अवैध बालू खनन के कारोबार पर रोक लगाने में जिम्मेदार विफल

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अवधनामा संवाददाता

हाटा, कसया व कप्तानगंज तहसील क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर हो रही खनन

कुशीनगर। जिले में अवैध बालू खनन का कारोबार जोरों पर है। हाटा तहसील क्षेत्र से होकर बहने वाली छोटी गंडक नदी के विभिन्न घाटों पर अवैध बालू खनन का कारोबार खूब फल फूल रहा है। वहीं शासन-प्रशासन बालू के अवैध खनन के धंधे को रोकने में विफल साबित हो रही है जिससे अवैध कारोबारियों का दबदबा बढ़ता जा रहा है। यह अवैध खनन का कारोबार वर्षो से निरंतर जारी है।

बताते चले की हाटा तहसील क्षेत्र के लालीपार, सिकटिया, अथरहां, मुड़िला हरपुर, देवराज पिपरा, गडेरीपट्टी, बनटोलवा, कसया के हेतिमपुर, चैनपुर, कुरमौटा, सतुगढही एव रामकोला के परवरपार, पुरैनी सहित तमाम घाटों पर बड़े पैमाने पर सफेद बालू खनन का अबैध कारोबार दिन रात चल रहा है। अबैध खनन से जहा परवरपार के प्राचीन मंदिर का अस्तित्व खतरे में है वही नदी के किनारे पड़ने वाले हजारों एकड़ खेत भी ऊसर हो रहे है। जिसकी शिकायत किसानों द्वारा तहसील प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक दर्जनों बार की गई लेकिन जिम्मेदार कार्यवाही के नाम पर कोरमपूर्ती कर मौन धारण कर लेते हैं। वही बालू माफिया इस अबैध कारोबार से वर्षों से अपनी तिजोरियां भरने में जुटे हुए है। लम्बे समय से माफियाओ की गिद्ध दृष्टि छोटी गंडक के सफेद बालू पर लगी हुई है। इस सम्बंध में जिला खनन अधिकारी से फोन पर सम्पर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनका फोन नही उठा।

शासन प्रशासन पर मिलीभगत के लगते रहे आरोप

योगी सरकार बनने के बाद लोगो को लगने लगा था कि इस कारोबार पर पूरी तरह अंकुश लगेगा, लेकिन यह कारोबार रुकने के बजाय और बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है। अबैध खनन को लेकर सफेदपोशों और पुलिस प्रशासन पर मिलीभगत के आरोप लगते रहे हैं। कार्यवाही न होने से माफियाओ का मनोबल सातवे आसमान पर है, अब सवाल यह है कि बालू खनन पर प्रशासन रोक लगा पाता है या यह कारोबार यू ही चलता रहेगा।

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