मनुष्य रूप मिलना सौभाग्य, इसे जीवात्मा के कल्याण में लगाएं- पंकज महाराज

0
389

अवधनामा संवाददाता

मसौली बाराबंकी। जय गुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के अध्यक्ष पंकज महाराज यात्रा लेकर गुरुवार को जनपद के ग्राम करमुल्लापुर मजरे दादरा पहुंचे।
यहां आयोजित सत्संग समारोह में आए हुए जनमानस को संबोधित करते हुए कहा जब परमात्मा दुनिया को रोशनी देना चाहता है, तो वह किसी संत फकीर के जरिए अपना भेद प्रकट करता है। सौभाग्य से हम सबको देव दुर्लभ मनुष्य शरीर मिला है। समय रहते अपनी जीवात्मा के कल्याण के बारे में जरूर विचार करें।
गुरुवार को यहां आयोजित सत्संग समारोह में प्रवचन देते हुए पंकज महाराज ने कहा कि यह पंच भौतिक शरीर हरि मंदिर है, असली कुदरती काबा है। प्रभु, खुदा का दीदार इस कुदरती काबे में होगा। इसमें प्रभु की अंश जीवात्मा बंद की गई है। मनुष्य की एक ही जाति है, वह है मानव जाति। जातियां कर्मों के आधार पर बनी है, जन्म से नहीं। सत्संग में शब्द यानि नाम का प्रचार किया जाता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष, जाति, बिरादरी या मजहब की कभी कोई निंदा या आलोचना नहीं की जाती है। संत-महात्मा, फकीर लोगों के हाथों में डंडा, तलवार और बंदूक पकड़ाने नहीं आते हैं बल्कि सही और सच्ची बात बताने आते हैं। मनुष्य अपने बनाए हुए मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे को साफ-सुथरा रखता है। नहा-धोकर उसमें पूजा करता है, उसकी कद्र करता है। लेकिन प्रभु के बनाए हुए सच्चे हरि मंदिर की कद्र नहीं करता है। उसमें अंडा, शराब, मांस जैसे अशुद्ध अखाद्य पदार्थों को डालता है। मनुष्य अपने पेट को जीतेजी कब्रिस्तान, श्मशान बनाए हुए हैं। खुदा, प्रभु इसकी कठोर सजा देने के लिए नरक में डाल देगा। अभी वक्त है अपने गुनाहों की माफी मांगने का। संत महात्मा कर्मों की सफाई करते हैं। उनकी खोज कर अपने कर्मों की सफाई करा लें। यह परम सौभाग्य की बात है कि मनुष्य रूपी मंदिर में बैठकर सत्संग सुनने का मौका मिल रहा है। ऐसा दुर्लभ अवसर जन्म-जन्मांतरों के पुण्य संचित होने पर मिलता है।
अपने सत्संग सम्बोधन में संस्थाध्यक्ष ने कहा कि यह सत्संग है, जिसमें कौआ स्नान करके हंस बनकर निकलता है। यह कोई कथा कीर्तन, गाना बजाना नहीं। एक-एक शब्द को ध्यान देकर सुनना। सत्संग ही विवेक जागृत होता है कि हम कौन हैं? कहाँ से आये? और मरने के बाद कहाँ जायेंगे? हमारे नाते, रिश्तेदार कहाँ जायेंगे। सत्संग में इसकी जानकारी मिलती है। हमने इस दुनियां को ही अपना मान लिया और यहां के ऐशो इशरत में फंस गये। इसलिये समय समय पर सन्त महापुरुष फकीर आकर जीवों को जगाते हैं कि ऐ नर-नारियों! यह मनुष्य शरीर, इंसानी जामा आपको किराये का मकान है। उस खुदा ने भगवान ने 40-50 साल या 80-100 साल के लिये आपको दिया और श्वांसों की पूंजी सौंप दी कि आप अच्छा करो या बुरा आप स्वतन्त्र हो लेकिन उसका फल आपको स्वर्ग या नर्क में भोगना पड़ेगा।
महाराज जी ने चरित्र को मानव धर्म की सबसे बड़ी पूंजी बताया। मानव धर्म क्या है, हम निःस्वार्थ भाव से एक-दूसरे की सेवा करें।
इससे पूर्व करमुल्लापुर गांव पहुँचने वाली 27 दिवसीय शाकाहार-सदाचार मद्यनिषेध आध्यात्मिक वैचारिक जनजागरण यात्रा का आतिशबाजी तथा बैण्ड बाजे के साथ यात्रा का भव्य स्वागत किया। इस मौक़े पर जिलाध्यक्ष रामचंद्र यादव, राम कुंवर यादव, सस्था के उपदेशक एवं प्रबन्ध समिति के सदस्य मोह. ईशा, सत्यदेव वर्मा, संयोजक कृष्ण मुरारी यादव महामन्त्री बाबूराम यादव, प्रा.अध्यक्ष उ.प्र. सन्त राम चौधरी, बिहार के प्रान्तीय अध्यक्ष मृत्युन्जय झा, म.प्र. के महासचिव बी.बी. दोहरे, दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष विजय पाल सिंह, जिला संगत बाराबंकी के उपा. अवध नरेश सिंह कोषाध्यक्ष उमाशंकर त्रिवेदी रमेश चन्द्र व दिनेश कुमार, सतीश चन्द, निसारुद्दीन, मु. आलम आदि मौजूद रहे। सत्संग के बाद धर्म यात्रा गोरखपुर के लिये प्रस्थान की गई।
फ़ोटो न 1

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here