रिंकी हत्याकाण्ड का पुलिस ने किया खुलासे का दावा, कहानी में झोल

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अवधनामा संवाददाता

15 मई को गायब हुई रिंकी की 30 मई को मिली थी लाश

 

कुशीनगर। हर बार कि तरह तहरीर को नजर अंदाज करने की वजह से घटित घटना के बाद अपने कुंभकर्णी निद्रा से जागी कुशीनगर की पुलिस अपनी लापरवाही पर पर्दा डालते हुए आनन-फानन में घटना का खुलासा कर अपनी पीठ थपथपाने में माहिर है। इसकी एक बानगी बुधवार को देखने को मिली। हुआ यह कि 15 मई को गायब हुई युवती को ढूंढने में नाकाम रही जिले की कसया पुलिस 30 मई को निर्माणाधीन मकान मे युवती का जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे शव बरामद करने के चौबीस घंटे के भीतर हत्यारे को पकड कर सीना चौडा कर रही है। काश! युवती की शव मिलने के बाद जिस तरह से कसया पुलिस तत्परता दिखाई है यही सक्रियता युवती की मॉ द्वारा पन्द्रह दिन पूर्व दी गई तहरीर पर दिखाई होती तो शायद रिंकी की जान बच सकती थी या फिर कातिल पन्द्रह दिन पहले सलाखों के पीछे पहुंच गया होता।

घटना की खुलासा का दावा करने वाली कसया पुलिस द्वारा मीडिया के सामने प्रस्तुत की गयी कहानी पर यकीन करे तो मृतका रिंकी राजभर का प्रेम संबंध गोरखपुर जनपद के पीपीगंज थाना क्षेत्र के मूइधरपुर बढैया चौक निवासी जवाहर पासवान के पुत्र विरेन्द्र पासवान से था। मृतका रिंकी द्वारा विरेन्द्र पर शादी करने का दबाव बनाया जा रहा था, चूकि विरेन्द्र पहले से शादीशुदा था इस लिए वह रिंकी से शादी नही करना चाहता था और वह 15 मई को रात्रि आठ बजे चाकू से गला रेतकर रिंकी की हत्या कर दिया। पुलिस प्रशासन द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति मे गढी गयी कहानी मे यह कही नही दर्शाया गया है कि रिंकी और विरेन्द्र पहली बार कब और कैसे मिले, उन दोनो के बीच कब से प्रेम-प्रसंग चल रहा था। विरेन्द्र कब-कब कसया रिंकी से मिलने आया था और रिंकी कब- कब विरेन्द्र से मिलने पीपीगंज गयी थी। इसके अलावा सवाल यह भी उठता है कि रिंकी कब से विरेन्द्र पर शादी करने के लिए दबाव बना रही थी। क्या मृतका रिंकी को मामूल नही था कि विरेन्द्र पहले से शादीशुदा है। अगर मालूम था तो उसे इस बात की जानकारी कब हुई? 15 मई को रिंकी जब अपने घर से निकली तो विरेन्द्र से कब और कहा मिली? पुलिसिया कहानी के मुताबिक रिंकी की हत्या 15 मई को ही रात्रि तकरीबन आठ बजे हुई थी तो रिंकी और विरेन्द्र दिनभर कहा थे? विरेन्द्र ने रिंकी की हत्या कहा की और फिर रिंकी की लाश बुद्धनगरी स्थित पथिक निवास के पीछे स्थित कालोनी के निर्माणाधीन मकान में कब और कैसे पहुँचाया। क्या विरेन्द्र अकेले ही रिंकी की लाश को निर्माणाधीन मकान में पहुंचाया था या फिर कोई और भी राज़दार इसमे शामिल है। ऐसे तमाम यक्ष प्रश्न है जो कसया पुलिस को कटघरे में खड़ा कर रही है। इसके बावजूद इन सभी सवालों और अपनी लापरवाही पर कसया पुलिस पर्दा डालकर घटना का खुलासे का बाहवाही लूट रही है।

फ्लैश बैक

कसया थाना क्षेत्र के झुगवा भरटोली निवासिनी स्वर्गीय राजेन्द्र राजभर की 20 वर्षीय पुत्री रिंकी राजभर बीते 15 मई को पड़ोस में रहने वाली लड़की की सगाई में शामिल होने रामाभार स्तूप परिसर गई हुई थी। देर शाम तक रिंकी जब घर नहीं लौटी उसकी मां ने रिंकी के नम्बर पर फ़ोन किया तो मोबाइल स्वीच आफ बता रहा था। किसी अनहोनी की आशंका जताते हुए परिजनों ने रिश्तदारों व परीचितों में रिंकी की खोजबीन शुरू किया जब रिंकी का कही अता-पता नही चला तो रिंकी की माँ उर्मिला देवी 18 मई को कुशीनगर पुलिस चौकी को तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की थी। पुलिस ने मुकदमा तक दर्ज नहीं किया। इसके लिए तीन बार पुलिस चौकी पर गुहार लगाई। पांच बार थाने पर पहुंची थी। थाने से भी कोई मदद नहीं मिली। उर्मिला का कहना था कि अगर पुलिस ने कार्रवाई की होती तो रिंकी की जान बच जाती। हालाकि पुलिस का कहना है कि गुमशुदगी की रिपोर्ट 18 मई को दर्ज कर ली गई थी।।
बीते सोमवार की देर शाम लापता रिंकी राजभर का शव पथिक निवास के समीप एक निर्माणाधीन मकान में मिला। इसके बाद पुलिस हरकत मे आयी शव को कब्जे मे लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पीएम रिपोर्ट में रिंकी की गला रेतकर हत्या होना बताया गया है। गला किसी धारदार हथियार से काटा गया था। गले की हड़्डी भी कट गई थी। सिर्फ चमड़ी बची हुई थी। चेहरे की चमड़ी सड़ गई थी। जो कंकाल बन गया था। अन्य शरीर में कीड़े पड़ गए थे। शव 10 दिन से अधिक पुराना बताया जा रहा है।

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