भारत की संस्कृति को आत्मसात करने समझने के लिए रामचरितमानस का अध्ययन पर्याप्त- धीरेंद्र

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अवधनामा संवाददाता

बाराबंकी। मुंशी रघुनंदन प्रसाद सरदार पटेल महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भारतीय लोक नृत्य पर संगोष्ठी एवं लोक नृत्यों की मंचीय प्रस्तुति का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि उमाशंकर वर्मा ‘मुन्नू भैया’ सचिव महाविद्यालय संस्था द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोकनृत्य और लोकसंस्कृति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। आज का युवा वर्ग पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित हो रहा है और अपनी भारतीय संस्कृति और परम्पराओं से दूर होता जा रहा है। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ० ऊषा चौधरी ने लोकनृत्यों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की महत्ता के बारे में जानकारी प्रदान की। चन्द्रभाष सिंह लेखक रंगकर्मी ने कहा कि संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति को जीवित रखना व आगामी पीढ़ी को उसे सही सलामत सौंपना है क्योंकि नई पीढ़ी अगर अपनी लोक-कलाओं को नहीं जाने-समझेगी तो एक दिन ये समाप्त हो जायेंगी।
संगोष्ठी में पटेल संस्थान के अध्यक्ष धीरेन्द्र कुमार वर्मा ने भारतीय संस्कृति की महत्ता को समझाते हुए कहा कि हम सभी को घरों से भी संस्कृति मिलती है और इनको आगे की पीढ़ियों तक पहुँचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत की संस्कृति को समझने के लिए यदि हम रामचरित मानस को पढ़ लें तो उसी में हमारी पूरी संस्कृति समाहित है। इसको और कहीं से सीखने की आवश्यकता नहीं।
संगोष्ठी के पश्चात भारतीय लोकनृत्य- चरकुला, स्वांग, नकाल, ख्याल और रासलीला आदि की मनमोहक प्रस्तुतियों का मंचन नई पीढ़ी के लोक-कलाकार – जूही कुमारी, पीहू गुप्ता, प्रियांशी, श्वेता गुप्ता, पूजा शर्मा, कोमल प्रजापति, सुन्दरम मिश्रा, बृजेश, चन्द्रभास सिंह, निहारिका अन्ना श्रीवास्तव आदि कलाकारों द्वारा किया गया। संस्था अध्यक्ष श्रीमती वन्दना तिवारी ने महाविद्यालय परिवार का आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ० आरती श्रीवास्तव ने किया। इस दौरान महाविद्यालय की प्राध्यापिकाएं डॉ० नीतेष त्रिपाठी, डॉ० अमिता सिंह, डॉ० शैली श्रीवास्तव, डॉ० रेणुका चौधरी तथा छात्रा कु० नेहा गुप्ता उपस्थित रहीं तथा इन्होंने सड़क सुरक्षा एवं साइबर क्राइम आदि पर अपने विस्तृत विचार व्यक्त किए।

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