अवधनामा संवाददाता(शकील अहमद)
मुरादाबाद में एक कृषि वैज्ञानिक के संपर्क में आए हरेराम
फरवरी में सरसों काटने के बाद हरेराम ने धान का नर्सरी किया
कुशीनगर। आसाढ़ बीतने को है, खेतों में बारिश की जगह आग बरस रही है। धान की इक्का दुक्का रोपाई शुरू है, लेकिन अधिकतर किसान धान की नर्सरी में पानी दे रहे हैं। इस बीच फाजिलनगर के एक खेत में धान की फसल पक कर तैयार है और कटाई शुरू होने वाली है।
फाजिलनगर ब्लाक के लवकुश गांव निवासी किसान हरेराम सिंह ने मार्च में बोई गई उनकी धान की फसल अब कटने को तैयार है। हरेराम ने अपने घर के बगल स्थित बीस डिसमिल जमीन पर बरसों से सरसों की खेती कर रहे थे। फरवरी में सरसों की फसल काटने के बाद धान की बुआई करने के लिए जुलाई तक खेत खाली रखते थे। होली के मौके पर मुरादाबाद गए हरेराम सिंह की मुलाकात एक कृषि विज्ञानी से हुई जो अपने फार्महाउस में धान का बेहन गिराने की तैयारी कर रहे थे। उन्ही से आवश्यक जानकारी लेकर लौटे हरेराम ने प्रयोग के तौर पर अपने सरसो की फसल से खाली हुए बीस डिसमिल खेत में एक क्यारी बनाकर 18 मार्च 2023 को हाइब्रिड सरवती धान का बेहन गिराया। फिर 14 अप्रैल 2023 को तैयार नर्सरी से रोपाई करा दी। हरेराम के अनुसार नर्सरी लगाने के समय किसी उर्वरक का प्रयोग नहीं किया। धान की फसल जब एक माह की हुई तो आठ किलो ग्राम यूरिया पुनः एक माह बाद आठ किलोग्राम यूरिया का छिड़काव किया। किसी भी प्रकार का कीटनाशक का प्रयोग भी नहीं किया गया लेकिन खेत की नमी बरकरार रखी गयी। आज फसल पक करके तैयार है जिसे अतिशीघ्र काटा जाएगा। उम्मीद है की बीस डिसमिल में चार कुंतल पैदावार हो सकती है।
हाइब्रिड बीज से मार्च-अप्रैल में भी धान की फसल तैयार हो सकती है
इस सम्बंध में कृषि विज्ञान केंद्र सरगटिया के प्रभारी डॉ अशोक राय ने कहा कि रवि, खरीफ और जायद की फसल के लिए मौसम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। कुछ कम्पनियों के हाइब्रिड बीज से मार्च-अप्रैल माह में भी धान की फसल तैयार की जा सकती है लेकिन व्यवसायिक दृष्टि से यह पांच प्रतिशत ही सम्भव है। लागत भी बढ़ जाती है।
एक हेक्टेयर में हो सकती है 20 क्विंटल पैदावार
किसान हरेराम ने बताया कि मुरादाबाद जिले के रामपुर के किसानों ने बताया कि इस हाइब्रीड सरवती धान की पैदावार करीब एक हेक्टेयर में 20 क्विंटल है। उन्होंने बताया कि इस धान की बुआई में 12,500 रुपये लागत आएगी। इस धान की सबसे बढि़या खूबी यह है कि गर्मी के मौसम में होने से इसमें कीटनाशक दवाओं का प्रयोग बहुत ही कम होता है। गोबर की खाद और जरूरत के मुताबिक यूरिया का प्रयोग किया जा सकता है।