अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। श्रीगुरु सिंह सभा के तत्वाधान में गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के चार साहबजादे बाबा अजीत सिंहजी, बाबा जुझार सिंहजी, बाबा जोरावर सिंहजी, बाबा फतेह सिंहजी व माता गुजरीजी का शहीदी पर्व गुरुद्वारा लक्ष्मीपुरा में बड़े ही श्रद्धा भावना के साथ मनाया गया। इस अवसर पर 26 दिसंबर से चल रहे। कार्यक्रम का आज 28 दिसंबर को समापन हुआ। सुबह श्रीसहज पाठ साहिबजी की समाप्ति सरदार कुलदीप सिंह, हरमीत सिंह अरोड़ा परिवार की ओर से हुई उपरांत मुख्य ग्रंथी हरविंदर सिंह ने गुरबाणी कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया दिल्ली से पधारे संत ज्ञानी मनी सिंहजी ने गुरबाणी कीर्तन कथा द्वारा संगत को भावविभोर कर दिया व उनके साथ छोटे छोटे बच्चो हरजस कोर, कर्मन सिंह, दीप सिंह सलूजा, परमजोत सिंह सलूजा, आयांश अरोरा, वियापी चोपड़ा, नैतिक चोपड़ा, आगमजोत कोर, सरताज छाबड़ा, गुरशीन कोर छाबड़ा, हरमन सिंह, गुरमान सिंह शुभ त्रिपाठी ने भी कीर्तन साखी कथा द्वारा संगत को भावविभोर कर दिया। दिल्ली से पधारे संत मनीसिंह ने अपने उदबोधन मे कहा कि चार साहिबजादे शब्द का प्रयोग सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के चार सुपुत्रों-साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह, व फतेह सिंह को सामूहिक रूप से संबोधित करने हेतु किया जाता है बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह व बाबा जुझार सिंह युद्ध में शहीद हो गए। छोटे साहिबजादे निक्कियां जिंदां, वड्डा साका। गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहादत को जब भी याद किया जाता है तो सिख संगत के मुख से यह लफ्ज ही बयां होते हैं। सरसा नदी पर जब गुरु गोबिंद सिंहजी परिवार जुदा हो रहे थे, तो एक ओर जहां बड़े साहिबजादे गुरुजी के साथ चले गए, वहीं दूसरी ओर छोटे साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह, माता गुजरी जी के साथ रह गए थे। उनके साथ ना कोई सैनिक था और ना ही कोई उम्मीद थी जिसके सहारे वे परिवार से वापस मिल सकते। अचानक रास्ते में उन्हें गंगू मिल गया, जो किसी समय पर गुरु महल की सेवा करता था। गंगू ने उन्हें यह आश्वासन दिलाया कि वह उन्हें उनके परिवार से मिलाएगा और तब तक के लिए वे लोग उसके घर में रुक जाएं। माता गुजरीजी और साहिबजादे गंगू के घर चले तो गए लेकिन वे गंगू की असलियत से वाकिफ नहीं थे। गंगू ने लालच में आकर तुरंत वजीर खां को गोबिंद सिंह की माता और छोटे साहिबजादों के उसके यहां होने की खबर दे दी जिसके बदले में वजीर खां ने उसे सोने की मोहरें भेंट की। खबर मिलते ही वजीर खां के सैनिक माता गुजरी और 7 वर्ष की आयु के साहिबजादा जोरावर सिंह और 5 वर्ष की आयु के साहिबजादा फतेह सिंह को गिरफ्तार करने गंगू के घर पहुंच गए। उन्हें लाकर ठंडे बुर्ज में रखा गया और उस ठिठुरती ठंड से बचने के लिए कपड़े का एक टुकड़ा तक ना दिया। गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा ने कहा कि रात भर ठंड में ठिठुरने के बाद सुबह होते ही दोनों साहिबजादों को वजीर खां के सामने पेश किया गया, जहां भरी सभा में उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने को कहा गया। कहते हैं सभा में पहुंचते ही बिना किसी हिचकिचाहट के दोनों साहिबजादों ने ज़ोर से जयकारा लगा जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल यह देख सब दंग रह गए, वजीर खां की मौजूदगी में कोई ऐसा करने की हिम्मत भी नहीं कर सकता लेकिन गुरु जी की नन्हीं जिंदगियां ऐसा करते समय एक पल के लिए भी ना डरीं। सभा में मौजूद मुलाजिम ने साहिबजादों को वजीर खां के सामने सिर झुकाकर सलामी देने को कहा, लेकिन इस पर उन्होंने जो जवाब दिया वह सुनकर सबने चुप्पी साध ली। वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा ने कहा कि दोनों ने सिर ऊंचा करके जवाब दिया कि हम अकाल पुरख और अपने गुरु पिता के अलावा किसी के भी सामने सिर नहीं झुकाते। ऐसा करके हम अपने दादा की कुर्बानी को बर्बाद नहीं होने देंगे, यदि हमने किसी के सामने सिर झुकाया तो हम अपने दादा को क्या जवाब देंगे जिन्होंने धर्म के नाम पर सिर कलम करवाना सही समझा, लेकिन झुकना नहीं। वजीर खां ने दोनों साहिबजादों को काफी डराया, धमकाया और प्यार से भी इस्लाम कबूल करने के लिए राज़ी करना चाहा, लेकिन दोनों अपने निर्णय पर अटल थे। मंत्री चरणजीत सिंह ने अपने विचारो में कहा कीआखिर में दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवारों में चुनवाने का ऐलान किया गया। कहते हैं दोनों साहिबजादों को जब दीवार में चुनना आरंभ किया गया तब उन्होंने जपुजी साहिब का पाठ करना शुरू कर दिया और दीवार पूरी होने के बाद अंदर से जयकारा लगाने की आवाज़ भी आई। गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा ने समाज की ओर से देश के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री माननीय का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वीर बाल दिवस के रूप में भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने जो वीर बालदिवस को राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया हे पूरा सिख समाज उनका आभार व्यक्त करता है। इस दौरान संरक्षक जितेंद्र सिंह सलूजा, अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा, कोषाध्यक्ष परमजीत सिंह छतवाल, मंत्री मनजीत सिंह, आनंद सिंह, अरविंदर सिंह, गुरमुख सिंह, गुरबचन सिंह सलूजा, नरेंद्र सिंह सलूजा, अवतार सिंह, हरजीत सिंह, गुरबीर सिंह, मनजीत सिंह परमार, मेजर सिंह परमार, दलजीत सिंह, जगजीत सिंह, बिंदु कालरा, हरजीत कौर, अमरजीत कौर, मानविंदर कौर, कंचन कौर गुरदीप कौर जसप्रीत कौर नीतू कौर मनिंदर सिंह तरनदीप सिंह सतनाम सिंह भाटिया भाटिया मैनेजर केदार सिंह पिंटू आदि उपस्थित थे। संचालन महामंत्री सुरजीत सिंह सलूजा ने किया। आभार संरक्षक जितेंद्र सिंह सलूजा ने व्यक्त किया।