अवधनामा संवाददाता
लखीमपुर खीरी- समाजसेवी संस्था खीरी विकास समिति द्वारा ‘बज़्मे फ़रोगे आदाब’ के बैनर से तरही मुशायरा कराया, जिसमे दिए गए सबसे आला है तेरी शान रसूले अरबी मिसरे पर शायरों ने अपने क़लाम सुनाए। तरही मुशायरे की सदारण डॉक्टर सफी सीतापुरी व महिमाने खुसूसी की हैसियत से शोहरत अंसारी मौजूद रहे। निज़ामत हाजी इक़बाल अकरम वारसी ने किया।इस मौके पर मुशायरे के आयोजक एवमसमाजसेवी संस्था खीरी विकास समिति के अध्यक्ष आमिर रज़ा पम्मी ने कहा बज़्मे फ़रोगे अदब हमेशा से ही उर्दू की खिदमत करती रही है क्यों कि उर्दू एक ज़बान नहीं बल्कि तहजीब है। उन्होंने कहा बज़्मे फ़रोगे अदब बहुत से साहित्यक कार्यक्रम कराती रही है 2005 एक बहुत बड़ा ऑल इंडिया मुशायरा का आयोजन इसी संस्था ने कराया था जिस की धमक दूर-दूर तक सुनाई दी थी इस तरह के कार्यक्रम से एक पैगाम जाता है वह पैगाम सिर्फ और सिर्फ अपनी तहजीब से मोहब्बत का होता है। सदारती खिताब करते हुए शफी सीतापुरी ने नात पाक के सही मायने व इसकी शुरुआत कहा से हुई इस पर रोशनी डाली। उन्होंने गिरह लगते हुए उन्होंने पढ़ा कि “यूं तो ज़ीशान है सारे ही नबी और रसूल,आप ज़ीशानो में जीशान रसूले अरबी “शोहरत अंसारी ने पढ़ा ” बे नमाज़ी जो मरे उसका जनाजा न पढ़ूं, गौसे आज़म का है फरमान रसूले अरबी”।खैराबाद से तशरीफ लाए कि अफजल यूसुफ ने पढ़ा “आपका जो हुआ दरबान रसूले अरबी, रश्क उससे करें रिजवान रसूले अरबी।इकबाल अकरम वारसी ने पढ़ा “आपके दर पर दो आलम के मसीहा, काश गुजरे मेरे रमजान रसूले अरबी”।बशर हरगामी ने पढ़ा” ना खुदा आप हैं तो फिक्र नहीं है मुझको, सरफिरा लाख हो तूफान रसूले अरबी “।डॉक्टर अहमद अखलाक ने पढ़ा कि”जहनो दिल ही नहीं रूहों को मोअत्तर कर दे, आपके जिक्र का लोबान रसूले अरबी “।डॉक्टर एहराज़ अरमान ने पढ़ा सर कटाया है जहां दिन के शहजादे ने,कैसे भूलेंगे वह मैदान रसूले अरबी, इलियास चिश्ती ने पढ़ा “जो करें आपका अपमान रसूले अरबी,पाए दोज़ख का वह चालान रसूले अरबी।इस के आलावा हाफिज सईदुररहमान, इब्बन खान, हाफिज मुकीम बरकाती, हाफिज काशिफ रजा, नवाज रिजवी, सैफुल इस्लाम, मौलाना अशफाक रजा बरकाती कारी अख्तर रजा बरकाती हाफिज मतीन रजा रहमानी ,फजल मोहम्मद यूनुस ,नेहाल रजा,इमरान रजा बरकाती, सलमान रिजवी, नफीस वारसी, उमर हनीफ नसीम सीतापुरी।