वॉशिंगटन। रूस-यूक्रेन को युद्ध को एक साल से भी अधिक का समय हो गया है, लेकिन दोनों ही देश पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। इसी बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हैरान कर देने वाली घोषणा कर दी है।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच जितने भी लंबे समय तक युद्ध चलेगा तो वह यूक्रेन को फंडिंग करते रहेंगे। बाइडेन ने कहा कि यदि उनकी विपक्षी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसद भले ही इस पर एतराज करें, लेकिन इसके बावजूद वह यूक्रेन को सहायता देने से पीछे नहीं हटेंगे।
युद्ध समाप्त न होने तक यूक्रेन को सहायता देगा अमेरिका
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बीते दिन व्हाइट हाउस का दौरा किया था। दोनों ने यूक्रेन सकंट और वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की।
बाइडेन ने ऋषि सनक के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की सच्चाई यह है कि मेरा मानना है रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं द्वारा विरोध करने के बाद भी यूक्रेन को दीर्घकालिक सैन्य सहायता प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि हमारी आर्थित स्थिती इतनी मजबूत है कि यूक्रेन को समर्थन देने के लिए हमारे पास भरपूर पैसा है और हम उसकी सहायता के लिए तत्पर खड़े हैं।
कीव को अरबों डॉलर की सैन्य-आर्थिक मदद दे चुका अमेरिका
बाइडेन ने कहा कि भले ही आप कैपिटल हिल पर आज कुछ आवाजें सुनें कि क्या हमें यूक्रेन का समर्थन करना जारी रखना चाहिए या नहीं और कब तक। हम इसके बावजूद लंबे समय तक यूक्रेन को मदद देते रहेंगे।
फरवरी 2022 में रूस के पहली बार आक्रमण करने के बाद से ही बिडेन और व्हाइट हाउस के अधिकारी इस बात पर अड़े हुए हैं कि क्या अमेरिका यूक्रेन के साथ तब तक खड़ा रहेगा जब तक दोनों देशों के बीच युद्ध समाप्त नहीं हो जाता है। वहीं, इस बात का उत्तर भी बाइडने ने स्पष्ट कर दिया है। बता दें कि अमेरिका ने अब तक कीव को अरबों डॉलर की सैन्य और आर्थिक सहायता आवंटित की है।
पीएम बनने के बाद थी पहली यात्रा
रूस यूक्रेन सकंट के चलते बाइडेन और सुनक ने इस बात पर भी संकल्प किया कि विश्व में होते तेजी से आर्थिक विकास, राजनीतिक और तकनीकी परिवर्तन की अवधि के अनूकूल कदम से कदम मिलाकर चलेंगे। दोनों ने बैठक के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा चीन, आर्थिक सुरक्षा, कृत्रिम मेधा के बढ़ते क्षेत्र को विनयमित करने पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अन्य कई मुद्दों पर भी चर्चा की। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के बाद सुनक की यह पहली यात्रा थी।