्जलि देने के निमित्त इस दिवस की घोषणा की।

इस नृत्य संगीत वीथिका में ढोलक, झांझ,मजीरा,शंख, सिंगारी,बांसुरी ,चटकोला, लुप्तप्राय फूंक वाद्य रमतूला, करताल,आदि संगीत वाद्य यन्त्रों के साथ साथ भक्ति भाव से भरपूर संगीत के माध्यम से ईश आराधना में लिप्त तमाम भक्त संतों के डाक टिकट, विभिन्न वाद्य यन्त्रों के डाक टिकट, विभिन्न नृत्य मुद्राओं से युक्त डाक टिकटों के अलावा विभिन्न भारतीय राज्यों के नृत्यों के चित्रों भी प्रदर्शित किये गये हैं।

वीथिका में संगीत की देवी माॅ सरस्वती का स्वरुप धारण किए अद्भुत शंख, 14 वीं शताब्दी की दुर्लभ बलुआ पत्थर से निर्मित मूर्ति एवं विभिन्न प्राचीन लघु चित्र विशेष रुप से आकर्षण का केन्द्र रहे।

प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की नृत्य मुद्राओं के ताड पत्र पर बने प्राचीन चित्रों के साथ साथ उनकी विभिन्न मूर्तियां भी मनमोहक ढंग से वीथिका में प्रदर्शित की गई है।

वीथिका में विश्व को नृत्य से परिचित कराने वाले देवाधिदेव महादेव के ताण्डव नृत्य की नटराज मूर्तियां, डाक टिकट आदि भी विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे।

वीथिका में दक्षिण भारतीय रियायत मदुरै की दो मुद्रायें अति विशिष्ट रहीं जिनमें से एक पर नृत्यरत श्री शंकर व दूसरे पर नृत्यरत श्री कृष्ण के चित्र अंकित हैं। भगवान श्रीकृष्ण की नृत्यरत मुद्राओं की मूर्तियां इस वीथिका का अभिन्न अंग हैं।

वीथिका में तमाम ऐसी मुद्रायें भी प्रदर्शित की गई हैं जिनपर विदेशी वाद्य यन्त्रों तथा नृत्यों का अंकन है।

इस वीथिका में प्रदर्शित समस्त सामग्री श्री मती सन्ध्या पुरवार व डा0 हरी मोहन पुरवार के निजी संग्रह से प्रस्तुत की गई हैं।

श्रीमती सन्ध्या पुरवार व ऊषा सिंह निरंजन ने मुख्य अतिथि सुश्री रेखा वर्मा को अंग वस्त्र तथा स्मृति चिन्ह भेंट किया।

वीथिका अवलोकनार्थ डा0 बृजबिहारी सरस्वती विद्या मन्दिर के तमाम छात्र छात्राएं अपने आचार्य जी के साथ आये और वीथिका देखकर आनन्दित हुये। वीथिका आयोजना में राहुल पाटकर का विशेष योगदान रहा।

वीथिका अवलोकन में श्रीमती ऊषा सिंह निरंजन, श्रीमती शान्ति गुप्ता, श्रीमती प्रियन्का अग्रवाल, श्रीमती उर्मिला महेश्वरी, श्री सन्तोष महेश्वरी, दर्ष अग्रवाल आदि प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

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