खेतों में पड़ी दरारों को देख फट रहा किसानों का कलेजा

0
531

अवधनामा संवाददाता

नहरों में भी टेल तक नही पहुंचा पानी, सिंचाई व्यवस्था तार तार

कुशीनगर । यूपी के एक हिस्से में बाढ़ तो दूसरे में सूखा जैसे हलात हैं। पूर्वांचल के जिलों कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, खलीलाबाद, बस्ती और महाराजगंज में धान बोने वाले किसानों का कलेजा फटा जा रहा है। कुछ दिन पहले हुई बारिश से अधिकांश खेतों में धान की रोपाई तो गई, लेकिन इधर मानसून की बेरुखी और सूरज की तपिश से खेतों में दरारें नजर आने लगी हैं। उधर नहरों में टेल तक पानी नहीं पहुंचाना बेमानी साबित हो रहा है। जिसके वजह से सिंचाई व्यवस्था तार तार होती जा रही है ,और किसानों का कलेजा फटा जा रहा है।

कुशीनगर जिले में एक लाख 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपाई होती है। इसके चलते क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किसान धान की खेती से जुड़े हुए हैं। खरीफ की फसल में धान का उत्पादन किसानों के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन बारिश नहीं होने से इस बार धान की फसल किसानों के लिए मुश्किल बन गई है। ये परेशानी जुलाई में मानसून की बेरुखी से आई है। इस महीने अब तक 48.36 एमएम बारिश हुई है, जबकि पिछले वर्ष जुलाई में करीब 60 एमएम बारिश हुई थी। धान की फसल में अगर बारिश न हुई तो रोपाई से लेकर धान की बाली आने तक कम से कम पांच से सात बार पानी चलाना पड़ेगा। एक बार में एक घंटा पानी चलाने में करीब दो सौ रुपये का खर्च आता है। वहीं धान का उत्पादन सात से आठ हजार रुपये प्रति बीघा तक ही होता है। इसमें बीज, जोताई, मजदूरी, उर्वरक सब शामिल हैं। यदि आगे अच्छी बारिश नहीं होती है तो धान के लिए परेशानी हो सकती है। खेतों में दरार फट गई है। किसान पैंपिंगसेट से सिंचाई कर रहे है। हालांकि, मौसम विभाग के अनुसार आगे बारिश होने की संभावना अभी बनी हुई है।

बारिश के लिए कुछ दिन और करना पड़ेगा इंतजार

आपदा विशेषज्ञयों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी से नमी भरी हवा उठने की वजह से पुरवा हवा चल रही है। जब तक बंगाल की खाड़ी से आने वाली पुरवा हवा नेपाल की पहाड़ियों से नहीं टकराएगी, तब तक बारिश होने की संभावना नहीं है। इसलिए बारिश के लिए लोगों को अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here