‘पीएम’ शब्द के चलते बच्चों का भविष्य दांव पर लगा रहे राज्य

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नई दिल्ली। पीएम के नाम से चलने वाली पीएम ग्राम सड़क और पीएम आवास जैसी योजनाओं का राज्य भले ही खूब लाभ रहे है लेकिन हाल ही में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अमल को लेकर शुरू की गई पीएम- श्री स्कीम का दिल्ली, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे आठ राज्य फिलहाल विरोध करते दिख रहे है। इन राज्यों की बड़ी आपत्ति पीएम के नाम को लेकर है।

हाल ही में पंजाब ने भी सरकारी स्कूलों के अपग्रेडेशन से जुड़ी इस स्कीम से खुद को अलग कर विरोध कर रहे राज्यों के गुट में शामिल हो गया है। इन सभी राज्यों का यह रवैया तब है, जब इससे उनके राज्य के ही सरकारी स्कूलों का अपग्रेडेशन होना है। जिसमें उनके ही बच्चों को एनईपी की सिफारिशों के अनुरूप विश्वस्तरीय और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जानी है।

खासबात यह है कि इस स्कीम के तहत देश के प्रत्येक ब्लाक के एक प्राथमिक और एक उच्च प्राथमिक स्कूल को और प्रत्येक जिले से एक सीनियर सेकेंडरी यानी बारहवीं तक के सरकारी स्कूल को अपग्रेड किया जाना है। इनमें प्रत्येक स्कूल को दो-दो करोड़ रुपए भी दिए जाने है। जिससे उन्हें अपने इंफ्रास्ट्रक्चर और छात्रों से जुड़ी सुविधाओं को विश्वस्तरीय बनाना है, ताकि उन्हें बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी दी जा सके। इसमें 1.20 करोड़ रुपए केंद्र की ओर से और 80 लाख रुपए राज्य को देना था।

शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस स्कीम का विरोध कर रहे राज्यों का कहना है कि जब उन्हें ही पैसा देना है तो वह उन्हें इसके क्रेडिट पीएम को क्यों देंगे। इन स्कूलों के ऊपर पीएम का नाम क्यों लिखवाएंगे। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक पीएम-श्री स्कीम से जो राज्य दूरी बनाए हुए है, उनमें दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, केरल, ओडिशा, तेलंगाना ही अब तक शामिल थे, लेकिन हाल ही में पंजाब भी इसमें जुड गया है। पंजाब ने शिक्षा मंत्रालय के साथ ही पिछली सरकार द्वारा इसे लेकर किए गए करार को तोड़ दिया है। ऐसे में पीएम- श्री का विरोध करने वाले राज्यों में अब आठ राज्य शामिल हो गए है।

इस स्कीम के तहत शिक्षा मंत्रालय ने देश के करीब साढ़े चौदह हजार सरकारी स्कूलों के अपग्रेडेशन की योजना बनाई है। इसमें विरोध कर इन आठ राज्यों को छोड़ दें तो बाकी राज्यों से अब तक करीब 62 सौ स्कूलों को इसके लिए चयनित किया गया है। जहां स्कूलों को अपग्रेड करने का काम तेजी से चल रहा है। बाकी के चयन का काम तेजी से चल रहा है।

पीएम-श्री स्कीम के तहत अलग से कोई नया स्कूल नहीं बनाया जाएगा, बल्कि राज्यों में पहले से चल रहे सरकारी स्कूलों को ही प्रतिस्पर्धा के आधार पर चयनित करके उन्हें अपग्रेड किया जाएगा। इस दौरान पीएम- श्री स्कूलों में विश्वस्तरीय वह सारी सुविधाएं जुटाई जाएगी, जिसकी सिफारिश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में की गई है। इनमें बच्चों के लिए स्मार्ट क्लासरुम, हाईटेक लैब, पुस्तकालय, विशेषज्ञ शिक्षकों की तैनाती सहित खेल के मैदान आदि सारी जरूरी सुविधाएं होगी।

केंद्र का इसके पीछे उद्देश्य राज्यों के सामने एक आदर्श स्कूल का स्वरूप पेश करना भी है, ताकि वह इसके आधार पर अपने स्कूलों को भी उसके अनुरूप संवार सकें। पीएम-श्री के तहत चयनित किए स्कूलों के शिक्षकों को आइआइटी और आइआइएम के शिक्षकों से प्रशिक्षित भी कराया जा रहा है। इन स्कूलों में एनईपी की शत-प्रतिशत सिफारिशें लागू होगी। यही वजह है कि राज्यों को इस स्कीम में जोड़ने से पहले शिक्षा मंत्रालय सभी के साथ ही एक करार भी कर रहा है, जिसमें उन्हें एनईपी को लागू करना होगा।

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