बुण्देली संस्कृति में आज भी कायम है बैल दौड़ का क्रेज

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अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान 

हजारों की संख्या में दौड़ देखने उमडी भीड़

मौदहा हमीरपुर। एक ओर जहां यांत्रिक कृषि के चलते पशुओं का महत्व घटता जा रहा है और लोगों ने पशुओं को पालना लगभग समाप्त कर दिया है तो वहीं बुण्देली संस्कृति में आज भी बैल दौड़ प्रतियोगिता का क्रेज बरकरार है और बैल दौड़ देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।जबकि मुख्य अतिथि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संजय दीक्षित रहे।
कस्बे में बैल दौड़ प्रतियोगिता की परम्परा चार दशक से भी अधिक पुरानी है।जिसके चलते कस्बे के निकट सिजनौडा रेलवे क्रासिंग से लेकर कमेला ग्राउंड के निकट स्थित चुंगी चौकी तक लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर बुण्देलखण्ड स्तरीय 43 बैल दौड़ प्रतियोगिता का फाईनल गुरुवार को आयोजित किया गया जिसमें दिलावर के बैलों की जोड़ी को प्रथम और रोझिन के बैलों की जोड़ी को दितीय स्थान मिला।जबकि सोना पहलवान के बैल तीसरे और सूपा से आए बैलों की जोड़ी को चौथा स्थान मिला।सभी को मुख्य अतिथि संजय दीक्षित ने आकर्षक उपहार और शील्ड देकर सम्मानित किया।जबकि बुधवार आ एक दर्जन बैलों की जोड़ी के बीच हुए सेमीफाइनल मुकाबले में चार जोडी फाईनल के लिए क्वालीफाई कर सकी थी।
मुख्य अतिथि संजय दीक्षित ने कहा कि उन्हें खुशी है कि मौदहा कस्बे में आज भी प्राचीन परम्परा जीवित है और सरकार को चाहिए कि यांत्रिक कृषि के साथ ही जैविक कृषि को भी बढावा दिया जाए जिससे अन्न पशुओं की समस्या भी काफी हद तक कम हो सकती है।
बैलदौड़ का आयोजन हुसैन गंज कमेटी की ओर से समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष जावेद मेजर ने किया जबकि मंच का संचालन राजू मास्टर ने किया।इस दौरान पूर्व प्रवक्ता जय प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें खुशी होती है जब वह ऐसे आयोजनों में शामिल होते हैं जिनसे बुण्देलखण्ड की संस्कृति की याद ताजा रहती है।

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