अवधनामा संवाददाता
नदी को अस्तित्व में लाने के लिये डीएम बने भगीरथ
खड्डा, कुशीनगर। गंडक नदी से निकली बाँसी नदी की साफ सफाई जिले के जिलाधिकारी के नेतृत्व में सभी आलाकमान अधिकारियों एंव सफाईकर्मीयो ने कमर कस लिया है। अब श्रमदान से बाँसी नदी के जीर्णोद्धार होगा।
बताते चले कि गण्डक नदी के उत्तर प्रदेश एंव बिहार प्रांतों के बीचोबीच से नारायन घाट कटाई भरपुरवा से बाँसी नदी नाले का उद्गम होती है। यह नदी नाला उत्तर प्रदेश के जिला कुशीनगर के सैकड़ों बाजार व गावों को छूते हुये बाँसी होते अन्यत्र बिहार को चली जाती है। जो नदी नाला हजारों वर्ष पुराना होने के वावजूद भी देख रेख के अभाव में अपने अस्तित्व पर आँशु बहा रहा था। नाले में जगह जगह जलकुंभी आदि वनस्पतियों एंव झाड़ियों के उगने से कही नदियां समतल दिखाई दे रही थी। उसी बाँसी नदी नाले के जीर्णोद्धार के लिये जिला प्रशासन अब कमर कस लिया है। दिन बुधवार को सुबह 8 बजे के करीब खड्डा ब्लॉक के ग्राम सभा कटाई भरपुरवा के शिव मंदिर पर पहुँचे जिलाधिकारी रमेश रंजन अपने लावलश्कर अधिकारियों में सीडीओ गुंजन द्विवेदी, डीपीआरओ अभय यादव, डीसी मनरेगा राकेश, खण्ड विकास अधिकारी शुशील कुमार, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी प्रवीण कुमार सिंह, एडीओ पंचायत भगवंत कुमार, विशुनपुरा रामबेलास आदि के अलावा टीए सुनील गुप्ता के साथ जिला के सभी सफाई कर्मी पहुँचे और शिव मंदिर कटाई भरपुरवा के निचे से बह रही बाँसी नदी में घुस कर जलकुंभी व झाड़ियों को सफाई करते श्रमदान किया। गांव के जनता में यह चर्चा है कि नदी अस्तित्व में आयी तो डीएम का प्रयत्न भागीरथ प्रयत्न, जो पौराणिक काल का सदैव याद दिलाता रहेंगे। जटहा बाजार से बाँसी धाम तक विभिन्न जगहों कटाई भरपुरवा, जरार, चिरवहिया, मनकौरा, चैती मुसहरी, गम्भीरिया, सिंगापट्टी क्षेत्र के कुल सात जगहों पर हुये सफाई अभियान हमेशा लोगों में चर्चा बना रहेगा।
ऐतिहासिक व पौराणिक है नदी का इतिहास
जनश्रुतियों के मुताबिक भगवान राम ने विवाहोपरांत मिथिला से पूरी बारात के साथ लौटते समय इसी नदी के किनारे विश्राम व स्नान किया था। उनकी बारात के सिंघा वादक जहां ठहरे उसका नाम सिंघापट्टी, जहाँ देवियां रुकी थी उसे आज भी देवीपुर, जहाँ त्रिलोक के देवता ठहरे उसे त्रिलोकपुर आज भी कहा जाता हैं साथ ही जहाँ राम ने स्नान किया वो रामघाट, जहाँ लक्ष्मण ने स्नान किया उसे लक्ष्मण घाट के नाम से आज भी जाना जाता है। जो इसी नदी के किनारे स्थित हैं। आज हजारों वर्ष के बाद जिलाधिकारी ने खुद के साथ जिला के सफाई कर्मियों से श्रमदान कराए।
कभी अनवरत बहने वाली नदी के अस्तित्व पर आ गया था संकट
कभी बांसी नदी की अविरल धारा स्वच्छ जल से परिपूर्ण हुआ करती थी। परन्तु नारायणी के अपने स्थान बदलने व कटान की वजह से इसके मुहाने से नदी के दूर हो जाने की वजह से यह सिर्फ बरसाती नाला के रूप में तब्दील होकर रह गई है रही सही कसर अवैध अतिक्रमण ने पूरा कर दिया है जिस वजह से इस नदी के अस्तित्व पर ही संकट आ गया है।
जरूरत है भगीरथ की
अतिक्रमण की शिकार व प्रदूषित हो चुकी बांसी नदी को एक भगीरथ की दरकार है जो इसे अविरल प्रवाह हेतु नवजीवन प्रदान कर सके, जो अब डीएम कुशीनगर के नाम चर्चा में है।