केंद्र को दिल्ली पर बिल बनाने का अधिकार: शाह

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गठबंधन नहीं, दिल्ली की सोचें:कहा- ; राज्यसभा से विपक्ष का वॉकआउट

नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र का गुरुवार यानी 3 अगस्त को 11वां दिन है। 2 बजे लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश विधेयक पर चर्चा हुई। अमित शाह ने कहा कि विपक्षी दलों को गठबंधन का नहीं, दिल्ली का सोचना चाहिए। एक बात तय है कि चाहे कितना भी अलायंस कर लें, सरकार तो नरेंद्र मोदी की ही आ रही है।
गृह मंत्री के बोलने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि शाह के मुंह से नेहरू की तारीफ अच्छी लगी। शाह ने कहा कि मैंने तारीफ नहीं की। आपको लगता है तो मान लीजिए।
सुबह सदन नहीं पहुंचे ओम बिड़ला
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला गुरुवार सुबह सदन नहीं पहुंचे थे। बताया गया कि वे नाराज हैं। स्पीकर 2 अगस्त को भी सदन में नहीं आए थे। जैसे ही 11 बजे कार्यवाही शुरू हुई तो स्पीकर के आसन पर उनकी जगह राजेंद्र अग्रवाल ने सदन की अध्यक्षता की।
कुछ समय बाद विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने अग्रवाल से बिड़ला के बारे में बात की। कहा कि वे हमारे संरक्षक, हम उनके मुरीद हैं, हमारी अपील है कि वे वापस आ जाएं। इसके बाद दोपहर 2 बजे की कार्यवाही में ओम बिड़ला आसंदी पर बैठे।
दिल्ली ना तो पूरी तरह राज्य है और ना ही पूरी तरह संघ शासित प्रदेश। संसद को आर्टिकल 239 ्र्र के तहत दिल्ली के मु्द्दे पर संसद में कानून बनाने का अधिकार है। विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मनपसंद हिस्सा ही पढ़ा।
पं नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी (सी राजगोपालाचारी), राजेंद्र प्रसाद और डॉ. अंबेडकर ने इस बात का विरोध किया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। नेहरू ने कहा था कि दिल्ली में तीन चौथाई संपत्ति केंद्र सरकार की है, इसलिए इसे केंद्र के अधीन रखा जाए।
राजधानी दिल्ली के किसी भी हिस्से पर और कोई भी कानून बनाने संपूर्ण अधिकार संसद को दिया गया है। 1993 से व्यवस्था चली आ रही थी। कभी केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो दिल्ली में हमारी सरकार थी। कभी केंद्र में हमारी सरकार थी तो दिल्ली में कांग्रेस का शासन था। कभी कोई समस्या नहीं आई। असल में दोनों ही दलों का मकसद सेवा था, सत्ता हथियाना नहीं। कोई झगड़ा नहीं हुआ, सबकुछ ठीक चल रहा था।
2015 में दिल्ली में जिस दल (आप) की सरकार आई, उसका मकसद सेवा नहीं, झगड़ा करना था। प्रॉब्लम ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार की नहीं थी, विजिलेंस के कंट्रोल में लेकर जो बंगला (अरविंद केजरीवाल का बंगला विवाद) बना दिया है, उसका सत्य छिपाना है। जो भ्रष्टाचार हो रही है, इसका सत्य छिपाना है।
मेरी अपील है कि विपक्षी दलों को दिल्ली के बारे में सोचना चाहिए, गठबंधन के बारे में नहीं। अलायंस के बावजूद केंद्र में बहुमत से नरेंद्र मोदी की सरकार बन रही है। जिस तरह से यूपीए ने शासन चलाया, उसी के कारण विपक्ष में बैठे हैं।
रिसर्च पोलर वेसेल लाएंगे- अर्थ साइंस मिनिस्टर किरेन रिजिजू ने कहा- भारत अगले पांच साल में अपना पोलर रिसर्च वेसेल (ध्रुवीय अनुसंधान पोत) तैयार कर लेगा, ताकि हम अंटार्कटिका में रिसर्च बेस बनाए रख सकें। 2014 में केंद्रीय कैबिनेट ने वेसेल खरीदने के लिए 1051 करोड़ की मंजूरी दी थी। इसके लिए टेंडर भी लाया गया था, लेकिन सरकार ने इस प्रोजेक्ट को रोक दिया क्योंकि जो कंपनी शिप बना रही थी, उसने कुछ कंडीशंस लगाई थीं, जो टेंडर प्रक्रिया का हिस्सा नहीं थी।
सांसदों ने की सभापति से मुलाकात
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, एनके प्रेमचंद्रन, बसपा के रितेश पांडे, भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल, टीएमसी सांसद सौगत राय, एनसीपी सांसद फारूक अब्दुल्ला और डीएमके सांसद कनिमोझी ने लोकसभा सभापति ओम बिड़ला से मुलाकात की। सांसदों ने लोकसभा स्पीकर से सदन की कार्यवाही में शामिल होने की अपील की।
बिड़ला हंगामे की वजह से पिछले दो दिन से सदन में नहीं आ रहे थे। आज भी लोकसभा में कामकाज नहीं हो सका और कार्यवाही दो बजे तक स्थगित हो गई। लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश बिल पर चर्चा होनी है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल भी पेश होना है।

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