अवधनामा संवाददाता
जीवन और मौत से जूझ रही शेर मोहम्मद की बड़ी बेटी कुलसुम व दादा दादी
कुशीनगर के माघी मठिया अग्निकांड
कुशीनगर । रामकोला थाना क्षेत्र के माघी मठिया गांव में जो हृदयविदारक घटना हुई उससे शेर मोहम्मद उबर नहीं पा रहा है। नन्हे मुन्ने बच्चों की यादें भूल नही पा रह है। सबसे दर्दनाक मंजर वह था जहां दो माह की मासूम बच्ची अपने मां के सीने से चिपकी मिली जिसे देख सबका कलेजा फटा जा रहा था। शेर मोहम्मद की आंखों के सामने ही पूरा परिवार जिंदा जल रहा था। एक ही झटके में चार बच्चे व दिव्यांग पत्नी फातिमा की जिंदगियां खत्म हो गई। इस अग्निकांड में दो पीढ़ियां खाक हो गई।
बता दें कि बुधवार की दोपहर करीब तीन बजे रामकोला थाना क्षेत्र के माघी मठिया गांव निवासी दिव्यांग शेर मोहम्मद के घर में उस समय आग लग गई जब वह रोजी रोटी के लिए टेंपू चलाने चला गया था। उस घर में उनके दादा सफीक, दादी मोतीरानी, पत्नी फातिमा, बेटी कुलसुम, रोकई, अमीना, आयशा और दो माह की खतीजा घर में सोई थीं, तेज पछुआ हवा चल रहा था। घर के सामने नबीहसन की झोपड़ी थी। उसमें सूखी लकड़ियां भी रखी गई थीं। बताया जा रहा था कि वहीं से निकली आग से इनका घर जलने लगा। आग की लपटों ने तेज पछुआ हवा के चलते सड़क की दूसरी तरफ स्थित दिव्यांग शेर मोहम्मद के घर को भी अपनी चपेट में ले लिया। घर में सो रहे शेर मोहम्मद के परिजन कुछ समझ पाते, तब तक उनके घर के बाहर बनी झोपड़ी में आग लग गई। तब तक गांव में शोर होने लगा। आग इतनी विकराल थी कि दूर से ही शरीर जलने लग रहा था। घर में सो रहे सभी लोग उठ गए और चीखने-पुकारने लगे। लेकिन बाहर निकलने का रास्ता बंद हो चुका था।
चारों बेटियां व उसकी मां एक कमरे में तथा दादी दादी और एक बच्ची एक कमरे में थे
चार बेटियां और मां एक कमरे में अंदर ही छिप गईं थी। शेर मोहम्मद के दादा-दादी और एक बच्ची कुलसुम दूसरे कमरे में छिप गए। जिस कमरे में मां और बेटियां छिपी थीं उसमें सामान अधिक होने की वजह से आग कमरे में फैल गई। इसमें पांचों की जलने से मौत हो गई। उधर, दूसरे कमरे में छिपे शेर मोहम्मद के दारा-दादी और बेटी कुलसुम भी झुलस गई। ऑटो चालक शेर मोहम्मद उस समय पडरौना में था। आग लगने की सूचना पाते ही थोड़ी देर में घर पहुंच गए। आंख के सामने घर और परिवार को जलते देखकर वह चीखने-चिल्लाने लगा। वह रोते-रोते अचेत हो जा रहा था। गांव के लोगों ने किसी तरह से आग पर काबू पाया। तब तक शेर मोहम्मद पत्नी और चार बेटियां जलकर मर चुकी थीं। बड़ी बेटी कुलसुम तथा दादा सफीक व दादी मोतीरानी गंभीर रूप से झुलसे थे। उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया, जहां तीनों का इलाज चल रहा है। शेर मोहम्मद के आंखों के सामने जलता परिवार देख अपने आप को रोक नहीं पा रहा था। एक ही झटके में शेर का कुनबा खाक हो गया।