अवधनामा संवाददाता
जयकारे से गूंजे मंदिर, घरों में हुई कलश स्थापना व विधि-विधान से पूजन
कुशीनगर। या देवि सर्वभूतेषु शक्ति रुपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मंत्रोच्चार के बीच बुधवार से जगत जननी माँ जगदम्बा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री देवी की पूजा-अर्चना शुरू हो गई। नवरात्र के पहले दिन भोर में मंदिरों के कपाट खुलते ही घंटे-घड़ियाल बजने लगे। देवी दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। प्रमुख मंदिर के बाहर मेला सा दृश्य रहा। मंदिर परिसर के आसपास सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गयी थी। घरों में भी मंत्रोच्चार के बीच कलश स्थापना की गई जहा नवरात्री के प्रथम दिन से लेकर नवमी तक माँ शक्ति की विभिन्न स्वरूपों के विधिवत पूजा-अर्चना की मान्यता है। नवरात्र के नौ दिनों में देवी पूजा का विशेष महत्व है।
पडरौना से पंद्रह किलोमीटर दूर खह्नवार मंदिर में मेला जैसा दृश्य रहा। नारियल, सिंदूर, कपूर, अगरबत्ती, चुनरी सहित विभिन्न पूजन सामग्रियों से सजी दुकानें मंदिर परिसर की आभा को और भी आकर्षक बना रही हैं। नए-नए परिधानों में पहुंचने वाले श्रद्धालु पूजन सामग्रियां खरीदने के बाद मंदिर में पहुंचकर माता खह्नवार देवी के चौरा पर मत्था टेककर अपने व परिवार की सुख-सलामती और समृद्धि के लिए प्रार्थना किए। मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं। यहां पुरुष और महिला श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अलग-अलग कतारें बनाई गई थी। इसी तरह पडरौना नगर के प्राचीन दुर्गा मंदिर, बुढ़िया माई मंदिर, अंबे मंदिर, छावनी स्थित दुर्गा मंदिर एवं हट्ठी माता मंदिर, लखरांव मंदिर, गायत्री माता मंदिर में भी पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई थी। कसया क्षेत्र के मैनपुर और कुलकुला देवी मंदिर सहित जिले के मोतीचक क्षेत्र के चेड़ा माई मंदिर, सिंहासनी माता मंदिर, कप्तानगंज के दुबौली माता मंदिर, रामकोला के धर्मसमधा मंदिर,सभी देवी मंदिरों में मंगलवार को सुबह से ही विधिवत पूजा-अर्चना शुरू हो गई। नवरात्र के पहले दिन बहुत से श्रद्धालुओं ने उपवास रख कर मां दुर्गा की आराधना की।
कुबेरस्थान के निकट भूपसागर पोखरा के किनारे स्थित प्राचीन जल्पा देवी (बुढ़िया माई) मंदिर में भी दर्शन के लिए भी श्रद्धालु पहुंचे हुए थे। वहां भी मेला सरीखा दृश्य रहा। इसी तरह पडरौना नगर से तीन किलोमीटर दूर स्थित प्राचीन खिरकिया माता मंदिर भक्तिगीतों, भजन-कीर्तन और मेला के चलते भक्तिमय बना रहा। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की टोलियां कहीं कीर्तन-भजन तो कहीं पूजा-अर्चना में लगी थीं। इसके अलावा श्रद्घालुओं ने मां दुर्गा को प्रसन्न करने के कलश स्थापित कराया और दुर्गा सप्तसती का पाठ शुरू किया। जनपद के सेवरही क्षेत्र के दुर्गा मंदिरों में भक्तों ने मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा कर सुख, शांति व समृद्धि की कामना की। इसी तरह पकड़िहार, कतौरा, अहिरौली हनुमान सिंह, दुबैली, दौनहा, संतपट्टी, गौरी इब्राहिम, राजपुर बगहां, बेदूपार, पिरोजहां, ब्रह्मपुर, मिश्रौली, दाहूगंज, भुलिया बाजार, जंगलीपट्टी, जोगनी, मलाही टोला, बभनौली सहित आसपास के सभी गांवों में स्थित देवी मंदिरों में भक्तों ने पूजा अर्चना की।
शक्ति स्वरूपा माँ करती है भक्तों का कल्याण
श्री चित्रगुप्त मंदिर के पीठाधीश्वर व अन्तर्राष्ट्रीय कथा वाचक श्रीदास महराज वेदों में वर्णित माता की महिमा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि मां भगवती सनातन युग से प्रकृति में वास कर अपने भक्तों का कल्याण करती आ रही हैं। उन्होंने माता के नौ रूपों का वर्णन करते हुए कहा कि जब समाज प्रकृति से छेड़छाड़ करने लगता है तो उसे माता के कोप का भाजन बनना पड़ता है।