बुनकरों को बिजली बकाया में मिली छूट
लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को लोक भवन में कैबिनेट की बैठक हुई। नगर निकाय चुनाव कार्यक्रम जारी होने के बाद यह पहली कैबिनेट बैठक थी। इसमें 27 प्रस्ताव पास हुए। 5 निजी संस्थानों को विश्वविद्यालयों की मान्यता मिलेगी। एमएसएमई विभाग के जरिए बुनकरों को बिजली बिल में छूट दी गई है। एक अगस्त 2020 से 31 मार्च 2023 के बीच के बिल में छूट दी जाएगी।
कैबिनेट में द केरल स्टोरी मूवी को ट्रैक्स फ्र ी करने का प्रस्ताव भी मंजूर किया गया है। शृंगवेरपुर धाम के विकास, निवेशकों को नीतियों के तहत दिए जाने वाले लाभ की मंजूरी भी हो गई है। किसानों में दलहन और तिलहन की मिनी किट बांटने जैसे प्रस्ताव पर भी सहमति बनी है।
दलहन और तिलहन के बीजों की निशुल्क मिनी किट बांटेंगे
प्रदेश में दलहन व तिलहन का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए चार वर्ष का अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत प्रत्येक वर्ष किसानों को दलहन एवं तिलहन के बीजों की निशुल्क मिनी किट दी जाएंगी। इस वर्ष दोनों की 875596 किट बांटी जाएंगी। शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में इन दोनों के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई। दोनों के लिए 15-15 करोड़ का बजट रखा गया है।
प्रदेश में दलहनी एवं तिलहनी फसलों का क्षेत्र बढ़ाने, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए वर्ष 2023-2024 से 2026-2027 तक अभियान चलाया जाना है। इसके तहत जहां निशुल्क बीजों की मिनी किट बांटी जाएंगी तो वहीं किसान पाठशालाओं का आयोजन होगा। तिलहन की बात करें तो तिल, मूंगलफली, राई सरसों एवं अलसी के बीजों की मिनी किट बांटी जानी है। पहले साल कुल 666578 किटों का वितरण होगा। एक एकड़ में बोआई के लिए तिल, राई, सरसों के दो-दो किग्रा के बीज, अलसी .1 हेक्टेयर के लिए दो-दो किग्रा के बीजों के पैकेट होंगे। जबकि मूंगफली का 20 किग्रा का पैकेट एक हेक्टेयर के लिए होगा। 11906 ग्राम पंचायतों में किसान प्रदर्शनों का आयोजन किया जाएगा। कुल चार साल में 2666000 मिनी किट बांटने का लक्ष्य है।
दलहन पर काम
इसके साथ ही दलहन की भी इस साल 209018 मिनी किट बांटी जाएंगी। इसमें उर्दू, मूंग के 4-4 किग्रा, अरहर-3, चना-16, मटर-20 तथा मसूर के 8 किग्रा बीज के पैकेट होंगे। प्रत्येक मिनी किट .2 हेक्टेयर रकबे में बोआई के लिए है। 14293 गांवों में किसान पाठशाला और प्रदर्शन का आयोजन होगा। प्रत्येक में कम से कम 100 किसान शामिल होंगे। इस समय प्रदेश में दलहन का रकबा 24.50 लाख हेक्टेयर है जिसे चार सालों में 28.84 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह दलहन का उत्पादन भी 35.79 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है। चार सालों में 836000 मिनी किट बांटी जाएंगी।
प्रदेश के संस्कृत विद्यालय के मानदेय शिक्षकों को बड़ी राहत
प्रदेश में संस्कृत के पठन पाठन को गति देने में लगी प्रदेश सरकार ने यहां पर काम कर रहे मानदेय शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। शासन ने प्रदेश के 570 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में पहले से पढ़ा रहे 518 मानदेय शिक्षकों का कार्यकाल बढ़ाए जाने को हरी झंडी दी है। कैबिनेट ने इनका कार्यकाल नई नियुक्ति होने तक दो सत्र के लिए बढ़ाने की सहमति दी है। साथ ही इन विद्यालय व राजकीय संस्कृत विद्यालय के खाली 850 पदो के सापेक्ष भी मानदेय पर नियुक्ति करने की सहमति दी है। इससे संस्कृत विद्यालय में पठन पाठन को काफी सहयोग मिलेगा।
प्रदेश में परियोजनाओं की लागत के आधार पर तय होगा सेंटेज
प्रदेश में निर्माण परियोजनाओं पर लगने वाली सेंटेज की एकसमान दर वाली व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। इसके स्थान पर अब कामों की लागत के हिसाब से सेंटेज के चार स्लैब बनाए गए हैं। कैबिनेट की शुक्रवार को हुई बैठक में संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। इससे राज्य सरकार को बड़ी धनराशि की बचत होगी। वित्तीय प्रबंधन में सुधार के लिहाज से यह प्रस्ताव लाया गया था। अभी तक निर्माण विभागों और निगम आधारित कार्यदायी संस्थाओं में सेंटेज की एकसमान दर 12.5 प्रतिशत थी।
इसके स्थान पर निगम आधारित कार्यदायी संस्थाओं के लिए सेंटेज के लिए स्लैब तय कर किए गए हैं। नई व्यवस्था में 25 करोड़ रुपये तक की लागत वाली परियोजनाओं में सेंटेज की दर सबसे ज्यादा 10 प्रतिशत होगी। 25 करोड़ से अधिक और 50 करोड़ रुपये तक 8 प्रतिशत, 50 करोड़ से अधिक और 100 करोड़ तक 7 प्रतिशत और 100 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली परियोजनाओं के लिए सेंटेज की दर 5 प्रतिशत होगी। लोक निर्माण विभाग और सिंचाई विभाग आदि विभागीय कार्यों पर सेंटेज (6.875 प्रतिशत) को परियोजना की लागत पर जोडऩे की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है।
कार्यदायी संस्थाओं के अधिष्ठान व्यय निश्चित होने के कारण सेंटेज की दरें परियोजना की लागत बढऩे के साथ कम किया जाना औचित्यपूर्ण माना गया। केंद्रांश में सेंटेज चार्ज की व्यवस्था न होने के कारण यह भार राज्य सरकार को वहन करने होते हैं। वर्तमान में सेंटेज की धनराशि पर भी 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जा रहा है, जिससे राज्य सरकार को वहन करने होते हैं।
प्रारंभ में किसी परियोजना की वित्तीय स्वीकृति और पहली किस्त आंकी गई लागत के आधार पर जारी होगी। लेकिन, दूसरी किस्त जारी करने से पहले परियोजना को टेंडर की लागत के आधार पर रिवाइज किया जाएगा। बाद की किस्तें पुनरीक्षित लागत के आधार पर ही जारी होंगी। निगम आधारित संस्थाएं ब्याज की राशि अनिवार्य रूप से कोष में जमा करेंगी।
मैसर्स हीरो मोटर्स के भूमि पट्टे की लीज अवधि 30 वर्ष बढ़ाई
प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने मैसर्स हीरो मोटर्स लि. को गौतमबुद्ध नगर में आवंटित जमीन के पट्टे की लीज अवधि को 30 वर्ष के लिए बढ़ाने का प्रस्ताव मंजूर किया है। 305.45 रुपये प्रतिवर्ष की दर से किराया निर्धारित करते हुए भूमि पट्टे अवधि के लीज अवधि को 29 जनवरी 2022 से 28 जनवरी 2052 तक 30 वर्ष के लिए बढ़ाया जाएगा।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि हीरो मोटर्स लि. को गर्वमेंट ग्रांट एक्ट 1895 के तहत 29 जनवरी 1992 को गौतमबुद्धनगर में जमीन का पट्टा 30 वर्ष की लीज अवधि के लिए दिया गया था। उसकी अवधि 28 जनवरी 2022 को समाप्त हो गई। पूर्व लीज डीड की शर्त के अनुसार पट्टे की अवधि को तीस वर्ष के लिए बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि इससे हीरो मोटर्स की ओर से औद्योगिक गतिविधियों का संचालन अनवरत किया जा सकेगा। इससे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल फाइल की गई थी जिसके तहत प्रदेश में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। 144.90 करोड़ रुपए से 6 सर्किल ऑफिस और 5 थानों में सीसीटीवी लगाए जाएंगे।
मथुरा में पर्यटन विकास संबंधी काम कराए जाने के लिए मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण को कार्यदायी संस्था नामित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना की नीति निर्धारण के संबंध में प्रस्ताव पास किया गया।
एनएच-31 गाजीपुर से बलिया-मांझी घाट ग्रीन फील्ड परियोजना में प्रभावित ग्राम सभा की भूमि एनएचएआई को निशुल्क दी जाएगी।
किसान पाठशाला में तिलहनी फसलों के निशुल्क बीज किट बांटे जाएंगे।
किसान पाठशाला में दलहनी फसलों के निशुल्क बीज किट बांटे जाएंगे।
किसानों से गेहूं क्रय किए जाने पर आने वाले अतिरिक्त व्यय की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार करेगी।
निर्माण परियोजनाओं में सेंटेज चार्जेज, निर्माण लागत, वित्तीय स्वीकृति आदि से संबंधित वित्तीय प्रबंधन में सुधार किया जाएगा।
एमएसएमई विभाग के जरिए बुनकरों को बिजली बिल में छूट दी गई है। एक अगस्त 2020 से 31 मार्च 2023 के बीच बिल में छूट दी जाएगी।
यूपी 112 परियोजना के दूसरे चरण के लिए सलेक्शन ऑफ मास्टर सिस्टम इंटीग्रेटर की आरएफपी को तीन भागों में अलग अलग बिड कराए जाएंगे।
औद्योगिक विकास और रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 में संशोधन का प्रस्ताव मंजूर हो गया है।
कैबिनेट से प्रस्ताव पारित होने के बाद पहले से जमीन खरीदने वाले निवेशकों को स्टांप ड्यूटी की शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी।