मगरहाबाबा में सुगम संगीत संग भजन, गजल और कव्वाली की सजी महफिल

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अवधनामा संवाददाता

मुंबई और कानपुर के कलाकारों ने पर रीझ गया ग्रामीणों का दिल

बांदा । राम-जानकी महोत्सव के मंगल गायन में नामी गिरामी कलाकारों ने गागर में सागर भरने का काम किया। सुदूर क्षेत्रों से आये सुप्रसिद्ध कलाकारों ने एक ही दिन में इतनी सारी भगवत लीलाएं और कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी कि दर्शक भावविभोर हो उठे। शास्त्रीय संगीत के साथ गजल, कव्वाली और सुगम संगीत ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुंबई , वृंदावन धाम और कानपुर से आये कलाकारों के गीतों पर रीझकर श्रोता अपने स्थान पर खड़े होकर थिरकने पर विवश हो गये।
पैलानी तहसील के नरी गांव स्थित मगरहा बाबा स्थान पर आयोजित एक दिवसीय रामजानकी महोत्सव में नामी गिरामी कलाकारों ने ऐसी जबरदस्त प्रस्तुति दी कि सूर्य को अपनी आगोश में लेकर कब गुलाबी ठंड वाली रात आ गई दर्शकों को अहसास भी नहीं हुआ। शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति से लेकर गजल, कव्वाली, भजन और सुगम संगीत पर जहां गायक कलाकारों ने अपने सुर के बाणों से दर्शकों के दिल विदीर्ण कर दिये वहीं वाद्यंत्रों पर नाचती कलाकारों उंगलियों ने सबका दिल अपने वश में कर लिया। मुंबई से आये गायक कलाकार पवन तिवारी ने ‘न जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते हैं’, ‘एक बार जो रघुवर की नजरों का इशारा हो जाये’ एवं ‘मैया तैने का ठानी मन में, राम सिया भेज दये री वन में’ गीत प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। कार्यक्रम में वृंदावन धाम से पधारे भागवताचार्य संजय कृष्ण ने श्रीमद्भागवत संबंधी कुछ ऐसे विषय उठाये कि श्रोता उस भक्ति सागर में जो एक बार डूबे तो देर तक गोते लगाते रहे। उधर कानपुर से आये विनय तिवारी ने सुप्रसिद्ध गायक कलाकार मन्ना डे की आवाज में ‘किसने चिलमन से मारा’ तथा ‘तेरी गलियों का हूं आशिक’ गीत प्रस्तुत किया गया। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पूर्व संगीत विभागाध्यक्ष लल्लूराम शुक्ल ने ग्रामीण अंचलों को श्रेष्ठता का दर्जा प्रदान करते हुए कहा कि भारत की आत्मा गांवों में ही बसती है। शहरों में तो बस लोग किसी तरह अपना जीवनयापन को मजबूर हैं।इसलिये हमें इस सोच को अपने दिमागों से निकालने की जरूरत है कि बिना शहर जाये अपना और परिवार का विकास संभव नहीं है। महोत्सव में अन्य गायक कलाकारों रामधनी सिंह चौहान, मुकेश द्विवेदी कानपुर ने भी भजनों की प्रस्तुति देकर शमा बांध दी। संगीत वाद्ययंत्रों के माध्यम से अपनी कला का जादू चलाने वाले कलाकारों में नाल वादक दीनदयाल तिवारी, तबला वादक लक्ष्मीनारायण व अंकित पांडेय तथा आर्गन वादक चंदन, पैड वादक दीपक गुप्ता शामिल रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन बबलू त्रिवेदी ने किया।
इनसेट-
जीवित सर्पों से श्रृंगार कर रचाया भोलेबाबा का विवाह
बांदा। मगरहा बाबा में आयोजित रामजानकी महोत्सव में शुक्ला एंड पार्टी कानपुर द्वारा तैयार भोलेबाबा का विवाह आकर्षण का केंद्र रहा। जीवित सर्पों से श्रृंगार कर भोलेबाबा का विवाह रचाया गया। नरी, जसपुरा, पैलानी, पिपरहरी और खप्टिहाकलां समेत आसपास के तमाम गांवों से कार्यक्रम का रस लेने आये ग्रामीण भोलेबाबा के विवाह के साक्षी बने। राधाकृष्ण की मनोहर झांकी से लेकर बरसाने की होली की छटा ने दर्शकों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम में दर्शकों ने रावण के पुत्र अक्षय कुमार के वध की लीला और बजरंगबली व समुद्र के बीच हुई नोकझोंक का भी रसपान किया।

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