सन 2002 में होने वाले गुजरात दंगो के दौरान तैनात सेना के प्रमुख जरनल ज़मीरुद्दीन शाह ने अपनी किताब ‘सरकारी मुस्लमान’ में जो खुलासा किया वो काफी हैरान करने वाला है.
उन्होंने अपनी किताब में दवा किया है कि सेना वक़्त पर गुजरात में पहुंच गयी थी लेकिन प्रदेश प्रशासन की लापरवाही के कारण तैनाती नहीं हो सकीं, यदि प्रदेश प्रशासन वक़्त पर हमारा सहयोग करता तो सैंकड़ो लोग सुरक्षित होते.
अपनी किताब सरकारी मुस्लमान में अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रोफेसर ज़मीरुद्दीन ने लिखा है कि परिवहन और राज्य सरकार से अन्य सहायक समर्थन ना मिलने के कारण फौज तीन घंटों तक अहमदाबाद हवाई अड्डे पर प्रतीक्षा करती रही, 3000 फौजी 1 मार्च को सुबह 7 बजे पहुंच गुजरात पहुंच चुके थे. और 34 घंटों के बाद हमको तैनाती के आदेश दिए गए लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. इसके बावजूद हमने हालत पर नियंत्रण हासिल किया.
गौरतलब है कि 27 फ़रवरी को साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने की वजह से 59 कारसेवको की मिर्त्यु हो गयी थी, जिसके बाद पूरे प्रदेश में हिन्दू मुस्लिम दंगे शुरू हो गए, तीन दिनों तक जारी भयंकर हिंसा में 1000 लोगो की मौत हुई जिसमे अधिकतर मरने वाले मुस्लमान थे.