पंद्रह माह तक के शिशुओं की सेहत की निगरानी के लिए बढ़ाए गए कदम

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अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान

होम बेस्ड केयर फॉर यंग चाइल्ड कार्यक्रम को मजबूती से चलाने की तैयारी

स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया गया प्रशिक्षण

 

हमीरपुर :पंद्रह माह तक के शिशुओं की मृत्यु दर और कुपोषण के मामलों पर प्रभावी अंकुश लगाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित होम बेस्ड केयर फॉर यंग चाइल्ड कार्यक्रम (एचबीवाईसी) को और प्रभावी बनाने की कवायद शुरू हो गई है। इस कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर मजबूती के साथ शुरू करने को लेकर स्थानीय टीबी सभागार में स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मचारियों के पांच दिवसीय प्रशिक्षण का समापन हो गया। अब जल्द ही एएनएम, आशा संगिनी, आशा और आंगनबाड़ी को प्रशिक्षित कर इस कार्यक्रम को गति प्रदान की जाएगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.रामअवतार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर प्रसवोपरांत मां एवं नवजात की देखभाल के लिए होम बेस्ड न्यू बॉर्न केयर (एचबीएनसी) कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसमें कि आशा कार्यकर्ता शिशु के जन्म के बाद 42 दिन तक 6 से 7 बार गृह भ्रमण कर नवजात शिशुओं एवं धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य की निगरानी करती हैं। इसी कार्यक्रम को विस्तार देते हुए बाल्यकाल में निमोनिया और डायरिया से होने वाली मौतों पर विराम लगाने और कुपोषण से बचाव करते हुए शिशुओं का शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दिया जाना है। इसी के चलते अब शिशुओं के 3, 6, 9,12 एवं 15 माह की आयु होने तक आशा द्वारा गृह भ्रमण किया जाएगा। इस कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर मजबूती के साथ शुरू करने को लेकर स्थानीय टीबी सभागार में 21 जनवरी से पांच दिवसीय प्रशिक्षण की शुरुआत हुई थी, जिसका 25 जनवरी को समापन हो गया।
प्रशिक्षण के समापन पर एसीएमओ/आरसीएच के नोडल अधिकारी डॉ.महेशचंद्रा ने बताया कि एसआरएस 2016 के सर्वे में प्रदेश में बाल मृत्यु दर 47, शिशु मृत्यु दर 43 एवं नवजात शिशु मृत्यु दर 30 प्रति एक हजार जीवित जन्म है। नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर एचबीएनसी कार्यक्रम चल रहा है, लेकिन अब तीन से 15 माह तक के शिशुओं की निमोनिया और डायरिया से होने वाली मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर एचबीवाईसी कार्यक्रम चलाया जाना है, जिसका उद्देश्य डायरिया और निमोनिया से होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना है। साथ ही कुपोषित बच्चों का सही प्रबंधन करना है।
पांच दिवसीय प्रशिक्षण में डॉ.हेमंत दशारिया, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी प्रेमचंद्र, एनजीओ से नित्या बाजपेयी और डीसीपीएम मंजरी गुप्ता ने जनपद के अलग-अलग ब्लाकों से 25 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया। प्रशिक्षित प्रतिभागी अपने-अपने ब्लाकों में एएनएम, आशा संगिनी, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे ताकि इस कार्यक्रम का सही तरीके से क्रियान्वयन हो सके।

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