जमीनी विवाद के चलते वृद्ध की गला दबाकर हत्या

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अवधनामा संवाददाता

पुलिस ने मृतक के भांजे को हिरासत में लिया
शव को पोस्टमार्टम के लिए पुलिस ने भेजा

बांदा। जमीन या जमीन के टुकडे की खातिर अपने ही अपनों का खून बहा रहे है। लोगों का खून किस तरह पानी होता जा रहा है। यह इसी बात से जाहिर है पिछले एक माह में यहां घटित आधा दर्जन हत्याओं में अपनो ने अपनो ही का बेरहमी से कत्ल किया । ताजा मामला मटौंध थाना क्षेत्र के मोहन पुरवा गांव का है। जहां एक बुजुर्ग की गला दबाकर हत्या कर दी गई है इस सिलसिले में पुलिस ने मृतक के भांजे को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
शुक्रवार को इसी गांव के रहने वाले भवानी दिन पुत्र पत्ते वर्मा (70) का शव संदिग्ध परिस्थितियों में उसके घर में पड़ा हुआ मिला। यह जानकारी मिलते ही मौके पर पुलिस ने पहुंचकर शव को कब्जे में लेकर जांच पड़ताल शुरू कर दी है।इस बारे में पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने बताया कि शुक्रवार को जानकारी मिली कि एक बुजुर्ग का शव उसके घर में पड़ा हुआ है। यह जानकारी मिलते ही हम फील्ड यूनिट व डाग स्क्वायड के साथ मौके पर पहुंचे और घटनास्थल का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान प्रथम दृष्टया पता चला है कि बुजुर्ग की गला दबाकर हत्या की गई है। मृतक अविवाहित था और कुष्ठ रोग से पीड़ित था। उसके नाम लगभग 16 बीघे जमीन थी। इसकी देखभाल उसका भांजा नीतू पुत्र श्रीपाल घर पर रहकर करता था, लेकिन घटना के बाद से मौके से फरार हो गया था। जिसको हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। हत्या का मामला जमीन से जुड़ा हुआ लगता है।
इसी तरह 24 घंटे पहले कोतवाली देहात अंतर्गत ग्राम महोखर में भी एक पुजारी की हत्या कर दी गई। यह मामला भी जमीन से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। पुलिस को मृतक के बेटे पर ही संदेह है। जिसकी पुलिस जांच कर रही है। इसके पहले पिछले महीने कनवारा गांव में एक वृद्धा की लाश पाई गई थी। जिसकी हत्या करने के बाद शव को जलाने की कोशिश की गई थी। पुलिस ने कई दिनों तक जांच के बाद मामले का खुलासा किया जिसमें पता चला कि एक प्लाट की खातिर बेटी और दामाद ने मिलकर उसकी हत्या कर दी थी। इसी तरह इसके पूर्व गिरवा थाना क्षेत्र में मां बेटी की हत्या का मामला प्रकाश में आया था। यह मामला भी जमीन से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। इसी प्रकार बिसंडा थाना क्षेत्र के ग्राम चंद्रावल में बेटी ने अपनी शादी में बाधक बने पिता को प्रेमी के साथ मिलकर मौत के घाट उतार दिया। यह गिरते सामाजिक मूल्यों का ही परिणाम है कि रिश्तों का इतना अधिक अवमूल्यन हो गया ।

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