अवधनामा संवाददाता
कृष्ण जन्मोत्सव पर झूमे श्रद्धालु
बांदा। स्वराज कालोनी गली में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के आज चतुर्थ दिन चित्रकूट से पधारे श्रद्धेय पंडित राकेश शास्त्री ने श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वर्णन करते हुए श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाई। विवाह के बाद कंस अपने रथ पर बासुदेव और देवकी के साथ जा रहे थे। तभी आकाश से घोर गर्जना होती है की कंस देवकी के गर्भ से जन्मीं आठवीं संतान तेरा काल बनकर तेरा नाश करेगी। कंस ने भय के वशीभूत होकर अपनी बहन देवकी एवं बासुदेव को कारागार मे डाल दिया और एक एक कर छह संतानों का जन्म लेने के साथ ही बध कर दिया। सातवे गर्भ का संकर्षण हो गया।उधर देवकी ने आठवां गर्भ धारण किया तभी कंस ने सैनिकों को सावधान कर दिया की मेरा काल आ रहा है। भाद्रक्रष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि मे भगवान नारायण बालक के रूप मे प्रकट हुए ।और कहा कि मुझे गोकुल नंदबाबा के यहा छोड़ आए तथा वहा से योगमाया को साथ ले आए। तभी हाथों और पांवों को जकड़े हुईं बेड़िया खुल गई। टोकरी मे बालक को सावधानी पूर्वक रखकर यमुना नदी पार करते समय बारिश आ गई।और बारिश से बचाव के लिए नागराज अपना धाम छोड़ आए और छत्ते की तरह भगवान को भीगने से बचाया। साथ ही यमुना जी भी प्रभु के दर्शन करने के लिए ऊपर उठती आ रही थी जो वासुदेव के सिर तक आ गई तब यमुना को यह कहकर शांत कर दिया की अपने ससुर के सिर पर चढ़ रही हो और टोकरी से पेर निकालकर यमुना को दर्शन दे दिए तब बासुदेव द्वारा क्रष्ण को छोड़कर और योगमाया को साथ लेकर बापस आ जाते है। कंस ने जैसे ही योगमाया को मारना चाहा तो वह कन्या आकाश मे जाकर कंस को सतर्क करती है की तेरा काल इस धरा पर जन्म ले चुका है।उधर गोकुल मे क्रष्ण के जन्म पर बधाईयां का दौर शुरू हो जाता है जिसमे चौरासी कोस ब्रज को आमंत्रित किया जाता है। कथा स्थल पर इस मौके पर ब्रज मे हो रही जय जयकार नन्द घर लाला आयो है…..नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की…….. कृष्ण जन्मोत्सव की झांकी पर सभी उपस्थित श्रद्धालुओं ने नृत्य किया। कथा के उपरांत महा आरती हुई और भगवान को भोग लगाने के पश्चात सबको प्रसाद वितरण किया गया। परीक्षित श्रीमती गीतेश्वरी तिवारी राजकुमार तिवारी,दिनकर अवस्थी,अमन, ओमनारायण त्रिपाठी,पीयूष पांडे, पूजा अर्चना आरती कंचन देवी माया अखिलेश यादव अशोक आदि मौजूद रहे।