न्याय बंधु जरूरतमंदों को देंगे फ्री विधिक सहायता

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अवधनामा संवाददाता

ललितपुर। केंद्र सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा गरीब, जरूरतमंदों को मुफ्त में विधिक सहायता के लिए न्याय बंधु एप लांच किया गया है। इस एप को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ललितपुर से कई अधिवक्ताओं के नाम न्याय बंधु के लिए भेजे गए हैं। उन्होंने एप की खूबियां गिनाते हुए आवेदक की पात्रता के बारे में भी बताया है। साथ ही एप को डाउनलोड कर फ्री कानूनी सहायता का लाभ लेने की अपील की है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता, टेली लॉ के रिटेनर अधिवक्ता पुष्पेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि न्याय बंधु एप किसी भी एंड्राइड मोबाइल फोन में गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। न्याय बंधु एप के माध्यम से गरीब, जरूरतमंद लोग रजिस्टर्ड प्रो बोनो एडवोकेट्स से संपर्क कर फ्री कानूनी सहायता ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि न्याय बंधु एप पूरे देश में हिंदी व अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 12 के दायरे में आने वाला कोई भी व्यक्ति आवेदक हो सकता है। उन्होंने बताया कि अधिवक्ताओं, वादकारियों एवं समाज के कमजोर समुदाय को इस एप से मुफ्त कानूनी सहायता दी जाएगी। एप के लिए पात्रता के संबंध में उन्होंने बताया कि न्याय बंधु एप के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति का सदस्य स्त्री या बालक, दिव्यांग जो अभिरक्षा में हो, औद्योगिक कर्मकार, बहु विनाश जाति संहिता, जातीय अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकंप, औद्योगिक संकट के शिकार व्यक्ति, कानून के तहत निर्धारित राशि से कम सालाना आमदनी व्यक्ति इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
क्या कहती है धारा 12
विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 में धारा 12, कानूनी सेवाएं देने के लिए मानदंड.—प्रत्येक व्यक्ति जिसे कोई मामला दर्ज करना है या बचाव करना है, इस अधिनियम के तहत कानूनी सेवाओं का हकदार होगा, यदि वह व्यक्ति, (ए) अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य, (बी) संविधान के अनुच्छेद 23 में निर्दिष्ट मानव तस्करी या भिखारी का शिकार, (सी) एक महिला या एक बच्चा, (डी) विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) की धारा 2 के खंड (द्ब) में परिभाषित विकलांग व्यक्ति, (डी) विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) की धारा 2 के खंड (द्ब) में परिभाषित विकलांग व्यक्ति;। (ङ) अपात्र अभाव की परिस्थितियों में एक व्यक्ति जैसे सामूहिक आपदा, जातीय हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकंप या औद्योगिक आपदा का शिकार होना; या (च) एक औद्योगिक कर्मकार; या 18. (जी) हिरासत में, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 (1956 का 104) की धारा 2 के खंड (जी) के अर्थ में एक सुरक्षात्मक घर में हिरासत में या धारा के खंड (जे) के अर्थ में एक किशोर गृह में हिरासत में किशोर न्याय अधिनियम, 1986 (1986 का 53) के 2 या मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 (1987 का 14) की धारा 2 के खंड (जी) के अर्थ के भीतर एक मनोरोग अस्पताल या मनोरोग नर्सिंग होम में; या 2[(एच) वार्षिक आय नौ हजार रुपये से कम या राज्य सरकार द्वारा निर्धारित ऐसी अन्य उच्च राशि की प्राप्ति में, यदि मामला उच्चतम न्यायालय के अलावा किसी अन्य अदालत के समक्ष है, और बारह हजार रुपये से कम है या ऐसी अन्य उच्च राशि जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जा सकती है, यदि मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष है।

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