वन जीव व मनुष्य के जीवन की सुरक्षा व रक्षा ,जरूरी

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अवधनामा संवाददाता

 कॉरिडोर की सुरक्षा और वफर जोन की पुर्न समीक्षा हेतु केंद्र व राज्य सरकार से 6 जुलाई तक जवाब तलब।

सोनभद्र/ब्यूरो वन जीव व मनुष्य के जीवन की सुरक्षा व रक्षा के लिए सुरक्षित वन, वन संपदाओं की सुरक्षा-रक्षा का होना जरूरी है। ताकि वन्य जीव सुरक्षित वन क्षेत्र में निवास कर सके। वनों की सुरक्षा के साथ लोगों को शुद्ध पर्यावरण वातावरण का लाभ मिल सके।
कैमूर वन जीव अभ्यरण एवं चंद्रप्रभा वन्य जीव अभ्यरण के बीच कॉरिडोर को सुरक्षित करने के साथ-साथ वफर जोन की पुर्न समीक्षा के लिए दाखिल जनहित याचिका को मा.उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने स्वीकार कर केंद्र व राज्य सरकार से 6 जुलाई तक जवाब तलब किया है इसकी जानकारी याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह के साथ याची के अधिवक्ता उदय प्रकाश पांडे ने प्रेस से बात चीत के दौरान कहीं।

अधिवक्ता श्री पांडे ने बताया कि वाराणसी शक्तिनगर हाईवे कैमूर वन जीव अभ्यरण के बीच से गुजरता है जो व्यस्तम हाईवे है। दिन रात वाणिज्यिक वाहनों का आवा-जाही रहता है जिससे वन जीवो पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है इसके विचरण के लिए अंडरपास भी नहीं है और न ही सड़कों पर चेतावनी और बेरिकेटिंग ही लगा गया है। नियम के अनुसार रात्रि में सेंचुरी के सड़कों पर भारी और वाणिज्यिक वाहनों का परिवहन नहीं हो सकता है साथ ही कैमूर अभ्यरण और चंद्रप्रभा अभ्यरण के बीच करिडोर विण्डमफाल अहरौरा जंगल से तथा सोनभद्र के गुरमा चुर्क की रेंज से सुकृत होते हुए चंद्रप्रभा अभ्यरण है जो बिहार के कैमूर वन जीव अभ्यरण तक है ।
उन्होंने बफर जोन एक किमी होने से वन्य जीव की मौत पर भी सवाल उठाते हुए गोवा फाउंडेशन के केस मे सर्वोच्च न्यायालय के अभिमत का हवाला देते हुए बफर जोन बढ़ाने की बातें उठाई है।

याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि वनों की सुरक्षा हेतु पर्यावरण व प्रदूषण की रक्षा जरूरी है। स्वच्छ वन एवं स्वच्छ पर्यावरण ही जीव जंतु एवं मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। गत दिनों राज्य मंत्री के आवास बारी डाला जो सेंचुरी से 5 किमी की दूरी पर स्थित है वहां मगरमच्छ पाया गया है जिससे वन विभाग की टीम पकड़ कर सोन नदी में डाल दिया। सोन नदी के 10 किमी के क्षेत्र में मगरमच्छ और कछुआ का बफर जोन बनाए जाने तक लड़ाई लड़ी जाएगी और इन क्षेत्रों में गैर वानिकी कार्य बंद होना चाहिए ताकि वनो एवं जीव जंतु के जीवन की सुरक्षा व रक्षा हो सके।

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