भवानी पुरवा खदान में बेधड़क जारी है ओवरलोडिंग का खेल

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अवधनामा संवाददाता
 खदान संचालक दे रहा खनन नीति को चुनौती
नदी की जलधारा में गरज रही भारी-भरकम मशीने

बांदा। जनपद मुख्यालय से चंद किमी दूर स्थित भवानी पुरवा खदान में संचालन शुरू होते हुए नियमों को तार-तार करना शुरू कर दिया है। इस खदान में होने वाले अवैध मोरम के कारोबार से जुड़ा खनन कारोबारी प्रशासन और सरकार के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। जो नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से ओवरलोडिंग व प्रतिबंधित मशीनों का प्रयोग नदी की धारा में करने से भी गुरेज नहीं कर रहा। लाठी और बंदूक की नोकों पर जहां ग्रामीणों को जमकर धमकाया जाता है। वहीं सैकड़ों की तादाद में आए ट्रकों के झुंड से धूल का गुबार उड़ता है इससे फसलों पर तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ ही रहा है साथ ही साथ ग्रामीण दमा रोग के शिकार भी हो रहे हैं।
शहर से चंद किमी दूर केन नदी में संचालित भवानी पुरवा खदान में खनन विभाग के सारे आदेश पट्टा धारक द्वारा खनिज अधिकारी की शह पर परों तले रौंदे जा रहे हैं। जिसमें पट्टा धारक एनजीटी के नियमों और प्रशासनिक सख्तियों को ठेंगा दिखाते हुए दबंगई के दम पर दिन-रात बिना किसी नियमावली के मोरम के कारोबार को बदस्तूर जारी किए हैं,। पट्टा धारक प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी भय नहीं रखते। जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी मानक से विपरीत ट्रकों में खदान से ही ओवरलोडिंग का खेला खेल रहे हैं। जबकि ओवरलोडिंग और बिना रवन्ने के खदान से मोरम की बिक्री की पूरी जिम्मेदारी पट्टा धारक की होगी। ऐसा खनिज नियमावली में है। दिन के उजाले में भी ओवरलोड ट्रक भरकर गुजारे जाते है। जिले की केन नदी में चल रही भवानी पुरवा की बालू खदान में लोडिंग के लिए जब सैकड़ों की तादाद में ट्रकों का हुजूम पहुंचता है तो चौतरफा धूल के गुबार उड़ने लगते हैं। कहने को तो खदान संचालक अपनी निजी सड़क पर सिंचाई कराने की बात करते हैं लेकिन वह भी धूल रोकने में कारगर नहीं है। इससे जहां खेतों पर बोई फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है वहीं बस्ती में रहने वाले लोग दमा रोग का शिकार भी हो रहे हैं।

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